श्री अजय शर्मा भावनाओं को अपनी कल्पना से शब्दों तक लाने के एक कुशल लेखक है। इनकी गजलें यक़ीनन हमारी आत्मा को छू लेती है। गजल क्या है ? ऐसी पद्यात्मक रचना जिसमें नायिका के सौन्दर्य एवं उसके प्रति उत्पन्न प्रेम का वर्णन हो। यह ग़ज़ल की स्थापित धारणा है लेकिन अब ग़ज़ल ने नए विस्तार प्राप्त कर लिए है। श्री अजय शर्मा जैसे गजलकारों की कलम के कारण। आज श्री शर्मा की दो गजल पेशे-महफ़िल है।
सीने में उमड़ते कई सवाल क्यूं है ?
जाने मुझे इस बात का मलाल क्यूं है ? सीने में उमड़ते कई सवाल क्यूं है ?
अमन और चैन की बस्ती थी यहाँ पर फिर आज हर शख्स यहाँ हलाल क्यूं है ?
सादगी के चर्चे हुआ करते थे यहाँ जिनके आज उनकी शखसियत का जालो – जलाल क्यूं है?
दीन – दुनिया से बेखबर रहा करता था जो आज उसे हर बात का इतना ख्याल क्यूं है ?
सरकारी नुमाइंदों के घरों में छा गई खुशियाँ आखिर हर साल ही पड़ता ये अकाल क्यूं है ?
दहशतगर्दो की बस्ती में जरा संभलकर रहो ‘अजय’ पत्थर की जगह तुम्हारे हाथ में गुलाल क्यूं है ?
जाने किस बात पर अड़ी है?
जाने किस बात पे अड़ी है ? आज जिंदगी सामने खड़ी है ।
उनको पहचानना हो गया नामुमकिन वक्त की मार ऐसी पड़ी है ।
आज काटे नहीं कटता है वक्त मानो दीवार पें कोई बंद घड़ी है ।
अपने गुनाह कोई नहीं देखता लेकिन मजलूम के लिए सबके हाथ मे छड़ी है ।
कभी दो वक्त की रोटी भी मयस्सर ना थी आज अगुली में अंगूठी हीरे जड़ी है ।
तुम्हारी बेचैनी का सबब जानता हूं ‘अजय’ वक्त और हालात पर तुम्हारी आंख गड़ी है ।
