
उड़ाएँ प्यार की पतंग…………………….

सबको गले लगाकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
सोए हुए को जगाकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
ताययद* की तीरगी फिसरी हुई है चहुँ और !
आओ अंधेरा भगाकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
ना किसी को दें दगा ना किसी का छीने हक़!
सभी से हम वफाकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
वतन के लिए जिएँ और वतन के लिए मरें!
फर्ज़ अपना अदाकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
गले लगाएँ मजलूमों और बेसहारों को नवल!
प्यार दिलों से जताकर उड़ाएँ प्यार की पतंग!
©️ नवल किशोर “नवल”
ताययद*=भेदभाव
तीरगी=अंधेरा