विद्यालय का पुस्तकालय
पुस्तकालय मानव-जीवन के विकास तथा प्रगति का महत्त्वपूर्ण साधन है। इसमें विभिन्न विषयों पर अनेक श्रेष्ठ लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकों का संग्रह होता है। ये पुस्तकें व्यक्ति की ज्ञान पिपासा को शांत करती हैं, अतः प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में पुस्तकालय का होना अनिवार्य है।
हमारे विद्यालय का पुस्तकालय विद्यालय की पहली मंजिल पर एक बड़े हॉल में स्थित है। यहाँ साठ-सत्तर अलमारियों में पुस्तकें रखी हुई हैं। पुस्तकों के अतिरिक्त विद्यालय में अनेक दैनिक, साप्ताहिक और मासिक पत्र-पत्रिकाएँ भी आती हैं। पुस्तकालय के बीचों-बीच तीन बड़ी मेजें हैं। एक मेज हिन्दी-अंग्रेजी दैनिक समाचार-पत्रों के लिए है। दूसरी, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं के लिए है और तीसरी शिक्षकों के लिए हैं ताकि शिक्षकगण संदर्भग्रंथों का अध्ययन कर सकें। मेज के तीन ओर बँच तथा कुर्सियाँ रखी हैं, जिन पर बैठकर विद्यार्थी तथा अध्यापक सरलता से पुस्तकें तथा पत्र- पत्रिकाएँ पढ़ सकते हैं।
पुस्तकालय की बड़ी मेज के समीप एक साधारण मेज रखी है। यह पुस्तकालयाध्यक्ष की मेज है। मेज के ओर एक कुर्सी रखी है। यह पुस्तकालयाध्यक्ष के बैठने का स्थान है। कुर्सी के समीप एक रैक रखा है, जिसमें कुछ रजिस्टर रखे हैं। मेज के दाईं बाईं ओर कुर्सियाँ रखीं हैं, जहाँ अध्यापक बैठ सकते हैं।
विद्यालय की दीवारों पर सुभाषित और सूक्तियाँ लिखी हुई हैं, जो अनजाने पाठकों के हृदयों को गुदगुदाती हैं, श्रेष्ठ आचरण की प्रेरणा देती हैं।
अलमारियों में पुस्तकें विषय और विधा के अनुसार रखी हुई हैं। प्रायः प्रत्येक विषय की पृथक् अलमारी है। अलमारियों के कपाट शीशे के हैं। उन पर विषय या विधा का नाम
अंकित है। जैसे—हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें, उपन्यास-कहानी, नाटक-एकांकी, कविता, निबंध आदि विधाओं में विभक्त हैं। इनके अतिरिक्त अन्य पुस्तकें भौतिकी रसायन, जीव-विज्ञान, भूगर्भशास्त्र, अर्थशास्त्र, भारतीय अर्थशास्त्र, वाणिज्य सिद्धांत, बुक कीपिंग, ऐडवांस एकाउन्टेंसी, नागरिक शास्त्र, भारतीय नागरिक शास्त्र, गणित, ज्योमेट्री टिग्नोमैट्री आदि विषयों में विभक्त हैं।
प्रत्येक पुस्तक पर विषय, क्रम-संख्या तथा पुस्तकालय की पुस्तक संख्या अंकित हैं। प्रत्येक पुस्तक में एक कार्ड रखा है, जिसमें पुस्तक देने तथा वापिस लौटाने की तिथि लिखी जाती है। विलम्ब से पुस्तक लौटाने वाले को अर्थ दण्ड देना पड़ता है।
एक विशिष्ट अलमारी कोश ग्रंथों की है। इसमें हिन्दी हिन्दी, अंग्रेजी-हिन्दी, हिन्दी अंग्रेजी, उर्दू-हिन्दी के विभिन्न कोश हैं। साथ ही अनेक प्रकार के विज्ञान-कोश, मुहावरे- लोकोक्ति कोश, सूक्ति कोश, साहित्यिक कोश रखे हैं। विशिष्ट अध्ययन के लिए अंग्रेजी तथा हिन्दी, दोनों भाषाओं में विश्वकोश भी रखे हुए हैं। तीन-चार अलमारियों के ऊपर रखी हैं दैनिक अखबारों की रद्दी तथा साप्ताहिक-
मासिक पत्र-पत्रिकाओं के पिछले अंक। इन पर प्रायः धूल पड़ी रहती है। हमारे विद्यालय के पुस्तकालय का वातावरण बड़ा शान्त है। पुस्तकालय में प्रवेश करने पर विद्यार्थी का हाथ तुरन्त किसी पत्र-पत्रिका अथवा पुस्तक पर उसी प्रकार जाता है, जैसे किसी मन्दिर में प्रवेश करने पर श्रद्धा से विभोर मानव देव-प्रतिमा के सम्मुख नतमस्तक हो जाता है।
सप्ताह में एक दिन हमारी कक्षा का एक पीरियड पुस्तकालय का भी होता है। इस पीरियड में हम पिछले सप्ताह ली हुई पुस्तक लौटाते हैं और कोई नई पुस्तकें लेते हैं। पुस्तकालय से हमें विभिन्न विषयों और विधाओं की पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिलता है। जिसे हमारे ज्ञान में वृद्धि होती हैं।
हिन्दी के दैनिक समाचार-पत्रों में दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी आदि आते हैं। अंग्रेजी के दैनिकों में हिन्दुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दू तथा पेट्रियोएट आते हैं। हिन्दी साप्ताहिकों में पाँचजन्य और इंडिया टुडे आते हैं, तो अंग्रेजी साप्ताहिकों में ‘इंडिया टुडे’ आर्गनाइजर का प्रमुख स्थान है। हिन्दी मासिकों में कादम्बिनी प्रमुख है। बच्चों की चार प्रमुख पत्रिकाएँ – पराग, नन्दन, देवपुत्र और बालभारती जैसी लोकप्रिय पत्रिकाएँ भी हमारे विद्यालय का पुस्तकालय मँगाता है। इनके अतिरिक्त खेलकूद तथा स्वास्थ्य संबंधी पत्रिकाएँ भी हमारे विद्यालय पुस्तकालय को सुशोभित करती हैं।
हमारे विद्यालय का पुस्तकालय स्वच्छ और सुन्दर है, पुस्तकों से समृद्ध है, पत्र- पत्रिकाओं से भरपूर है, अध्ययनशील वातावरण से सुगन्धित है। यह ज्ञान-विज्ञान का प्रसारक है और है मानसिक क्षुधा शान्ति का साधन ।