है व हैं में क्या अंतर है?
“है” और “हैं” दोनों ही एक ही शब्द “होना” के वर्तमान काल के रूप हैं। “है” एकवचन (singular) के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि “हैं” बहुवचन (plural) के लिए उपयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए, “मेरे पास एक किताब है” और “मेरे पास कई किताबें हैं”। इन दोनों वाक्यों में “है” और “हैं” का उपयोग एक ही क्रिया के वर्तमान काल को दर्शाता है, लेकिन संख्या के अनुसार वे एकवचन और बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
है और हैं दोनों ही हिंदी भाषा में वाक्यांशों के अंत में प्रयुक्त होने वाले क्रियापदों के रूप में प्रयोग होते हैं।
“है” एकवचन वाक्यों में प्रयोग किया जाता है, जबकि “हैं” बहुवचन वाक्यों में प्रयोग किया जाता है।
जैसे,
- “मैं एक विद्यार्थी हूँ।” (है का प्रयोग एकवचन वाक्य में किया गया है)
- “हम विद्यार्थी हैं।” (हैं का प्रयोग बहुवचन वाक्य में किया गया है)
इस तरह, “है” और “हैं” दोनों क्रियापदों के रूप में वाक्यांशों के अंत में प्रयोग किए जाने वाले होते हैं, जो संख्या (एकवचन या बहुवचन) के अनुसार चयनित किए जाते हैं।
कुछ लोगों द्वारा “हैं” का प्रयोग आश्चर्य जताने के लिए, तथा/अथवा पुनः पूछने या समझने के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण –
१. राम: अरे कल कलुआ के पिताजी मर गए।
श्याम: हैं!? (आश्चर्य और प्रश्नवाचक दोनों, प्रश्न इसलिए कि कहीं गलत तो नहीं सुन लिया)
२. शिक्षक: चीन की राजधानी क्या है?
छात्र: हैं? (प्रश्नवाचक, अर्थात् प्रश्न सुना नहीं या समझ नहीं आया तो पुनः पूछिये या बताईये)
३. सीताः हिमालय ८००० मीटर ऊँचा है।
गीता: हैं! (आश्चर्य)
मुख्य व सहायक क्रिया के रूप में
हिन्दी भाषा की वाक्य रचना में क्रिया शब्द के स्थान पर ‘हैं’ और ‘है’ का प्रयोग होता है। ये दोनों शब्द मुख्य क्रिया और कभी सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
मुख्य क्रिया के रूप में-
‘हैं’ का उदाहरण – इस बाग में आम की विविध प्रजाति के वृक्ष हैं।
‘है’ का उदाहरण – वह एक शिक्षिका है।
उक्त वाक्यों में ‘हैं’ और ‘है’ दोनों शब्द मुख्य क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुए हैं।
सहायक क्रिया के रूप में-
‘हैं’ का उदाहरण – इस गौशाला की गायें स्वादिष्ट दूध देती हैं।
‘है’ का उदाहरण – शिक्षक हिन्दी पढ़ा रहा है।
उक्त दोनों वाक्यों में प्रथम वाक्य को देखें तो मुख्य क्रिया देती (देना) है और सहायक क्रिया के रूप में ‘हैं’ प्रयुक्त हुआ है। जबकि दूसरे वाक्य में पढ़ा रहा (पढ़ाना) मुख्य क्रिया है जबकि ‘है’ सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त हुई है।
‘हैं’ व ‘है’ में मुख्य अन्तर-
(A) वचन में अन्तर-
