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अगर आपको गैस बनने की शिकायत है तो यह लेख जरूर पढिये

If you have a complaint about gas, then definitely read this article.

उदर-वायु

उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्या है। पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। यह तब होती है जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं जिसके बारे में हम यहां आज चर्चा करेगें।

कारण-

बैक्टीरिया का पेट में ओवरप्रोडक्शन होना ।

जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।

मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।

पाचन संबंधी विकार से।

बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं। इसके साथ बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।

घरेलू उपचार-

  • भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाए तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • 1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर [सौंठ] लें और उसमें एक चुटी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कप गरम पानी में डालकर पीएं।
  • गैस के कारण सिर दर्द होने पर चाय में पिसी कालीमिर्च डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।
  • कुछ ताजा अदरक स्लाइस की हुई नींबू के रस में भिगो कर भोजन के बाद चूसने से राहत मिलेगी।
  • पेट में या आंतों में ऐंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।
  • भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानो को 1/2 चम्मच पानी के साथ मिला कर पिएं।
  • वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।
  • अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरंत बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें। शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।
  • अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा
  • वज्रासन : खाने के बाद घुटने मोड़कर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें। 5 से 15 मिनट तक करें। गैस पाचन शक्ति कमजोर होने से होती है। यदि पाचन शक्ति बढ़ा दें तो गैस नहीं बनेगी। योग की अग्निसार क्रिया से आंतों की ताकत बढ़कर पाचन सुधरेगा।

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅ 🚩तिथि – चतुर्थी पूर्ण रात्रि तक (वॄद्धि तिथ)दिनांक – 09 फरवरी 2023

अपनी प्रकृति अनुसार करें आहार सेवन

🔸मानवीय प्रकृति में जिस दोष की प्रधानता होती है उसके प्रकोपजन्य व्याधियाँ होने की सम्भावना अधिक होती है । इनसे रक्षा के लिए आयुर्वेद के आचार्य महर्षि चरक कहते हैं :
विपरीत गुणस्तेषां स्वस्थवृत्तेर्विधिर्हितः ।

🔸प्रकृति के विरुद्ध गुण का सेवन ही स्वास्थ्यवर्धक होता है । (च. सं., सूत्रस्थान ७.४१) इसलिए अपनी प्रकृति का निश्चय कर उसके अनुसार आहार-विहार का सेवन करना चाहिए ।

🔸सभी आहार द्रव्यों का लाभ प्राप्त करने हेतु पदार्थ जिस दोष को बढ़ाता है उसके शमनकारी पदार्थों का युक्तिपूर्वक संयोग कर सेवन करना हितकर है । जैसे- पालक वायुवर्धक है तो उसके साथ में वायुशामक सोआ डाला जाता है, अदरक, लहसुन, काली मिर्च, हींग आदि द्रव्यों के उपयोग से दालों व सब्जियों के तथा तेल, घी, नमक के द्वारा जौ, मकई आदि अनाजों के वायुवर्धक गुण का शमन किया जाता है ।

अब बताइये? आप गैस शमन हेतु कौनसे पदार्थ काम मे लेंगे?

आहार द्वारा वायु को संतुलित कैसे रखें ?

🔸प्रकुपित वायु बल, वर्ण और आयु का नाश कर देती है । मन में अस्थिरता, दीनता, भय, शोक उत्पन्न करती है।

🔸 अकेले वात के प्रकोप से ८० प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं । प्रकुपित वायु का पित्त व कफ के साथ संयोग होने से उत्पन्न होनेवाले रोग असंख्य हैं । वायु अतिशय बलवान व आशुकारी (शीघ्र काम करनेवाली) होने से उससे उत्पन्न होनेवाले रोग भी बलवान व शीघ्र घात करनेवाले होते हैं । अतः वायु को नियंत्रण में रखने के लिए आहार में वायुवर्धक व वायुशामक पदार्थों का युक्तियुक्त उपयोग करना चाहिए ।

वायुशामक पदार्थ

अनाजों में : साठी के चावल, गेहूँ, बाजरा, तिल

दालों में : कुलथी, उड़द

सब्जियों में : बथुआ, पुनर्नवा (साटोडी), परवल, कोमल मूली, कोमल (बिना बीज के) बैंगन, पका पेठा, सहजन की फली, भिंडी, सूरन, गाजर, शलगम, पुदीना, हरा धनिया, प्याज, लहसुन, अदरक

फलों में : सूखे मेवे, अनार, आँवला, बेल, आम, नारंगी, बेर, अमरूद, केला, अंगूर, मोसम्बी, नारियल, सीताफल, पपीता, शहतूत, लीची, कटहल (पका), फालसा, खरबूजा, तरबूज

मसालों में : सोंठ, अजवायन, सौंफ, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल, जीरा, मेथीदाना, दालचीनी, जायफल, लौंग, छोटी इलायची ।

🔹अन्य वायुशामक पदार्थ🔹

🔸केसर, सेंधा नमक, काला नमक, देशी गाय का दूध एवं घी, सभी प्रकार के तेल [बरें (कुसुम्भ, कुसुम) का तेल छोड़कर ]

वायुवर्धक पदार्थ

अनाजों में : जौ, ज्वार, मकई

दालों में : सेम, मटर, राजमा, चना, तुअर, मूँग (अल्प वायुकारक), मोठ, मसूर ।

सब्जियों में : अरवी, ग्वारफली, सरसों, चौलाई, पालक, पकी मूली, पत्तागोभी, लौकी, ककड़ी, टिंडा

फलों में : नाशपाती, जामुन, सिंघाड़ा, कच्चा आम, मूँगफली ।


⛅दिन – गुरुवार
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – शिशिर
⛅मास – फाल्गुन
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी रात्रि 10:27 तक तत्पश्चात हस्त
⛅योग – सुकर्मा शाम 04:46 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहु काल – दोपहर 02:19 से 03:43 तक
⛅सूर्योदय – 07:16
⛅सूर्यास्त – 06:32
⛅चंद्रोदय – रात्रि 09:38
⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:34 से 06:25 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:19 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – संकष्ठ चतुर्थी
⛅विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)