
|।ॐ।|आज का पंचांग

तिथि……….. द्वितीया
वार………….सोमवार
पक्ष………….कृष्ण
नक्षत्र……….. आश्लेषा
योग…………. विष्कंभ
राहु काल…….०८:४०–१०:००
मास(अमावसयन्त)…पौष
मास (पूर्णिमांत)…….माघ
द्रिक ऋतु…………. शिशिर
कलि युगाब्द….५१२४
विक्रम संवत्….२०७९
09 जनवरी ई. स. – 2023
आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो।
🔥ॐ📿ll #जयश्रीमहाकाल ll📿ॐ🔥

🛕🔱#भस्म रमैया श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्यप्रदेश🔱🛕
#भस्मश्रृंगारआरतीदर्शन
*स्वयंभू दक्षिणमुखी *ज्योतिर्लिंग राजाधिराज* मृत्युलोकाधिपति भूतभावन अवंतिकानाथ बाबा महाकाल का आज पावन दिव्य
#भस्मआरती श्रंगार दर्शन।
# सोमवार09 जनवरी _2023
🙏🏻🎀जय जय श्री महाकाल🎀. 🕉️ हर हर महादेव🕉️
“9 जनवरी/जन्म-दिवस”
देशभक्तिपूर्ण गीतों के गायक महेन्द्र कपूर

फिल्म जगत में देशभक्तिपूर्ण गीतों की बात चलने पर महेन्द्र कपूर का धीर-गंभीर स्वर ध्यान में आता है। यों तो उन्होंने लगभग सभी रंग के गीत गाये; पर उन्हें प्रसिद्धि देशप्रेम और धार्मिक गीतों से ही मिली।
महेन्द्र कपूर का जन्म नौ जनवरी, 1934 को अमृतसर में हुआ था। जब वे एक महीने के थे, तब उनके पिता मुंबई आकर कपड़े का कारोबार करने लगे थे। महेन्द्र कपूर घर और विद्यालय में प्रायः गाते रहते थे।
1953 में उन्हें पहली बार ‘मदमस्त’ नामक फिल्म में गाने का अवसर मिला। इससे उनकी पहचान बनने लगी। एक बार उन्हें एक गायन प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिला। उसमें नौशाद जैसे दिग्गज संगीतकार निर्णायक थे। महेन्द्र कपूर ने अपनी प्रतिभा के बल पर वहां प्रथम स्थान पाया। नौशाद ने प्रसन्न होकर उन्हें अपनी एक फिल्म में गाने का अवसर दे दिया।
इसके बाद फिर महेन्द्र कपूर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन दिनों मोहम्मद रफी, तलत महमूद, सी.एच.आत्मा, हेमंत कुमार, मुकेश, किशोर कुमार जैसे बड़े गायकों से ही सब निर्माता अपनी फिल्म में गीत गवाना चाहते थे। नया गायक होने के कारण उनके बीच में स्थान बनाना आसान नहीं था; पर महेन्द्र कपूर ने अपनी साधना और लगन से यह सफलता प्राप्त की।
प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी भी मूलतः पंजाब के ही थे। दस वर्ष की अवस्था में महेन्द्र कपूर ने उन्हें गाते हुए सुना था। तब से वे उन्हें अपना गुरु मानने लगे थे। गायकी में सफलता मिलने के बाद भी वे पंडित हुस्नलाल, भगतराम, पंडित जगन्नाथ बुआ, नियाज अहमद खां, अब्दुल रहमान खां, अफजल हुसैन खान, पंडित तुलसीदास शर्मा, नौशाद, सी.रामचंद्र जैसे वरिष्ठ संगीतकारों से लगातार सीखते हुए अपनी कला को परिमार्जित करते रहे।
निर्माता, निर्देशक और अभिनेता मनोज कुमार के साथ उनकी गहरी मित्रता थी। 1968 में मनोज कुमार ने जब ‘उपकार’ फिल्म बनाई, तो महेन्द्र कपूर का गाया गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती’ घर-घर में प्रसिद्ध हो गया।
इसी प्रकार ‘शहीद’ फिल्म का गीत ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ तथा ‘पूरब और पश्चिम’ के गीत ‘है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं; भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं’ आदि से उनकी पहचान देशभक्ति के गीत गाने वाले गायक के रूप में हो गयी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्द्र कपूर ने मराठी फिल्मों में भी गीत गाये। उन्होंने के.सी.बोकाड़िया की फिल्म ‘मैदान ए जंग’ के लिए भप्पी लहरी के निर्देशन में एक ही दिन (सात सितम्बर, 1993) को सात गीत रिकार्ड कराये। फिल्म जगत का यह अद्भुत कीर्तिमान है। दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत का शीर्षक गीत (अथ श्री महाभारत कथा) भी उन्होंने ही गाया था।
अपने जीवन के सांध्यकाल में उनका आकर्षण भक्ति गीतों की ओर हो गया। फिल्मी गीतों में जैसा छिछोरापन आ रहा था, वे उसे अपने स्वभाव के अनुकूल भी नहीं पाते थे। अपने गायन के लिए उन्हें पद्मश्री तथा अन्य अनेक मान-सम्मान मिले। 27 सितम्बर, 2008 को देश की धरती को सर्वस्व मानने वाले महेन्द्र कपूर सदा के लिए धरती की गोद में सो गये।
(संदर्भ : जनसत्ता 12.10.2008, अमर उजाला, विकीपीडिया)
👉 प्रणाम का महत्व 🏵️

महाभारत का युद्ध चल रहा था – एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर “भीष्म पितामह” घोषणा कर देते हैं कि – “मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा”
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई –
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए| तब –
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो –
श्रीकृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए –
शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि – अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो –
द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने – “अखंड सौभाग्यवती भव” का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!
“वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्रीकृष्ण यहाँ लेकर आये है” ?
तब द्रोपदी ने कहा कि – “हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं” तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया –
भीष्म ने कहा –
“मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्रीकृष्ण ही कर सकते है”
शिविर से वापस लौटते समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि –
“तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है “ –
” अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती “ –
……तात्पर्य्……
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि –
“जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है “” यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो “*बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई “अस्त्र-शस्त्र” नहीं भेद सकता –
“निवेदन 🙏🏻 सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय।“
क्योंकि:-
*प्रणाम प्रेम है।* *प्रणाम अनुशासन है।* *प्रणाम शीतलता है।* *प्रणाम आदर सिखाता है।* *प्रणाम से सुविचार आते है।* *प्रणाम झुकना सिखाता है।* *प्रणाम क्रोध मिटाता है।* *प्रणाम आँसू धो देता है।* *प्रणाम अहंकार मिटाता है।* *प्रणाम हमारी संस्कृति है।*
कुछ सुंदर सन्देश


🕉️🔱राम राम, सादर प्रणाम, शुभ सोमवार 🔱🕉️
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🌾☘️🌈”व्यक्ति ” क्या है यह महत्वपूर्ण नहीं हैं,परन्तु ” व्यक्ति में “क्या है यह बहुत महत्वपूर्ण है🌾☘️🌈
🌴🙏🌻अगर कोई दोस्त तुम्हे अपना राज बताऐं तो समझ लेना उसने अपनी इज्जत तुम्हे अमानत दी है,उस अमानत की हिफाजत करना 🌴🙏🌻
🌹🌱कई रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें जोडते जोडते इंसान खुद टूट जाता है!!🌱🌹