
हिंदु सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ सबसे दुखद ये हुआ कि जैसे ही पृथ्वीराज चौहान ने अपने शब्दवेदी तीर से मोहम्मद गोरी को मारा उसके बाद ही पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी । इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया था। वहीं जब पृथ्वीराज के मरने की खबर संयोगिता ने सुनी तो उसने भी अपने प्राण ले लिए।
Summary:
- पृथ्वीराज चौहान का इतिहास बहुत पुराना है।
- वह 12 वीं सदी के भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण राजा थे।
- उन्होंने एक सशक्त सेना बनाई और दिल्ली के खिलजी राजवंश को हराने के लिए लड़ाई लड़ी।
- उन्होंने राजस्थान के भीतर अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए कई युद्ध लड़े।
- उनकी प्रतिरक्षा क्षमता शानदार थी और उन्होंने अपनी सेना को इतिहास में स्थान देने में मदद की।
पृथ्वीराज चौहान की प्रचलित कहानी
पृथ्वीराज (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे…. जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उन्होंने 13 साल की उम्र में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को संभाला. पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योद्धा थे।
पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में एक थे. उनका राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला हुआ था. वे बहुत ही साहसी, युद्ध कला में निपुण और अच्छे दिल के राजा थे, साथ ही बचपन से ही तीर कमान और तलवारबाजी के शौकिन थे।
पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी जयचंद ने अपनी बेटी संयोगिता का स्वयंवर का आयोजन किया उसमें पृथ्वीराज चौहान जी को आमंत्रित नहीं किया लेकिन संयोगिता मन में यह प्रण ले चुकी थी कि वे पृथ्वीराज चौहान के गले में ही माला पहनाएगी।
पृथ्वीराज चौहान ने स्वयंवर से ही राजकुमारी संयोगिता लिया और गन्धर्व विवाह किया और यही कहानी अपने आप में एक मिसाल बन गई।
प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने बार बार युद्ध करके पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर ऐसा ना हो पाया. पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में परास्त किया और दरियादिली दिखाते हुए कई बार माफ भी किया और छोड़ दिया पर अठारहवीं बार मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में मात दी और बंदी बना कर अपने साथ ले गया. पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई दोनों ही बन्दी बना लिए गए और सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखें गर्म सलाखों से फोड दी गई.
मोहम्मद गौरी ने चन्द्रवरदाई के द्वारा पृथ्वीराज चौहान की आखिरी इच्छा पूछने को कहा. क्योंकि चन्द्रवरदाई पृथ्वीराज चौहान के करीब थे. पृथ्वीराज चौहान में शब्दभेदी बाण छोड़ने के गुण भरे पड़े थे. ये जानकारी मोहम्मद गोरी तक पहुंचाई गई जिसके बाद उन्होंने कला प्रदर्शन के लिए मंजूरी भी दे दी. जहां पर पृथ्वीराज चौहान अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले थे वहीं पर मौहम्मद गौरी भी मौजूद थे. गौरी को मारने की योजना चन्द्रवरदाई के साथ मिलकर पृथ्वीराज चौहान ने पहली ही बना ली थी. जैसे ही महफिल शुरू होने वाली थी चन्द्रवरदाई ने काव्यात्मक भाषा में एक पक्तिं कही…
‘चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान”
ये दोहा चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत देने के लिए कहा था. जैसे ही इस दोहे को सुनकर मोहम्मद गोरी ने ‘शाब्बास’ बोला. वैसे हीं अपनी दोनों आंखों से अंधे हो चुके पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को अपने शब्दभेदी बाण के द्वारा मार डाला.
वहीं दुखद ये हुआ कि जैसे ही मोहम्मद गोरी मारा गया उसके बाद ही पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी. इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया. वहीं जब पृथ्वीराज के मरने की खबर संयोगिता ने सुनी तो उसने भी अपने प्राण ले लिए.
अन्य बिंदू
- भारत के इतिहास में कई महान राजा हुए हैं और उनमें से एक हैं पृथ्वीराज चौहान जो देश के अंतिम हिंदू राजा थे।
- पृथ्वीराज की महत्त्वाकांक्षा और उनकी कट्टरता की वजह से उन्होंने सामरिक दृष्टि से भी बड़े से बड़े योधाओं से लड़ाई ली। उन्होंने मुसलमान राजाओं के साथ भी कई युद्ध किए और उन्हें हराया।
- पृथ्वीराज ने एक सुंदर राजकुमारी संयोगिता के साथ विवाह किया। वो चंद्रवंशी राजपूतों की बेटी थी और उस वक्त स्थानीय स्तर पर कुछ बड़ा नहीं होता था।
- पृथ्वीराज को संयोगिता से प्यार हुआ था लेकिन उनकी माता ने संयोगिता को महारानी के स्थान के लिए योग्य नहीं समझा।
- पृथ्वीराज चौहान ने अपनी कट्टरता के चलते और मान-सम्मान की वजह से अपने समक्ष आने वाले मुसलमान सुल्तान मोहम्मद गोरी से युद्ध किया और उन्हें दो युद्धों में हरा दिया। लेकिन तीसरे युद्ध में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वो गोरी के बंगले में जा बैठा।
- गोरी ने पृथ्वीराज को धोखा देकर उन्हें आसानी से पकड़ लिया था।
इस तरह पृथ्वीराज चौहान ने अपनी कट्टरता और समय पर समझ में न आने की वजह से अपनी जान गंवा दी। उन्होंने अपने शहरों के निर्माण में बहुत योगदान दिया था जो आज भी हमारे देश के सामाजिक संस्थानों में काम में आते हैं।
इसी तरह की लेखनी की बहुत सी कहानियाँ हमें हमारे देश के इतिहास के बारे में बताती हैं और हमें इनको जानना बहुत जरूरी है। अगली बार हम आपके लिए कुछ ऐसी ही हुई कहानियाँ लाएंगे। जब तक आप हमारे इमेल न्यूजलेटर के सदस्य नहीं होंगे, तब तक आप इन कहानियों से वंचित रहेंगे। ऐसा न हो, तो हमारे ईमेल न्यूजलेटर का सदस्य बनें और हमारे साथ जुड़े रहें।