मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति सभी ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास की लगाई जाएगी प्रदर्शनी – 11283 ग्राम पंचायतों में लगेगी प्रदर्शनी
जयपुर, 3 अप्रेल। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने ‘राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन’ (आरएसपीडीएम) के अंतर्गत प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास (बहुवर्षीय चारा फसल) की प्रदर्शनी लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के अंतर्गत हाइब्रिड नेपियर घास की प्रदर्शनी प्रत्येक ग्राम पंचायत में 0.2 हेक्टेयर भूमि में प्रगतिशील किसानों, विभाग के फार्म, कृषि प्रशिक्षण केन्द्र (एटीसी) एवं प्रमुख गौशालाओं में लागाई जाएगी। इसके लिए ‘कृषक कल्याण कोष’ से 23 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार किसानों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं तथा कृषि क्षेत्र में कई नवाचार हुए हैं। श्री गहलोत द्वारा 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की गई।
हाइब्रिड नेपियर घास एक बहुवर्षीय चारा फसल है। इसे हर प्रकार की जलवायु एवं मिट्टी में उगाया जा सकता है। किसानों और पशु पालकों के लिए यह एक बेहतर पशु चारा विकल्प है।
राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन
राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के अंतर्गत आगामी वर्ष 23 लाख लघु/ सीमांत कृषको को प्रमुख फसलों के प्रमाणित किस्मों के बीज के मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध करवाये जायेंगे। इस पर लगभग 130 करोड़ रुपये व्यय होंगे।
हाइब्रिड नेपियर घास
वर्तमान में हरे चारे की माँग एवं आपूर्ति के इस अन्तर को पाटने, चारा उत्पादन की लागत को कम करने तथा वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता बनाये रखने के लिये पारम्परिक चारा फसलों के साथ-साथ बहुवर्षीय हरे चारे की खेती भी करना आवश्यक है. संकर नेपियर घास की खेती (Napier Grass Cultivation) इस क्रम में एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे अन्य चारा फसलों की अपेक्षा कई गुना हरा चारा मिलता है. साथ ही इसकी खेती से 4-5 वर्षों तक बुवाई पर होने वाले व्यय की भी बचत होती है.संकर नेपियर घास (Hybrid Napier Grass) एक बहुवर्षीय चारा फसल है एक बार बोने पर 4-5 वर्ष तक सफलतापूर्वक हरा चारा उत्पादन करती है. यह तीव्र वृद्धि, शीघ्र पुर्नवृद्धि, अत्यधिक कल्ले, अत्यधिक पत्तियों आदि गुणों के साथ-साथ 2000 से 2500 कु0/है/वर्ष तक हरा चारा उत्पादन देने में सक्षम है. यह 40 दिन में 4-5 फुट उँची हो जाती है तथा इस अवस्था पर इसका पूरा तना व पत्तियां हरे रहते हैं जिसके कारण यह रसीली तथा सुपाच्य होती है और पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं.
उत्तर भारत में दिसम्बर व जनवरी माह को छोड़कर शेष महीनों में तीव्र वृद्धि करती है. यह जल भराव को सहन नहीं करती है. भारी मृदाओं की अपेक्षा इसकी खेती के लिये बलुई दोमट से बलुई मृदायें जिनमें सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो अच्छी रहती है. संकर नेपियर घास 5.0 से 8.0 तक पी.एच. को सहन करने की क्षमता रखती है.
इसके लिये एक गहरी जुताई हैरो या मिट्टी पलट हल से तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करके रिज मेकर से 60 सेमी. से 100 सेमी. की दूरी पर मेढ़ बना लेते है. मेढ़ों की ऊॅचाई लगभग 25 सेमी. रखते हैं. यदि सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो , तो इसका रोपण 15 फरवरी से सितम्बर माह के अन्त तक किया जा सकता है अन्यथा बरसात के महीनों में इसका रोपण करें.
नेपियर घास की खेती के लिए रोपण विधि (Planting Method for Napier Grass Cultivation)
60 से 100 सेमी. की दूरी पर 25 से.मी. उँची बनी मेढ़ों पर मेढ़ के दोनो तरफ दो तिहाई ऊॅचाई पर जिग-जैग रूप से संकर नेपियर घास की जड़ों या तने की कटिंग को 60 सेमीं. की दूरी पर लगाकर, आधार पर अच्छी तरह दबा देते हैं. कटिंग को थोड़ा तिरछा करके इस प्रकार लगाते है कि कटे भाग को सीधी धूप से बचाया जा सके. रोपण के तुरन्त बाद खेत में पानी लगा देते है. कटिंग लगाने के लिये 3-4 माह पुराने तनो का चुनाव करना चाहिये. तने की कटिंग इस प्रकार तैयार करते हैं कि उसमें दो गॉठ हों. एक गॉठ को मिट्टी में दबा देते हैं तथा दूसरी गॉठ को ऊपर रखते हैं. पौधों से पौधों की दूरी 60 से.मी. तथा लाइन से लाइन की दूरी 60 से.मी., 80 से.मी. तथा 100 से.मी. रखने पर क्रमशः 55300, 41700 तथा 33300 जड़ों या दो गॉठ के तनों की प्रति हैक्टेअर आवश्यकता होती है.
नेपियर घास की खेती के लिए खरपतवार प्रबन्धन (Weed Management for Napier Grass Cultivation)
रोपण के 30 दिन के भीतर मेढ़ां पर से निराई गुड़ाई करके घास निकाल देनी चाहिये तथा बीच के स्थान पर कस्सी द्वारा खुदाई करके खरपतवार प्रबन्धन करना चाहिये. इसी समय खाली स्थानों पर नई कटिंग लगाकर गैप फिलिंग भी कर देनी चाहिये.