श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव: समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
🙏🏻🌹 जय श्री राम 🌹🙏🏻
आज, 22 जनवरी 2024, भगवान श्री राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। इस पुण्य क्षण में, हम सभी को भगवान श्री राम की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव हो।
यह एक ऐतिहासिक घड़ी है जब आयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर की प्रतिष्ठा हो रही है। इस महत्वपूर्ण समय में, हम सभी को एक-दूसरे के साथ मिलकर प्रेम और भाईचारे को बनाए रखने का संकल्प करना चाहिए।
भगवान श्री राम की उपासना करते हुए, हमें दूसरों के साथ उदार और समर्थन भाव से रहना चाहिए। आज से ही हम सभी को एक नए आरंभ की ओर बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए, जहाँ प्रेम और समर्थन हमारी प्राथमिकता हो।
जय जय श्री सीताराम! 🙏🕊️✨
उदयपुर: आज 22 जनवरी 2024, सोमवार का दिन सभी के लिए मंगलमय हो। भगवान श्री राम के निज धाम में प्रवेश और मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के पावन अवसर पर, हम आपके पूरे परिवार सहित हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।
आज का पंचांग:
सुभाषित:
अव्यवस्थित कर्म करने वाले को न तो जनसमाज मे सुख मिलता है, न वन मे। जनसमाज मे मनुष्यों का संसर्ग उसे जलाता है और वन मे वह दु:खी रहता है।
मैं भूल जाता हूँ वह सब…
जो याद रखना जरूरी था
और वही याद रह जाता है…
जो मुझे भूलना चाहता हूँ
मैं चुप्पी साध लेता हूँ…
जब कहना जरूरी था
और कह देता हूँ मैं सबकुछ…
जब चुप रहना चाहता हूँ
अक्सर मैं ठहर जाता हूँ…
वहां जहां अविरल बहना जरूरी था
और अक्सर बह जाता हूँ…
वहां जहां कुछ पल ठहरना चाहता हूँ
प्रस्तावना:
जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास एक आवश्यक गुण है। आत्मविश्वास हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है और हमें कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है।
आत्मविश्वास का अर्थ है अपने आप में विश्वास करना। यह विश्वास है कि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। आत्मविश्वास हमें निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकता है:
आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं:
आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कई तरीके हैं। कुछ प्रभावी तरीके निम्नलिखित हैं:
निष्कर्ष:
आत्मविश्वास एक मूल्यवान गुण है जो हमें जीवन में सफल होने में मदद कर सकता है। आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए समय और प्रयास की आवश्यकता होती है, लेकिन यह एक ऐसा निवेश है जो भुगतान करेगा।
आज से हम स्वयं को देखें और अपने आत्मविश्वास को पक्का बनाएँ…
आत्मविश्वास एक ऐसा गुण है जो हमें जीवन में सफल होने में मदद कर सकता है। यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, कठिनाइयों का सामना करने में मदद करता है, और दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद करता है। आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कई तरीके हैं, जैसे अपने लक्ष्यों को निर्धारित करना, अपनी ताकत और कमजोरियों को जानना, अपने आप को सकारात्मक संकेतों देना, और दूसरों के साथ तुलना न करना। आज से हम स्वयं को देखें और अपने आत्मविश्वास को पक्का बनाएँ।
प्रस्तावना:
विश्वास एक ऐसा गुण है जो हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। यह हमें दूसरों के साथ संबंध बनाने, सहयोग करने और सफल होने में मदद करता है।
कहानी:
एक बार तन्विक नाम के एक विद्वान साधु थे जो दुनियादारी से दूर रहते थे। वह अपनी ईमानदारी, सेवा तथा ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार वह पानी के जहाज से लंबी यात्रा पर निकले।
