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शुभमन गिल | कमेंट का तड़का, शुभमन का बल्ला फड़का

शुभमन गिल (जन्म 8 सितंबर 1999) एक भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं , जो घरेलू क्रिकेट में पंजाब के लिए दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं ।  गिल ने 2018 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के उप-कप्तान के रूप में  भारत का प्रतिनिधित्व किया और टूर्नामेंट के श्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त, उन्हें एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर होने का गौरव प्राप्त है।

शुभमन गिल- एक नया क्रिकेट सितारा

इंडिया बनाम न्यूजीलैंड के बीच जस्ट हुई T 20 सीरीज के पहले दोनों मैच में शुभमन गिल का बल्ला खामोश रहा तो कमेंट्स की बरसात होने लगी। कमेंटेटर, समीक्षकों ने अपना ज्ञान बधार ही दिया। यहाँ तक कहा जाने लगा कि

शुभमन गिल की बेटिंग स्टाइल टेस्ट व वनडे के लिए ही उपयुक्त है। T20 के लिए उनको अभी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी व अपनी बेटिंग स्टाइल को देखना पड़ेगा।

शुभमन गिल ने तीसरे T 20 मैच में अपनी पारी में वो जलवा बिखेरा की कई रिकॉर्ड टूट गए। आइये, देखते है कि कमेंट्स से भड़के बल्ले ने क्या कमाल किये है।

मुख्य बिंदु

  • शुभमन ने अपना शतक 54 गेंदों में पूरा किया है. टी-20 मैचों में शुभमन का ये पहला शतक था।
  • शुभमन गिल 63 गेंदों पर 12 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 126 रन बनाकर नाबाद रहे.
  • शुभमन 126 रनों की पारी के साथ टी-20 फॉर्मेट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए.
  •  126 रनों की पारी के साथ टी-20 फॉर्मेट में सबसे बड़ी पारी खेलने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए.

शुभमन गिल का ट्वीट देखे

शुभमन गिल की कमाल की पारी

भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच अहमदाबाद में खेले जा रहे तीसरे टी-20 मुक़ाबले में शुभमन गिल ने अपना पहला टी-20 शतक लगाया है. शुभमन गिल 63 गेंदों पर 12 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 126 रन बनाकर नाबाद रहे. शुभमन गिल (नाबाद 126 रन) के पहले टी-20 शतक की बदौलत भारत ने न्यूजीलैंड को तीसरे मुकाबले में 235 रन का टारगेट दिया व रिकॉर्ड 166 रन से जीत दर्ज कर ली।

शुभमन गिल के पिता लखविंदर सिंह

शुभमन गिल के पिता लखविंदर सिंह किसान थे और दीदार सिंह गिल उनके दादा हैं। उनका जन्म ‘ चक खेरे वाला जिसे चक जयमल सिंह वाला भी कहा जाता है)’ गांव में हुआ था। उनके पिता लखविंदर ने गिल के अभ्यास के लिए अपने खेत में एक क्रिकेट का मैदान और खेलने के लिए एक टर्फ पिच बनाई, वह गाँव के लड़कों को अपने लड़के का विकेट लेने के लिए चुनौती देता था और अगर वे सफल होते तो वे उन्हें इसके लिए 100 रुपये देते थे। लखविंदर सिंह के अनुसार वह अपने लड़के को एक पेशेवर क्रिकेटर बनाने के लिए अपने गांव में खेती छोड़ मोहाली चले गए। कुछ वर्षों के लिए गिल ने अपने स्कूल से कोचिंग ली, उसके बाद उनके पिता ने उन्हें पंजाब क्रिकेट संघ की अकादमी में भर्ती कराया। गिल ने अपने जीवन के कुछ वर्ष अपने गांव में बिताए। गिल के पिता एक पेशेवर क्रिकेटर बनना चाहते थे। गिल की बचपन में खेती में रुचि थी और वह अब भी अपने पिता के अनुसार खेती करना चाहते हैं।

गिल के पिता लखविंदर सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा, ” हमने उसका पूरा साथ दिया. उसे क्रिकेटर बनाने में हमने 15 साल खर्च किए. मैं अपना काम छोड़ दिया. परिवारिक कार्यक्रमों जैसे शादी, पार्टी वगैरह में नहीं गया.” लखविंदर सिंह गिल के इस त्याग का ही फल है कि आज भारतीय क्रिकेट को शुभमन गिल जैसा कोहिनूर मिला है.