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राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971

राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971
(01. Notification No. F. 4(3)Apptt. (A-III)/65 dated 4-8-1972 w.e.f. 18- 8-1972)

1. संक्षिप्त नामविस्तार एवं प्रयोग

(1) ये नियम “राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971 ” कहलायेंगे।

(2) ये तुरन्त प्रभावशील (लागू) होंगें।

(3) इन नियमों में या इनके द्वारा अन्यथा उपबन्धित को छोड़कर, ये राज्य के कार्यकलापों के संबंध में सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्त सभी व्यक्तियों पर लागू होंगें।

परन्तु यह है कि जब कोई सरकारी कर्मचारी किसी अन्य राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार की प्रतिनियुक्ति पर होगा, तो वह उस प्रतिनियुक्ति की अवधि में (उस) उधारगृहीता सरकार के आचरण नियमों से शासित होगा और उस सीमा तक (उस पर) ये नियम लागू नहीं होंगें।

परन्तु यह भी है कि राज्यपाल किसी सामान्य या विशेष आज्ञा द्वारा किसी विशेष वर्गीकरण के सरकारी कर्मचारियों को इन सम्पूर्ण नियमों या उनके किसी भाग के प्रयोग से मुक्त कर सकेंगे।

परन्तु आगे यह भी है कि जो सरकारी कर्मचारी अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्य है, और अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) नियम 1968 के अधीन है, उन पर ये नियम प्रभावशील नहीं होंगे।https://googleads.g.doubleclick.net/pagead/ads?client=ca-pub-1859869527066136&output=html&h=250&slotname=8719642365&adk=3262395525&adf=2507117894&pi=t.ma~as.8719642365&w=250&fwrn=6&fwrnh=100&lmt=1682412765&rafmt=1&format=250×250&url=https%3A%2F%2Fwww.rajteachers.in%2F%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582-%25E0%25A4%2586%2F&fwr=0&fwrattr=true&rpe=1&resp_fmts=3&sfro=1&wgl=1&uach=WyJBbmRyb2lkIiwiMTIuMC4wIiwiIiwiUk1YMzA4NSIsIjExMi4wLjU2MTUuMTM2IixbXSx0cnVlLG51bGwsIiIsW1siQ2hyb21pdW0iLCIxMTIuMC41NjE1LjEzNiJdLFsiR29vZ2xlIENocm9tZSIsIjExMi4wLjU2MTUuMTM2Il0sWyJOb3Q6QS1CcmFuZCIsIjk5LjAuMC4wIl1dLGZhbHNlXQ..&dt=1682412760885&bpp=7&bdt=1631&idt=4959&shv=r20230420&mjsv=m202304190101&ptt=9&saldr=aa&abxe=1&cookie=ID%3Df1664a329d6a5921-22d346377bd700dc%3AT%3D1666516595%3ART%3D1666516595%3AS%3DALNI_MbxcZ1ugmVM6YlbGzxMfXUVlj3JWQ&gpic=UID%3D00000b69c3a0a747%3AT%3D1666516595%3ART%3D1681576255%3AS%3DALNI_MZn1zgKuHVM757m1u04ZoF7IKzjng&prev_fmts=250×250&correlator=4091569183263&frm=20&pv=1&ga_vid=769310679.1666516594&ga_sid=1682412766&ga_hid=383495374&ga_fc=1&u_tz=330&u_his=9&u_h=800&u_w=360&u_ah=800&u_aw=360&u_cd=24&u_sd=3&dmc=8&adx=55&ady=2251&biw=360&bih=664&scr_x=0&scr_y=135&eid=44759837%2C44759876%2C44759927%2C31074087%2C44786502%2C44789761&oid=2&pvsid=671155545611359&tmod=1986446594&uas=3&nvt=1&ref=https%3A%2F%2Fwww.google.com%2F&fc=896&brdim=0%2C0%2C0%2C0%2C360%2C0%2C360%2C664%2C360%2C664&vis=1&rsz=%7C%7CeEbr%7C&abl=CS&pfx=0&fu=128&bc=31&ifi=2&uci=a!2&btvi=2&fsb=1&xpc=9LrvDEN1fe&p=https%3A//www.rajteachers.in&dtd=4972

