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वैदिक पञ्चाङ्ग | 01 मई 2023

🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞

🌤️ दिनांक – 01 मई 2023
🌤️ दिन – सोमवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
🌤️ शक संवत -1945
🌤️ अयन – उत्तरायण
🌤️ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
🌤️ मास – वैशाख
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – एकादशी रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात द्वादशी
🌤️ नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी शाम 05:51 तक उत्तराफाल्गुनी
🌤️योग – ध्रुव सुबह 11:45 तक तत्पश्चात व्याघात
🌤️ राहुकाल – सुबह 07:45 से सुबह 09:22 तक
🌞 सूर्योदय-06:09
🌤️ सूर्यास्त- 19:02
👉 दिशाशूल- पूर्व दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – मोहिनी एकादशी राष्ट्रीय मजदूर दिवस
🔥 *विशेष – *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

🌞~वैदिक पंचांग ~🌞

सुख शांति के लिए इस दिन इस मंत्र का जप जरूर करे | इन दिनो मे इसे सुमिरन करने से महापुण्य फल प्राप्त होता है ⤵️

🌷 मोहिनी एकादशी 🌷
➡️ 30 अप्रैल 2023 रविवार को रात्रि 08:29 से 01 मई, सोमवार को रात्रि 10:09 तक एकादशी है।
💥 विशेष – 01 मई, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
🙏🏻 मोहिनी एकादशी ( उपवास से अनेक जन्मों के मेरु पर्वत जैसे महापापों का नाश )

🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞

🌷 वैशाख मास के अंतिम ३ दिन दिलायें महापुण्य पुंज 🌷
🙏🏻 ‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, (03 मई से 05 मई तक) त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं | इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं | जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है |
🙏🏻 वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है | जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है | जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है | अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है |
🙏🏻 जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता | इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये | अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए |

🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