2047 का भारत: राजस्थान के छात्र होंगे विकसित राष्ट्र के निर्माता

2047 का भारत: राजस्थान के छात्र होंगे विकसित राष्ट्र के निर्माता

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय सृजनात्मक प्रतियोगिताओं के समापन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने युवाओं को भारत के भविष्य का ध्वजवाहक मानते हुए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प की चर्चा की। उन्होंने यह कहा कि नई शिक्षा नीति में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं जो युवा शक्ति को सही दिशा में ले जाएंगे।

प्रधानमंत्री का संकल्प और युवा

भारत सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य में देश के युवाओं का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विधानसभा अध्यक्ष ने यह स्पष्ट किया कि अगर युवा सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित रहेंगे, और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से पढ़ाई करेंगे तो निश्चित रूप से वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे।

प्रतियोगिताओं का महत्व

राजकीय सावित्री कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित समापन समारोह में 34 जिलों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस समारोह में, विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के प्रदर्शन की प्रशंसा की और कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से विद्यार्थियों के अंदर उत्कृष्टता की भावना विकसित होती है।

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लाभ

श्री देवनानी ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे प्रतियोगिताओं में पूर्ण तैयारी के साथ भाग लें। उन्होंने कहा, “किताबी ज्ञान से आगे बढ़ना अकेले संभव नहीं है; विश्लेषण और वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति के लिए मेहनत करनी होगी।” इस प्रकार, उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहें।

2047 का संकल्प: केवल एक सपना नहीं

श्री देवनानी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्त्व में भारत हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। 2047 का संकल्प केवल एक सपना नहीं है; इसके लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। नई शिक्षा नीति इसी सोच पर आधारित है, जिसमें विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक पहलुओं को सम्मिलित किया गया है।

ज्ञान का सही मायनों में अपनाना

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विद्यार्थियों को ज्ञान को सही अर्थों में अपनाना चाहिए। लाइब्रेरी जाकर पुस्तकें पढ़ने, विश्लेषण और तर्क करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। शिक्षकों का भी आह्वान किया गया कि उन्हें छात्रों को योग्य नागरिक बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

सकारात्मकता को अपनाना

श्री देवनानी ने विद्यार्थियों को सकारात्मकता के साथ नए दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा। “थिंक ग्लोबल, एक्ट लोकल” का मंत्र उन्हें केवल स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रभावी बनाने में मदद करेगा। यह समझ विद्यार्थियों को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।

प्रतियोगिताओं के विजेताओं की प्रशंसा

समारोह में, विधानसभा अध्यक्ष ने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर उनके परिश्रम की सराहना की। आशुभाषण प्रतियोगिता में वीर माता माणिक कंवर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की देवकंवर राजपूत ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। क्विज प्रतियोगिता में जयप्रकाश शर्मा ने उत्कृष्टता दिखाई, जबकि गीत प्रतियोगिता में प्रिंस रावल ने सर्वोच्च प्रदर्शन किया।

शैक्षणिक और सृजनात्मक गतिविधियों का महत्व

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षा का नया दृष्टिकोण केवल परीक्षा पास कराने के लिए नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन में सफल होने के लिए तैयार करना है। प्रतियोगिताओं में भाग लेना विद्यार्थियों के विकास के लिए अत्यधिक आवश्यक है। शिक्षकों को छात्रों के समग्र विकास का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वे राष्ट्र के योग्य नागरिक बन सकें।

समापन समारोह में उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व

इस अवसर पर शिक्षा बोर्ड के सचिव, वित्तीय सलाहकार, प्राचार्य, अकादमी निदेशक और अन्य प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित थे। उन्होंने विद्यार्थियों की सफलता और उनके प्रयासों की सराहना की।

सामूहिकता का महत्व

श्री देवनानी ने सुझाव दिया कि प्रतियोगिताओं में भाग लेकर विद्यार्थियों को सामूहिकता, सहयोग, और परस्पर संवाद की भावना का विकास होना चाहिए। इस तरह वे सामाजिक एवं व्यक्तिगत विकास की ओर अग्रसर हो सकेंगे।

शिक्षा में संतुलन का महत्व

उन्होंने बताया कि शिक्षा प्रणाली में संतुलन होना आवश्यक है। विद्यालयों में, शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित करनी चाहिए। इस प्रकार के पहल विद्यार्थियों को एक सक्षम नागरिक बनाने में सहायक होंगे।

भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

2047 तक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण से कार्य करना होगा। इसमें सभी घटक शामिल हों, और इन बातों की निरंतरता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

अंततः, यह स्पष्ट है कि देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवा बल ही ध्वजवाहक होंगे। उन्हें न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी उत्कृष्टता प्राप्त करनी होगी, यही सफलता का एकमात्र मार्ग होगा।

स्रोत: राजस्थान सरकार का शिक्षा विभाग


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