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कविता | बच्चों में बढ़ता तनाव

शीर्षक – बच्चों में बढ़ता तनाव

श्री बजरंग लाल सैनी ने अपनी लेखनी से एक मनोवैज्ञानिक समस्या के कारण को ढूंढने का प्रयास किया है।

बच्चों में बढ़ता तनाव , क्या पढ़ाई का बढ़ता दबाव?


क्या कारण है घुट घुट कर जीने का,
क्या माँ-बाप के शराब पीने का?


या थोपी गई अभिलाषा माँ-बाप की,
या असंयत दिनचर्या हुई आप की,
डिजिटल फोन या इंटरनेट का जाल,
क्या है जो बन रहा बचपन का काल,
अनिद्रा, भय, चिंता, उग्रता क्यों बढ़ रही,
क्या प्रतियोगिता की असफलता सिर चढ़ रही,
असमर्थता, अन्यमनस्कता, एकाकीपन का भाव,
गुमसुम रहना, छोटी छोटी बातों पर क्यों आता ताव?


बच्चों को हम समय दें, बच्चे बने उनके संग,
शारीरिक व्यायाम, खेलकूद, अपनेपन का भरें रंग,
ना थोपे अपनी अपेक्षाएँ और असंभव अभिलाषा,
मुक्त भाव से बहने दें, करने दें पूरी आशा,
हमदर्दी का भाव जताएँ, वह खास है उसे बताएँ,
भविष्य हैं वे देश के”वज्रघन” , आओ उनका बचपन बचाएँ।


बजरंग लाल सैनी वज्रघन
स्वरचित मौलिक रचना