नागौर राजस्थान के नागौर शहर की स्थापना महाभारत काल में हुई थी और तब इसे अहिछत्रपुर नगरी के नाम से जानते थे। अक्षय तृतीया पर नागौर शहर का स्थापना दिवस है।
सैकड़ों वर्षों पूर्व नागौर शहर व शहरवासियों को बाहरी आक्रमण से बचाने और सुरक्षित रखने के लिए शहर के चारों तरफ नया दरवाजा, कुम्हारी दरवाजा, अजमेरी दरवाजा, माही दरवाजा, नक्कास दरवाजा, दिल्ली दरवाजा व नाहर दरवाजा सहित सात दरवाजों का निर्माण करवाया गया था। इसके पीछे तत्कालीन शासकों की सोच शहरवासियों को सुरक्षित रखने की थी। जब भी कोई बाहरी आक्रांता या संकट शहर पर आने की गुंजाइश भर भी होती, इन दरवाजों को बंद कर शहरवासियों को महफूज कर दिया जाता था।
नागौर का निर्माता चौहान शाषक सोमेश्वर के सामंत कैमास को माना जाता है। किले की नींव 1154 ई. में रखी गयी। ऐसा कहा जाता है कि नागौर का किला शुरू में दूसरी शताब्दी में नाग वंश के शासक द्वारा बनवाया गया था, और थार रेगिस्तान के पूर्वी किनारे पर स्थित यह 500 साल पुराना किला लगभग 1523 में बनाया गया था। मुगल बादशाह औरंगजेब यहाँ रहा करता था.
ईस्वी सन् 1000 में नागवंशीय क्षत्रिय तक्षकों के पतन से मुगल काल में अकबर के शासन तक नागौर सम्पूर्ण मारवाड़ क्षेत्र में राजनीतिक दृष्टि से प्रमुख स्थान रहा था। तब से लेकर अब तक नागौर के स्थापना दिवस की मान्य तिथि अक्षय तृतीया ही रही है। दरअसल, उपलब्ध इतिहास में पृथ्वीराज के सामन्त कैमास के नागौर के अहिछत्रगढ़ के पुनर्निर्माण की तिथि अक्षय तृतीया ही बताई जाती है। इसलिए ये दिन नागौर के लिए बेहद ख़ास है।
नागौर जिले में धार्मिक स्थल
– वीर तेजाजी का मन्दिर खरनाल गाँव
– संत लिखमिदास जी महाराज मंदिर अमरपुरा गाँव
– पशुपतिनाथ मंदिर माझंवास नागौर
– चतुरदासजी महाराज मंदिर बुटाटी गाँव
– हरीराम जी महाराज मंदिर झोरङा गाँव
– मीरा बाई मन्दिर मेङता गाँव
– दधिमती माता मंदिर गोठ मागलोद गाँव जायल
– सूफी हमीदुद्दीन नागौरी दरगाह
– बड़े पीर साहब गोस पाक की दरगाह
आवागमन के साधन
हवाई अड्डा : सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर विमानक्षेत्र है। यह जगह नागौर से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग : नागौर का सबसे बङा रेल्वे स्टेशन मेड़तारोड़ का है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नागौर में है।
सड़क मार्ग : नागौर के लिए सीधी बस-सेवा है। दिल्ली, अहमदाबाद, अजमेर, आगरा, जयपुर, जैसलमैर और उदयपुर से बस-सेवा की सुविधा उपलब्ध है।
अहिछत्रपुर दुर्ग नागौर की पूरी जानकारी
- नाम – अहिछत्रपुर दुर्ग या नागौर का किला
- निर्माण करवाया – चौहान शासक सोमेश्वर के सामंत कैमास ने
- उपनाम- नागदुर्ग ,नागणा, नागपट्टन
- श्रेणी – धान्वन दुर्ग ,स्थल दुर्ग
- निर्माण हुआ – वि.सं.- 1211 में निर्माण हुआ
- स्थान – नागौर
- राज्य – राजस्थान ( भारत )
- किले के दरवाजे – छः
- दुर्ग के बुर्ज – 28 बुर्जे है !
अहिछत्रपुर दुर्ग के दरवाजो के नाम – सिराईपोल, बिचलीपोल, कचहरी पोल, सूरज पोल, धूपी पोल और राजपोल है ! नागौर के अहिछत्रपुर दुर्ग को देखने के लिए खुलने का समय – किला सप्ताह के सभी दिनों के लिए किला खुला रहता है ! खुलने का समय सुबह 8:30 से दोपहर 1:00 और दोपहर 2:30 से शाम 5:00 बजे तक है !
अहिछत्रपुर दुर्ग नागौर का इतिहास History of Ahichhatrapur Fort Nagaur
अहिछत्रपुर दुर्ग नागौर की नींव 1154 ई. में रखी गई ! नागौर दुर्ग का परकोटा लगभग 5000 फीट लम्बा है तथा इसकी प्राचीर में 28 विशाल बुर्जे बनी हुई हैं ! किले के चारों ओर दोहरी प्राचीर निर्मित है ! किले में 6 विशाल दरवाजे सिराईपोल, बिचलीपोल, कचहरीपोल, सूरजपोल, धूपीपोल और राजपोल हैं ! अहिछत्रपुर दुर्गनागौर 2100 गज के घेरे में फैला हुआ है ! किले में 1570 ई. में अकबर ने प्रसिद्ध ‘नागौर दरबार’ का आयोजन किया, यहाँ पर अनेक राजपूत शासकों द्वारा मुगल आधिपत्य स्वीकार किया ! महाराजा गजसिंह के अनुरोध पर मुगल सम्राट शाहजहाँ ने नागौर का किला अमरसिंह को दे दिया !
अमरसिंह की शूर वीरता और पराकरम के कारण नागौर (अहिछत्रपुर ) प्रसिद्ध हो गया ! जोधपुर के महाराजा अभयसिंह (1724-1748 ई.) ने इसे अपने भाई बखतसिंह को जागीर में दे दिया ! इसके बाद नागौर पर अधिकत्तर राठौड़ों का ही अधिकार रहा !
प्रसिद्ध –
अहिछत्रपुर दुर्गनागौर के भीतर सुंदर भित्तिचित्र बने हुए हैं ! इनमें बादल महल और शीश महल के चित्र दर्शनीय हैं ! इन चित्रों में राजसी वैभव और लोक जीवन का सुंदर समन्वय दिखलाई पड़ता है ! पेड़ के नीचे संगीत सुनते प्रेमी युगल, उद्यान में हासपरिहास करती रमणियाँ, राजदरबार के दृश्य, विविध नस्लों के चुस्त घोड़े, बेलबूंटों और पुष्पलता का चित्रण, नृत्य एवं गायन में तल्लीन और उद्यान में विहार करती नायिकाओं का चरित्र-चित्रण सुन्दर और कलापूर्ण हैं !