राजकीय भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनेंगे
राजस्थान में राजकीय भवनों पर फिजिबिलिटी के आधार वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए जाएंगे। ‘अटल भूजल योजना’ के तहत ये स्ट्रक्चर राज्य के 17 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में बनेंगे। इनसे वर्षां जल का संचयन एवं सरक्षण होगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जलदाय एवं भूजल डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को प्रदेश में जल संरक्षण एवं भूजल रिचार्ज की दिशा में नवाचार के तहत यह निर्णय लिया गया।
डॉ. अग्रवाल ने संबंधित विभागों को योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का उपयोग जल संरक्षण एवं भूजल के क्षेत्र में नवाचार करने पर बल दिया।
■ इस क्रम में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग माइक्रो – इरिगेशन गतिविधियों को अधिकतम स्तर पर लागू करेंगे।
■ पानी की अधिकतम बचत के लिए सभी तरह की फसलों के लिए ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग एवं उसका महत्व
इसकी मदद से जमीन के भीतर के पानी का स्तर बढ़ जाता है। ये तकनीक पूरी दुनिया में अपनाई जा रही है। ये प्रणाली उन सारी जगहों पर इस्तेमाल हो सकती है, जहां हर साल न्यूनतम 200 मिलीमीटर बारिश होती है। इससे भविष्य के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
वर्षा जल संचयन के तरीके और फायदे
वर्षा जल संचयन करने के कई तरीके हैं। इनमें से कुछ तरीके वर्षा जल का संचयन करने में बहुत ही कारगर साबित हुए हैं। संचयन किए हुए वर्षा जल को हम व्यावसायिक और साथ ही घरेलू उपयोग में भी ला सकते हैं।
इन तरीकों में कुछ तरीकों के जमा किए हुए पानी को हम घरेलू उपयोग में ला सकते हैं और कुछ तरीकों से बचाए हुए पानी का हम व्यापारी क्षेत्र में उपयोग में ला सकते हैं। चलिए रेन वाटर हारवेस्टिंग के इन बेहतरीन तरीकों को जानते हैं।
1. सतह जल संग्रह सिस्टम Surface Water Collection Systems
सतह जल वह पानी होता है जो वर्षा के बाद ज़मीन पर गिर कर धरती के निचले भागों में बहकर जाने लगता है। गंदी अस्वस्थ नालियों में जाने से पहले सतह जल को रोकने के तरीके को सतह जल संग्रह कहा जाता है। बड़े-बड़े ड्रेनेज पाइप के माध्यम से वर्षा जल को कुआं, नदी, ज़क तालाबों में संग्रहण करके रखा जाता है जो बाद में पानी की कमी को दूर करता है।
2. छत प्रणाली Rooftop system
इस तरीके में आप छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को संजय करके रख सकते हैं। ऐसे में ऊंचाई पर खुले टंकियों का उपयोग किया जाता है जिनमें वर्षा के पानी को संग्रहण करके नलों के माध्यम से घरों तक पहुंचाया जाता है।
3. बांध Dams
बड़े बड़े बांध के माध्यम से वर्षा के पानी को बहुत ही बड़े पैमाने में रोका जाता है जिन्हें गर्मी के महीनों में या पानी की कमी होने पर कृषि, बिजली उत्पादन और नालियों के माध्यम से घरेलू उपयोग में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
जल संरक्षण के मामले में बांध बहुत उपयोगी साबित हुए हैं इसलिए भारत में कई बांधों का निर्माण किया गया है और साथ ही नए बांध बनाए भी जा रहे हैं।
4. भूमिगत टैंक Underground Tanks
यह भी एक बेहतरीन तरीका है जिसके माध्यम से हम भूमि के अंदर पानी को संरक्षित रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में वर्षा जल को एक भूमिगत गड्ढे में भेज दिया जाता है जिससे भूमिगत जल की मात्रा बढ़ जाती है।
साधारण रूप से भूमि के ऊपर ही भाग पर बहने वाला जल सूर्य के ताप से भाप बन जाता है और हम उसे उपयोग में भी नहीं ला पाते है परंतु इस तरीके में हम ज्यादा से ज्यादा पानी को मिट्टी के अंदर बचा कर रख पाते हैं।
यह तरीका बहुत ही मददगार साबित हुआ है क्योंकि मिट्टी के अंदर का पानी आसानी से नहीं सूखता है और लंबे समय तक पंप के माध्यम से हम उसको उपयोग में ला सकते हैं।
5. जल संग्रह जलाशय Water Collection Reservoirs
यह साधारण प्रक्रिया है जिसमें बारिश के पानी को तालाबों और छोटे पानी के स्रोतों में जमा किया जाता है। इस तरीके में जमा किए हुए जल को ज्यादातर कृषि के कार्यों में लगाया जाता है क्योंकि यह जल दूषित होता है।