संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोल्यूशन नेटवर्क (Sustainable Development Solutions Network) ने वर्ल्ड हैप्पीनेस के नाम से जारी की। इस रिपोर्ट में कुल 137 देशों में भारत को 126वां स्थान दिया गया। जबकि खुशहाल देशों की इस सूची में पिछले साल 146 देशों थे और तब भारत को 135वें स्थान पर रखा गया था।
रिपोर्ट - Sustainable Development Solutions Network
हाल ही में, यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क ने वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 जारी की, जो देशों को खुशी पर रैंक करती है।भारत को विश्व प्रसन्नता सूची में 136वां स्थान मिला है जबकि वर्ष 2021 में भारत 139वें पायदान पर था. इस साल की रिपोर्ट में यूरोपीय देश फिनलैंड को खुश रहने के मामले में सभी देशों से आगे बताया गया है. इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, लक्समबर्ग, नॉर्वे, इज़राइल को शीर्ष स्थान दिया है.
विभिन्न देशों का प्रदर्शन:
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता::
- फिनलैंड, लगातार छठी बार शीर्ष पर है, डेनमार्क दूसरे स्थान पर रहा, इसके बाद तीसरे स्थान पर आइसलैंड है।
- पिछले वर्ष की भाँति ही इस वर्ष भी शीर्ष 20 प्रदर्शनकर्त्ताओं के आँकड़ों में कुछ विशेष परिवर्तन नहीं हुए हैं, एक छोटा सा परिवर्तन यह है कि लिथुआनिया ने 20वें स्थान के रूप में शीर्ष 20 में अपनी जगह बना ली है।
- सबसे खराब प्रदर्शनकर्त्ता:
- अफगानिस्तान सबसे खराब प्रदर्शनकर्त्ता रहा, उसके बाद क्रमशः लेबनान, सिएरा लियोन, ज़िम्बाब्वे का स्थान है।
- भारत का प्रदर्शन:
- 136 देशों में भारत 125वें स्थान पर है, जो इसे विश्व के सबसे कम खुशहाल देशों में से एक के रूप में प्रदर्शित करता है।
- वर्ष 2022 में भारत 146 देशों में 136वें स्थान पर था।
- यह नेपाल, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे अपने पड़ोसी देशों से भी पीछे है।
- 136 देशों में भारत 125वें स्थान पर है, जो इसे विश्व के सबसे कम खुशहाल देशों में से एक के रूप में प्रदर्शित करता है।
इस रिपोर्ट को देखने के बाद लगता है कि शायद हम बहुत दुखी है या शायद है तो सुखी पर दुखी लग रहे है। इस रिपोर्ट के माजरे को समझने के लिए जरूरी है कि थोड़ा अध्ययन कर लिया जाए।
SDSN: आखिर SDSN का अस्तित्व, उद्देश्य व कार्य क्या है?
SDSN अर्थात Sustainable Development Solutions Network क्या है? इस संस्था द्वारा किस प्रकार हमको अर्थात भारत को एक दुखी देश के रूप में किन आधारों पर घोषित कर दिया जाता है? आइये, इस संस्था के बारे में जानते है।
सतत विकास समाधान नेटवर्क (एसडीएसएन) संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2012 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल है, जो सतत विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षा, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र से विशेषज्ञता और ज्ञान जुटाने के लिए है। SDSN सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करता है।
SDSN के मुख्य लक्ष्य हैं:
- स्थायी विकास के लिए अग्रिम व्यावहारिक समाधान जो साक्ष्य और शोध पर आधारित हैं;
- क्षेत्रों और विषयों में हितधारकों के बीच सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देना;
- क्षमता निर्माण और स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एसडीजी के कार्यान्वयन का समर्थन करना;
- सतत विकास के मुद्दों पर जन जागरूकता और जुड़ाव को बढ़ावा देना।
SDSN राष्ट्रीय और क्षेत्रीय SDSN के एक नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है, जो दुनिया भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा होस्ट किया जाता है। नेटवर्क हितधारकों को ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने और स्थिरता चुनौतियों का समाधान करने के लिए अभिनव समाधान विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
एसडीएसएन के फोकस के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में गरीबी में कमी, टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणाली, टिकाऊ शहर और समुदाय, जलवायु कार्रवाई और टिकाऊ ऊर्जा शामिल हैं। SDSN टिकाऊ विकास के मुद्दों पर शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने और पाठ्यक्रम और शैक्षिक कार्यक्रमों में स्थिरता सिद्धांतों के एकीकरण का समर्थन करने के लिए भी काम करता है।