2. परिभाषायें-

 इन नियमों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा न चाहा गया हो-

(क) “नियुक्ति प्राधिकारी” का वही अर्थ होगा, जो इस राजस्थान सिविल सेवायें (वर्गीकरण, नियन्त्रण और अपील) नियम, 1958 में दिया गया है।

(ख) “सरकार” से राजस्थान सरकार’ अभिप्रेत है ।

(ग) सरकारी कर्मचारी” से सरकार द्वारा राज्य के कार्यकलापों से संबद्ध सिविल सेवाओं या पदों पर नियुक्त किसी व्यक्ति से अभिप्रेत है और इसमें वह व्यक्ति भी सम्मिलित है, जिसकी सेवायें किसी अन्य राज्य या केन्द्रीय सरकार से प्रतिनियुक्ति पर उधार ली गई हैं।

(घ) “परिवार के सदस्य” में सरकारी कर्मचारी के संबंध में (निम्न) सम्मिलित है-

(I) सरकारी कर्मचारी की पत्नी या पति, जैसा भी हो चाहे वे उस सरकारी कर्मचारी के साथ रहते हों या नहीं परन्तु किसी सक्षम न्यायालय की डिक्री या आज्ञा द्वारा सरकारी कर्मचारी से अलग किए गए पत्नी या पति, जैसा भी हो, इसमें सम्मिलित नहीं होंगे।

(II) राज्य कर्मचारी के पुत्र या पुत्री या सौतेला पुत्र या पुत्री, जो पूरी तरह उस पर आश्रित हो, परन्तु इसमें वह संतान या सौतेली संतान सम्मिलित नहीं होती, जो राज्य कर्मचारी पर किसी भी प्रकार से आश्रित न हो या, जिसकी सुरक्षा करने से राज्य कर्मचारी को किसी कानून के अन्तर्गत वंचित कर दिया गया हो।

(III) सरकारी कर्मचारी या उसकी पत्नी या पति से सम्बन्धित, चाहे रक्त से या विवाह से; कोई अन्य व्यक्ति जो पूर्णतः उस सरकारी कर्मचारी पर आश्रित हो।

3.राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971 सामान्य-

1. प्रत्येक सरकारी कर्मचारी हर समय- (1) पूर्ण सत्यनिष्ठा (ईमानदारी) रखेगा और  (II) कर्तव्यनिष्ठा तथा कार्यालय की गरिमा बनाये रखेगा।

2. (i) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो पर्यवेक्षीय पद धारण करता है, उस समय अपने नियन्त्रण व अधिकारी के अधीन समस्त सरकारी कर्मचारियों की ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की सुनिश्चिता के लिए हर सम्भव कदम उठायेगा।

(ii) अपने कार्यालय के कर्तव्यों के पालन में या उसमें निहित शक्तियों के प्रयोग में कोई सरकारी कर्मचारी अपने श्रेष्ठ निर्णय के विपरीत कोई कार्य नहीं करेगा, सिवाय जबकि वह किसी निर्देश के अधीन कार्य कर रहा हो, तो जहां कहीं व्यवहार्य (संभव) हो, तो वह उस निर्देश को लिखित में प्राप्त करेगा और जहां लिखित में निर्देश प्राप्त करना व्यवहार्य नहीं हो, तो वह उसके तुरन्त बाद यथासम्भव उस निर्देश की लिखित पुष्टि प्राप्त करेगा।

{नियम 3क-नियमों का अतिक्रमण कोई सरकारी कर्मचारीजो इन नियमों का अतिक्रमण करता हैअनुशासनिक कार्यवाही का दायी होगा।}

(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. (5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3/2004 दिनांक 03-03-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

4. अनुचित एवं अशोभनीय आचरण कोई सरकारी कर्मचारीजो

1. किसी नैतिक पतन से सम्बन्धित अपराध के लिए सजा प्राप्त करता है चाहे ऐसा उसके कर्तव्य पालन के दोहरान हुआ हो या नही,