‘हैं’ और ‘है’ में सबसे प्रमुख अंतर ‘वचन’ का है। ‘हैं’ बहुवचन तथा ‘है’ एकवचन क्रिया है। ‘हैं’ शब्द बहुवचन कर्ता के साथ प्रयुक्त होता है जबकि ‘है’ शब्द एकवचन कर्ता के साथ प्रयुक्त होता है।
उदाहरण- (i) बच्चे खेल रहे हैं। (बहुवचन कर्ता)
(ii) बच्चा खेल रहा है। (एक वचन कर्ता)
(B) बनावट या संरचना में अन्तर-
‘हैं’ और ‘है’ दोनों शब्द समानता लिए हुए हैं। केवल इन दोनों में अंतर अनुनासिक का है। ‘हैं’ शब्द में अनुनासिक (चंद्रबिंदु ँ) का प्रयोग हुआ है। जबकि ‘है’ में अनुनासिक का प्रयोग नहीं हुआ है।
यहाँ ध्यान दिए जाने योग्य बात है कि चन्द्र का प्रयोग शिरोरेखा के ऊपर लगने वाली मात्राओं वाले वर्णों में नहीं होता है, केवल बिंदु लगाकर ही काम चलाया जाता है।
(C) उच्चारण में अन्तर-
‘हैं’ और ‘है’ इन दोनों क्रिया शब्दों के उच्चारण में स्पष्ट अंतर है। ‘हैं’ का उच्चारण hain के रूप में किया जाता है, जबकि ‘है’ का उच्चारण hai के रूप में किया जाता है। ‘हैं’ के उच्चारण में वायु नासाद्वार और मुख दोनों से बाहर निकलती है जबकि ‘है’ के उच्चारण में वायु केवल मुखद्वार से ही बाहर निकलती है।
(D) अर्थ में अन्तर-
‘हैं’ और ‘है’ इन दोनों का आशय ‘उपस्थित होने’ या ‘अवस्थित होने’ से होता है। किंतु ‘हैं’ का प्रयोग बहुत सी वस्तुओं, व्यक्तियों के अवस्थित होने पर प्रयोग होता है जबकि ‘है’ का प्रयोग किसी एक व्यक्ति या वस्तु के अवस्थित होने के अर्थ में प्रयोग होता है।
(E) अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग में अंतर-
‘हैं’ शब्द के लिए अंग्रेजी में are और have का प्रयोग होता है। जबकि ‘है’ शब्द के लिए is और has प्रयोग होता है।
एक वचन कर्ता के लिए ‘हैं’ का प्रयोग-
हिन्दी भाषा में सम्मान देने की दृष्टि से बहुत सारे वाक्यों में एकवचन कर्ता के साथ ‘हैं’ का प्रयोग किया जाता है। नीचे दिए गए उदाहरणों को देखें।
(अ) प्राचार्य पढ़ा रहे हैं।
(आ) पिताजी जबलपुर गए हैं।
(इ) आज मंत्री जी आने वाले हैं।
(ई) ईश्वर हम सब के हृदय में बसे हैं।
उक्त सभी वाक्यों में आप देखेंगे कि कर्ता ‘प्राचार्य’, ‘पिता जी’, ‘मंत्री जी’ और ‘ईश्वर’ सभी एकवचन रुप में हैं। किंतु इन कर्ताओं के लिए क्रिया शब्द ‘हैं’ सम्मान प्रकट करने के लिए प्रयोग किया गया है।
हैं’ और ‘हें’ में अंतर-
‘हैं’ के प्रयोग के बारे में ऊपर जानकारी दे दी गई है। यहाँ ‘हें’ शब्द को देखें, तो इसका प्रयोग अक्सर वाक्य में आश्चर्य प्रकट करने या प्रश्न करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण-
व्यक्ति 1 – वे मैच हार गये।
व्यक्ति 2 – (आश्चर्य से) हें!
उक्त में व्यक्ति 2 द्वारा ‘हें’ कहे जाने का आशय आश्चर्य प्रकट करना भी हुआ और प्रश्न करना भी कि क्या वाकई हार गए।
टीप – ‘हें’ शब्द में भी अनुनासिक (ँ) का प्रयोग हुआ है। जैसा कि ऊपर ही बता दिया गया है, शिरोरेखा के ऊपर लगने वाली मात्राओं में अनुनासिक का प्रयोग होता है तो चन्द्र नहीं लगाया जाता केवल बिन्दु लगा दिया जाता है।