
श्री नवल किशोर जी अपनी ह्रदय की भावनाओं को अनूठे ढंग से शेयर करते है। परिवेश से उनका जुड़ाव एक विशिष्ट अनुभूति है। आइये, उनके बिचारो स3 अवगत होने का एक निरन्तर प्रयास जारी रखते है।
सूरज भैया जी आओ ना!
सूरज भैया जी आओ ना!
धूप फटा- फट लाओ ना!
जमकर बैठा यहां कोहरा!
इसको झटपट भगाओ ना!
ठण्ड से तो सब काँप रहे हैं!
जल्दी से तपन जलाओ ना!
कल ही तो हुई थी ये बारिश!
तो इन बादलों को हटाओ ना!
रहम करो और धूप खिलाओ!
‘नवल’ अन्धेर गर्दी मचाओ ना!
©️ नवल किशोर ‘नवल’

किस तरह से हमको सताते हैं वो!
हमें ख्वाबों में आकर जगाते हैं वो!
कुछ इस तरह से इश्क निभाते हैं वो!
कैसे हम बताएँ उनकी गुस्ताखियाँ!
किस तरह से हमको सताते हैं वो!
खेलते हैं जब हम उनकी जुल्फों से !
सिमट कर मेरे पहलू में लजाते हैं वो!
हो जाते हैं कभी नज़रों से ओझल भी!
बेवजह धड़कने दिल की बढ़ाते हैं वो!
खुलती है आँखें जब ख़्वाब से नवल!
यूँ करके बेवफ़ाई हरदम रुलाते हैं वो!
©️ नवल किशोर ‘नवल’