2.  जनता में अव्यवस्थित तरीके से व्यवहार करे, (जो कि) एक सरकारी कर्मचारी के रूप में उसके स्तर के लिए अशोभनीय हो,

3. किसी प्राधिकारयुक्त व्यक्ति को बिना नाम के या छद्म नाम से कोई याचिका (प्रार्थना-पत्र) भेजता है, ऐसा सिद्ध हो जावे,

4. अनैतिक जीवन व्यतीत करता है,

15. वरिष्ठ अधिकारी के विधिपूर्ण आदेशों या अनुदेशों की अवज्ञा करता है या वरिष्ठ अधिकारी की अवज्ञा करता है,1(GSR 82 dated 17-8-2001)

26. बिना किसी पर्याप्त और युक्तियुक्त कारण के अपने पति या पत्नी, माता-पिता, अवयस्क या निःशक्त संतान का, जो अपना भरण पोषण स्वयं करने में असमर्थ है, भरण-पोषण में उपेक्षा करता / करती है या इससे इंकार करता/करती है या उनमें से किसी की भी देखभाल जिम्मेदारी पूर्वक नहीं करता/ करती है, या 2(No. F. 9(5)(89) DOP/A-III/2000, G.S.R. 11, dated 23-4-2002 )

37. लोकापयोग जैसे बिजली और जल की व्यवस्था करने वाले किन्हीं विभागों/कम्पनियों को वित्तीय नुकसान कारित करने की दृष्टि से जान बूझकर मीटर या किसी भी अन्य उपस्कर या बिजली /जल की लाइन में गडबड करता है। तो वह अनुशासनिक कार्यवाही का दायी होगा। 3(No.F.9(5)(42)DOP/A-11/2001 dated 9-10-2002)

44क-सरकारी आवास का अनधिकृत अधिभोग-

कोई सरकारी कर्मचारी जो-

(i) सामान्य प्रशासन विभाग या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा किये गये प्राधिकरण से अधिक समय तक सरकारी आवास को अधिभोग में रखता हो, या

(ii) सरकारी आवास को अधिभोग में रखता हो, जबकि पदस्थापन के स्थान पर, निर्धारित आवास के सिवाय, उसका स्वयं का भवन हो, या

(iii) डाक बंगला, विश्राम गृह, ट्रांजिट होस्टल, पर्यटन गृह आदि सहित सरकारी आवास के अधिभोग से सम्बन्धित नियमों /अनुदेशों का उल्लंघन करता हो अनुशासनिक कार्यवाही का भागी होगा। 4(Notification No. F.4(1)Karmik/A-III/82 dated 4-9-82)

5[4ख-14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन के संबंध में प्रतिषेध-कोई सरकारी कर्मचारी 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को कार्य करने के लिए नियोजित नहीं करेगा] 5( G.S.R. 59, No.F. 9(2)(61)Karmik/A-Ill dated 4-7-2001)

6[4ग-सरकारी भूमि पर अधिक्रमणः- ऐसा कोई सरकारी कर्मचारी, जो 15.8. 98 को या इसके पश्चात् सरकारी भूमि या स्थानीय निकायों / नगर विकास न्यासों/जयपुर विकास प्राधिकरण/ राजस्थान आवासन मण्डल / पंचायती राज संस्थाओं या किसी भी अन्य सरकारी उपक्रम की किसी भी भूमि पर किसी भी रीति से, किसी भी अधिक्रमण में अतंर्वलित होता है या अधिक्रमण करता है, अनुशासनिक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा।] 6(No.F.9(5)(25)Karmik/ka-3/2001 dated 27-5-2002)

7[4घ-तात्विक जानकारी छिपानाः-प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने नियंत्रक प्राधिकारी को, अपने बारे में, प्रथम सूचना रिपोर्ट (प्र.सू.रि.) दर्ज किये जाने, पुलिस या अन्य अधिकारी द्वारा निरोध/ गिरफ्तारी या किसी भी न्यायालय द्वारा किसी दोषसिद्धी के संबंध में तात्विक जानकारी की रिपोर्ट देगा।