उन्होंने यात्रा में खर्च के लिए पर्याप्त धन तथा एक हीरा संभाल कर रखा। ये हीरा किसी राजा ने उन्हें उनकी ईमानदारी से प्रसन्न होकर भेंट किया था। वे उसे अपने पास न रखकर नयासर के राजा को देने जाने के लिए ही ये यात्रा कर रहे थे।
यात्रा के दौरान साधु की पहचान दूसरे यात्रियों से हुई। वे उन्हें ज्ञान की बातें बताते गए। एक फ़क़ीर यात्री ने उन्हें नीचा दिखाने की मंशा से नजदीकियां बढ़ाई।
एक दिन बातों-बातों में साधु ने उसे विश्वासपात्र समझकर हीरे की झलक भी दिखा दी। उस फ़क़ीर को और लालच आ गया।
उसने उस हीरे को हथियाने की योजना बनाई। रात को जब साधु सो गया तो उसने उसके झोले तथा उसके वस्त्रों में हीरा ढूंढा पर उसे नहीं मिला।
अगले दिन उसने दोपहर की भोजन के समय साधु से कहा कि इतना कीमती हीरा है, आपने संभाल के रखा है न। साधु ने अपने झोले से निकलकर दिखाया कि देखो ये इसमे रखा है। हीरा देखकर फ़क़ीर को बड़ी हैरानी हुई कि ये उसे कल रात को क्यों नहीं मिला।
आज रात फिर प्रयास करूंगा ये सोचकर उसने दिन काटा और सांझ होते ही तुरंत अपने कपड़े टांगकर, समान रखकर, स्वास्थ्य ठीक नहीं है कहकर जल्दी सोने का नाटक किया।
निश्चित समय पर संध्या पूजा अर्चना के पश्चात जब साधु कमरे में आये तो उन्होंने फ़क़ीर को सोता हुआ पाया। सोचा आज स्वास्थ ठीक नहीं है इसलिए फ़क़ीर बिना बोले जल्दी सो गया होगा। उन्होंने भी अपने कपड़े तथा झोला उतारकर टांग दिया और सो गए।
आधी रात को फ़क़ीर ने उठकर फिर साधु के कपड़े तथा झोला झाड़कर झाड़कर देखा। उसे हीरा फिर नहीं मिला।
अगले दिन उदास मन से फ़क़ीर ने साधु से पूछा –
“इतना कीमती हीरा संभाल कर तो रखा है ना साधु बाबा,यहां बहुत से चोर है”।
साधु ने फिर अपनी पोटली खोल कर उसे हीरा दिखा दिया।
अब हैरान परेशान फ़क़ीर के मन में जो प्रश्न था उसने साधु से खुलकर कह दिया उसने साधु से पूछा कि-
मैं पिछली दो रातों से आपकी कपड़े तथा झोले में इस हीरे को ढूंढता हूं मगर मुझे नहीं मिलता, ऐसा क्यों , रात को यह हीरा कहां चला जाता है ।
साधु ने बताया-” मुझे पता है कि तुम कपटी हो, तुम्हारी नीयत इस हीरे पर खराब थी और तुम इसे हर रात अंधेरे में चोरी करने का प्रयास करते थे इसलिए पिछले दो रातों से मैं अपना यह हीरा तुम्हारे ही कपड़ों में छुपा कर सो जाता था और प्रातः उठते ही तुम्हारे उठने से पहले इसे वापस निकाल लेता था”
मेरा ज्ञान यह कहता है कि व्यक्ति अपने भीतर नई झांकता, नहीं ढूंढता। दूसरे में ही सब अवगुण तथा दोष देखता है। तुम भी अपने कपड़े नहीं टटोलते थे।”
फ़क़ीर के मन में यह बात सुनकर और ज्यादा ईर्ष्या और द्वेष उत्पन्न हो गया। वह मन ही मन साधु से बदला लेने की सोचने लगा। उसने सारी रात जागकर एक योजना बनाई।
सुबह उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, ‘हाय मैं मर गया। मेरा एक कीमती हीरा चोरी हो गया।’ वह रोने लगा।
जहाज के कर्मचारियों ने जब फकीर की बात सुनी तो वे उसे शांत करने लगे। उन्होंने कहा, “तुम घबराते क्यों हो। जिसने चोरी की है, उसे जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।”
फकीर ने कहा, “मैंने अपने कपड़े और झोले में हीरा रखा था। रात में मैं सो रहा था। जब मैं उठा तो हीरा गायब था।”
जहाज के कर्मचारियों ने कहा, “यह तो बहुत ही गंभीर बात है। हम सभी यात्रियों की तलाशी लेंगे।”
जब साधु की बारी आई तो जहाज के कर्मचारियों और यात्रियों ने कहा, “आप पर तो अविश्वास करना ही अधर्म है।”
साधु ने कहा, “नहीं, जिसका हीरा चोरी हुआ है, उसके मन में शंका बनी रहेगी इसलिए मेरी भी तलाशी ली जाए।”
साधु की तलाशी ली गई। उनके पास से कुछ नहीं मिला।
दो दिनों के बाद जब यात्रा खत्म हुई तो उसी फकीर ने उदास मन से साधु से पूछा, “बाबा इस बार तो मैंने अपने कपड़े भी टटोले थे, हीरा तो आपके पास था, वो कहां गया?”