SDSN की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पर एक नजर
SDSN की रिपोर्ट बहुत बड़ी है। यह रिपोर्ट 166 पेज की है जिसे हम प्रकाशित करने में असमर्थ है लेकिन हमारे इंटेलेक्चुअल पाठकों की सुविधा हेतु हम इसका पीडीएफ आपके लिए दे रहे है।
इस रिपोर्ट की आलोचना हेतु दिए जाने वाले तर्क
हर बार की तरह इस बार भी भारत इस रिपोर्ट में काफी पीछे अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ खड़ा है जिससे इसे तैयार करने के तरीकों और पैमानों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट देशों को उनकी आबादी कैसा महसूस करती है, इस आधार पर रैंक करने वाली पहली रिपोर्ट है। “खुशी बदल सकती है, और बदलती है, उस समाज की गुणवत्ता के अनुसार जिसमें लोग रहते हैं।” यह कथन इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली कम्पनी का है। पढ़ने में यह शानदार है लेकिन इसकी भारत मे लोगो ने अच्छी खासी आलोचना निम्नलिखित तर्को के आधार पर की है।
- आपके यहां खुशहाली है या नहीं इसके भी मापदंड यूरोप और अमेरिका ने तय किये है।
- यह रिपोर्ट किसी भी नजरिये से वैश्विक नहीं हो सकती क्योंकि इसी संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेम्बली के फिलहाल 193 देश सदस्य हैं। इस लिहाज से इस रिपोर्ट में दुनिया की पूरी झलक नहीं दिखाई देती क्योंकि लगभग एक चौथाई देशों का तो जिक्र ही नहीं हुआ।
- सालभर में एक ही संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट्स में अचानक से 9 देश और कम हो गये!
- मैक्सिकों को 46वां स्थान दिया गया। दुनिया जानती है कि यह देश सालों से आतंरिक ड्रग वॉर में फंसा हुआ है।
- चीन को हमसे बेहतर 72वां स्थान दिया गया जबकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हांगकांग, तिब्बत, ताइवान, और मंगोलिया में जातीय नरसंहार किये हैं।
- गृहयुद्ध और आतंकवाद से ग्रसित लीबिया को 86वां, कैमरून को 102वां, नाइजर को 104वां, नाइजीरिया को 118वां, माली को 123वां, चाड को 130वां, इथोपिया को 131वां और यमन को 132वां स्थान दिया गया है।
- पाकिस्तान और श्रीलंका अपने दौर के सबसे बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं और उन्हें क्रमश 121वां और 127वां स्थान दिया गया था।
- रिपोर्ट में यूक्रेन को 92वें पायदान पर रखा गया है।
- पनामा जैसे टैक्स चोरी करने वाले देश को 37वें स्थान पर रखा गया था। इसबार इसे 38वां स्थान दिया गया है।
रिपोर्ट को बनाने का तरीका
संयुक्त राष्ट्र द्वारा खुशी के स्तर को 6 कारकों पर मापा जाता है। इसमें प्रति व्यक्ति आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक सपोर्ट, आजादी, विश्वास और उदारता, भ्रष्टाचार को लेकर आम लोगों की सोच शामिल है। इसके साथ ही सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव और प्रभावित करने वाली वजहों का भी हर साल के हिसाब से अध्ययन किया जाता है। इसके अनुसार देशों को अंक दिए जाते हैं और उनके हिसाब से देशों की सूची बनाई जाती है।
इस रिपोर्ट पर शक का प्रमुख कारण
लिस्ट में भारत 125वें नंबर पर है। पिछली बार भारत 139वें नंबर पर था। पिछली रैंकिंग से अगर तुलना की जाए तो भारत काफी आगे आया है मगर बाकी एशियाई देशों के लिहाज से यह काफी निराशाजनक है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान जहां खाने के लिए आटे के लाले पड़े हैं वह भारत से आगे है। जो देश दिवालिया होने की कगार पर खड़ा है, जिस देश के हुक्मरान हर पखवाड़े पैसे के लिए किसी न किसी देश के पास जाकर भीख मांग रहे होते हैं, जिस देश में एक तिहाई इलाकों को बाढ़ ने जबरदस्त प्रभावित किया है, जहां अस्पतालों की स्थिति बुरी है, भ्रष्टाचार चरम पर है, राजनीतिक अव्यवस्था के कारण दिन रात दंगे होते हैं, जहां हर दूसरे दिन आतंकी खुद को बम से उड़ा देते हैं… वहां उस देश के लोग भारत से भी अधिक खुशहाल हैं तो कहीं न कहीं लिस्ट में काफी खराबी है।
निष्कर्ष
देश की पुरानी नाखुशी कई कारकों का परिणाम है: तेजी से शहरीकरण और शहरों में भीड़भाड़, खाद्य सुरक्षा और जल सुरक्षा के बारे में चिंता, स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत, महिलाओं की सुरक्षा और पर्यावरण प्रदूषण, जो स्वयं खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।
डिस्क्लेमर
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