
बजरंग लाल सैनी पुरजोर शब्दो मे नारी सशक्तिकरण की आवाज उठाने के लिए अपनी कलम का इस्तेमाल करते है। श्री सैनी की कविता का पाठ करने से पूर्व उनकी जुबानी कुछ शब्द सुनिये। सादर।
“नारी की महिमा,सीमाओं और व्यथाओं को शब्दों में बांधने का प्रयास किया है लेकिन इस कार्य में कितना सफल हुआ हूँ, पता नहीं है।”
श्री बजरंग लाल सैनी
मैं इस देश की नारी हूँ।
मैं इस देश की नारी हूँ, कोमल-कुसुम नहीं,
दहकती चिनगारी हूँ,
युगों से पीड़ित, वंचित, रक्षित, दान, दया,
क्षमा, वत्सल की पुजारी हूँ।
मैं इस देश की नारी हूँ।
विश्वंवरा, गर्गवंशी गार्गी-सी वेदपाठी,
लोपामुद्रा, मैत्रेयी-सी ब्रह्मवादिनी,
सीता-सी पति परायण, मृदुल वत्सला
किंतु रजक के निर्मम शब्दों से हारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।
शबरी, मीरा की सी पावन भक्ति,
यशोदा और पन्नाधाय में वत्सल की शक्ति,
यज्ञजा पांचाली मुक्तकेशी द्रौपदी मैं,
दुर्योधन की कुत्सित दृष्टि की मारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।।
वशिष्ठ पत्नी अरूंधती, माता अनुसुया, देवकी,
सती पार्वती-सी उत्तम भार्या,
सावित्री, जिसने यम को पराभूत किया,
अहल्या-सी पति की दुत्कारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।
अहिल्याबाई होल्कर, बेगम हजरत महल,
रानी दुर्गावती-सी प्रबल,
बन मर्दानी देशहित लोहा लिया,
मैं मनु सब अंग्रेज़ों पर भारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।
वीर शिवा को राष्ट्रपाठ पढाती जीजाबाई,
गुरु रक्षार्थ शीश कटाती कालीबाई,
नारी में ज्ञान की अलख जगाती सावित्रीबाई,
शिक्षा की ज्वलंत चिनगारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।
कोख में कैंची, तीन तलाक, घर में आग,
होटलों के तंदूर हैं मेरे भाग,
निर्भया-सी हर क्षण झिंझोड़ी जाती,
काम-पिपासुओं से सदैव हारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।।
हर प्रहार पर गोल्ड लाती मेरिकॉम, पीटी ऊषा,
हिमादास का वो दमखम,
कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स का परवाज़,
आकाश में सब पर भारी हूँ,
मैं इस देश की नारी हूँ।
लेखक परिचय

खंडेला जिला सीकर राजस्थान।