7[4ङ-तत्परता और शिष्टताः- कोई भी सरकारी कर्मचारी,

(i) अपने कर्तव्यों के अनुपालन में, अशिष्ट रीति से व्यवहार नहीं करेगा,

(ii)जनता के साथ अपने पदीय व्यवहार में या अन्यथा उसे समनुदेशित कार्य के निपटारे में विलम्बकारी युक्ति नहीं अपनायेगा या जानबूझकर विलम्ब नहीं करेगा।

74च-सरकारी नीतियों का पालन:-प्रत्येक कर्मचारी, हर अवसर पर-

(i) विवाह की आयु, पर्यावरण के परीरक्षण, वन्य जीव और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के संबंध में सरकारी नीतियों के अनुसार कार्य करेगा,

(ii) महिलाओं के विरूद्ध अपराध के निवारण के संबंध में सरकारी नीतियों का पालन करेगा।]

7( जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) 30 ) कार्मिक / क 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

5. संरक्षण प्राप्त फर्मों में निकट सम्बन्धियों का नियोजन-

सरकार की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी अपने पुत्र, पुत्री या आश्रित को उन निजी संस्थानों (फर्मो) में नौकरी स्वीकार करने की अनुमति नहीं देगा, जिनके साथ उनका कार्यालय-संव्यवहार हो या अन्य फर्मों में जो सरकार से संव्यवहार करती हों।

परन्तु यह है कि जहां नौकरी की अभिस्वीकृति सरकार की पूर्व अनुमति की प्रतिक्षा नहीं कर सकती हो या अन्यथा ऐसा करना आवश्यक हो, तो मामले की वह सरकार को सूचना देगा और नौकरी अस्थाई रूप से सरकार की अनुमति की अपेक्षा में स्वीकार की जा सकेगी ।

परन्तु आगे यह भी है कि यदि सरकारी कर्मचारी का पुत्र/पुत्री या कोई अन्य आश्रित ऊपर वर्णित निजी संस्थान में कोई नौकरी उस सरकारी कर्मचारी की अनुमति और सहमति के बिना स्वीकार कर लेता है. तो वह (सरकारी कर्मचारी) ऐसे मामले की सूचना सरकार को देगा ।

7[5क-संविदा आदि की मंजूरी:-कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में किसी ऐसे मामले में व्यवहार नहीं करेगा या किसी भी कम्पनी या फर्म या किसी भी अन्य व्यक्ति से कोई संविदा, पट्टा, आवंटन पत्र या प्राधिकार नहीं देगा या मंजूर नहीं करेगा, यदि उसके कुटुम्ब का कोई सदस्य उस कम्पनी या फर्म में या उस व्यक्ति के अधीन नियोजित है या यदि वह या उसके कुटुम्ब का कोई सदस्य ऐसे मामले में किसी भी अन्य रीति से हितबद्ध है सरकारी कर्मचारी प्रत्येक ऐसे मामले को अपने वरिष्ठ पदधारी को निर्दिष्ट करेगा और इसके पश्चात् मामले या संविदा का निपटारा ऐसे प्राधिकारी के अनुदेशों के अनुसार किया जायेगा जिसको निर्देश किया जाता है ।]

7(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) (30) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

6. अवकाश में नियोजन (नौकरी) स्वीकार करना:-एक सरकारी कर्मचारी जो अवकाश पर है (निम्न की) पूर्व अनुमति के बिना कोई सेवा या नियोजन स्वीकार नहीं करेगा-

(क) राज्यपाल से-यदि प्रस्तावित सेवा या नियोजन भारत से बाहर कहीं है, और

(ख) अपने नियुक्ति प्राधिकारी से यदि प्रस्तावित सेवा या नियोजन भारत में ही है:-

परन्तु यह है कि सरकारी कर्मचारी जिसे इस नियम के अधीन किसी निवृतिपूर्व के अवकाश के दौरान कोई सेवा या नौकरी करने की अनुमति प्रदान की गई है, सिवाय राज्यपाल या नियुक्ति प्राधिकारी, यथास्थिति, कि विशेष सहमति के, अपने सेवानिवृत्त होने की प्रार्थना को वापस लेने और सेवा पर वापस आने से वंचित कर दिया जावेगा।