जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में बुधवार को खीर भवानी मेला आयोजित होता है . इस मेले में बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने हिस्सा लेते हैं. गांदरबल जिले के तुलमुला स्थित माता खीर भवानी मंदिर में यह आयोजन होता है। आइए, सबसे पहले 90 साल पुराना संस्मरण पढ़ते हैं।
गंधर्बल में खीर-भवानी का मेला । यह मेला विशुद्ध हिन्दू-मेला है। इसमें पहाड़ी स्त्री-पुरुष एकत्र होते हैं। इस मेले में आए हुए प्रत्येक परिवार के लोग अलग-अलग यज्ञ करते हैं, जो प्राचीन आर्यो का स्मरण दिलाते हैं। पुरुष सुडौल, तगड़े, ऊँचे और सुन्दर होते हैं। उठा हुआ चौड़ा ललाट, नोकदार नाक, गोल और छोटी ठुड्डी देखते ही मन में यह भाव उठ खड़ा होता है कि ये श्रार्यों के वंशज हैं। विशुद्ध आर्य काश्मीर ही में देखने को मिलते हैं। भारत के अन्य प्रान्तों के हिन्दू अब शुद्ध आर्य- जाति के नहीं रह गये। बल्कि वे आर्य और अनार्य जातियों के भिन्न-भिन्न मिश्रण हैं। पहाड़ी स्त्रियों का सौन्दर्य मन को मोहे बिना नहीं रह सकता । काश्मीर के ब्राह्मणों में दुराचार नहीं, इस बात का प्रमाण मेले में आई हुई स्त्रियों की आँखें थीं । अत्यन्त सुन्दर नासिका, दर्पण में गुलाब के गुच्छे के प्रतिबिम्ब जैसे कपोल, हिरन की सी बड़ी बड़ी आँखों से अलङ्कृत स्त्रियों के मुखमण्डल को श्राप देखते रहिए । वे भी आपको इस तरह देखती रहेंगी, जैसी कोई भोली-भाली गाय । उनके मन में कोई पाप नहीं । वे नहीं जानतीं कि कुदृष्टि क्या चीज़ है ? इसीसे जब कोई उनकी ओर देखता है, तब वे भी सरल स्वभाव से देखने लगती हैं। मेले के स्त्री-पुरुषों को देखकर मुझे उन देवताओं के परिवारों का स्मरण हो आया था, जिनका मनोहर वर्णन संस्कृत काव्यों में मिलता है। काश्मीर यात्रियों को यह मेला अवश्य देखना चाहिए। (संस्मरण)
खीर भवानी मेला कब है?
हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के शुभ अवसर पर कश्मीरी पंडित माता रागन्या देवी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इसे खीर भवानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 2023 में 28 मई को खीर भवानी मेला कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीर घाटी के स्थानीय लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
खीर भवानी मेला क्या है?
हर साल ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि को यहां पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। कश्मीरी हिंदू यहां पर रोज देवी की पूजा करते हुए अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं। देवी दुर्गा के इस मंदिर का नाम खीर भवानी इसलिए प्रचलित हुआ क्योंकि माता को विशेष रूप से खीर का भोग लगाया जाता है। वसंत के मौसम में खीर चढ़ाई जाती है।
भारत में मेला खीर भवानी त्योहार कहां मनाया जाता है?
जून के महीने में जम्मू-कश्मीर में मेला खीर भवानी उत्सव मनाया जाता था। हर साल, हजारों कश्मीरी पंडित जेष्ट अष्टमी पर मंदिर जाते हैं।
खीर भवानी क्यों प्रसिद्ध है?
मंदिर का अनोखा नाम प्रसिद्ध भारतीय मिठाई खीर के नाम पर रखा गया है, जो देवी को मुख्य प्रसाद है। महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में इस मंदिर का निर्माण कराया था, जिसका बाद में महाराजा हरि सिंह ने जीर्णोद्धार कराया। मंदिर में एक षटकोणीय झरना और एक छोटा संगमरमर का मंदिर है जहां देवी की मूर्ति स्थापित है।