दोस्तों अंगदान के पीछे सबसे बड़ी भावना यही होती है कि जाते समय भी किसी की जान बचाई जाए। अंगदान का इंतजार करने वाले लोग जानते हैं कि इंतजार का एक-एक पल काटना कितना मुश्किल होता है। और ऐसे में जब कोई अंग दाता या शव दाता मिल जाता है तो वस्तुतः उसमें परमात्मा का ही एक रूप नजर आता है।
पिता का नाम सुखबीर सिंह संधू जी और माता का नाम सुप्रीत कौर जी…यह परिवार पंजाब के अमृतसर में रहता है। बहुत प्रार्थना के बाद, उन्हें एक बहुत ही सुंदर बच्ची का आशीर्वाद मिला… एक गुड़िया जैसी बेटी। घर के लोगों ने प्यार से उसका नाम अबाबत कौर रखा। अबाबत का अर्थ दूसरों की सेवा से संबंधित है … यह दूसरों के कष्टों को दूर करने से संबंधित है। जब वह केवल उनतालीस दिन की थी, तो वह इस दुनिया को छोड़कर चली गई। लेकिन सुखबीर सिंह संधू जी और उनकी पत्नी सुप्रीत कौर जी, उनके परिवार ने एक बहुत ही प्रेरक फैसला लिया। और फैसला था… एक बेटी का अंगदान जो सिर्फ उनतालीस दिन की थी।
अबाबत कौर के माता-पिता
सुखबीर एग्रीकल्चर विभाग में हैं और पत्नी स्कूल में विज्ञान की शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि शरीर तो नश्वर है लेकिन अंगों से किसी जरूरतमंद के जीवन में नया सवेरा लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस पर निर्णय लेना थोड़ा कठिन था लेकिन स्वतंत्रता सेनानी नाना की हौसलाअफजाई से सबकुछ आसान हो गया। उन्होंने कहा कि बेटी के जाने का गम तो ताउम्र सालता रहेगा लेकिन उसके द्वारा लोगों को जो नया जीवन मिला है, वह हमेशा प्रेरणा देगा।
अबाबत कौर के पिता श्री सुखबीर सिंह की जुबानी
अबाबत कौर के पिता सुखबीर सिंह जी ने बताया कि ” कि जो शरीर है, वह पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा। जब कोई हमेशा के लिए अलग हो जाता है और चला जाता है, तो उसके शरीर को जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है, लेकिन अगर उसके अंग किसी के काम आते हैं, तो यह एक अच्छा काम है और उस समय हमें और अधिक गर्व महसूस हुआ जब डॉक्टरों ने हमें बताया कि आपकी बेटी बन गई है भारत में सबसे कम उम्र के डोनर जिनके अंगों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया था। तो हमारा सिर गर्व से ऊंचा हो गया था कि इस उम्र तक हम अपने माता-पिता का नाम रोशन नहीं कर पाए, इतने दिनों में एक छोटे से बच्चे ने आकर हमारा नाम ऊंचा कर दिया…और उससे भी बड़ी बात कि आज मैं आपसे इसी विषय पर बात कर रहा हूं. . हमें गर्व महसूस हो रहा है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबाबत कौर के पिता को कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – सुखबीर जी, ऐसा नहीं है कि आज आपकी बेटी का एक अंग ही जीवित है। आपकी बेटी मानवता की अमर गाथा की अमर पथिक बन गई है। वह आज भी अपने शरीर के एक हिस्से के जरिए मौजूद हैं। इस नेक काम के लिए मैं आपको, आपकी पत्नी को, आपके परिवार को नमन करता हूं।