साधु ने मुस्करा कर कहा, “उसे मैंने बाहर पानी में फेंक दिया।”
फकीर ने हैरानी से पूछा, “क्यों?”
साधु ने कहा, “मैंने जीवन में दो ही पुण्य कमाए थे – एक ईमानदारी और दूसरा लोगों का विश्वास। अगर मेरे पास से हीरा मिलता और मैं लोगों से कहता कि ये मेरा ही हैं तो शायद सभी लोग साधु के पास हीरा होगा इस बात पर विश्वास नहीं करते। यदि मेरे भूतकाल के सत्कर्मों के कारण विश्वास कर भी लेते तो भी मेरी ईमानदारी और सत्यता पर कुछ लोगों का संशय बना रहता।
मैं धन तथा हीरा तो गंवा सकता हूं लेकिन ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को खोना नहीं चाहता, यही मेरे पुण्यकर्म है जो मेरे साथ जाएंगे।”
फकीर ने साधु से माफी मांगी और उनके पैर पकड़ कर रोने लगा। अंत में फकीर उनका शिष्य बनकर उनके अच्छे कर्मों को ग्रहण करने लगा।
कहानी का निष्कर्ष
यह कहानी हमें यह सीख देती है कि विश्वास एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है। हमें दूसरों पर विश्वास करना चाहिए। विश्वास से ही हमारे संबंध मजबूत होते हैं और हम सफल होते हैं।
इस कहानी में, फकीर साधु पर विश्वास नहीं करता था। वह उसके हीरे पर लालच के कारण उसके प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। उसने साधु से बदला लेने के लिए साजिश रची। लेकिन साधु की ईमानदारी और सच्चाई ने उसे परास्त कर दिया।
इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें अपने अंदर झांकना चाहिए। दूसरों की बुराई करने से पहले हमें अपनी बुराइयों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
हिंदी शब्द की सार्थक व्याख्या
H- Humanity ( मानवता )
I-Individualty (व्यक्तित्व )
N-Nationality(राष्ट्रीयता )
D- Dignity (गरिमा )
U-Unity (एकता )
जय श्री राम
हिंदू शब्द का अर्थ केवल एक धर्म या पंथ के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक व्यापक शब्द है जो मानवता, व्यक्तित्व, राष्ट्रीयता, गरिमा और एकता के सिद्धांतों को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
हिंदू शब्द की सार्थक व्याख्या इन पांच सिद्धांतों में निहित है। ये सिद्धांत हिंदू धर्म के मूल हैं, और वे हिंदू जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करते हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
इन पांच सिद्धांतों के आधार पर, हम हिंदू धर्म को एक धर्म के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन शैली के रूप में देख सकते हैं। हिंदू धर्म एक ऐसी जीवन शैली है जो मानवता, व्यक्तित्व, राष्ट्रीयता, गरिमा और एकता के मूल्यों को बढ़ावा देती है।
वनवास का समय मिटा है, चहुंओर खुशियां आई। अयोध्या सी बहार आई। जन-मन को प्रिय देव मिले, हिंदुत्व की सरकार आई। यह नहीं बस एक सांग है, बल्कि एक नई शुरुआत की ओर एक पथ-प्रदर्शक है।
गांव, गली और मॉल, रेस्तरां, सभी राम के गानों में रंगी हैं। प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, सभी राम काज अपना रहे हैं। तिराहे, चौराहे पर भगवा झंडे लहराएं हैं, देशवासियों को राम से जोड़ने का संकल्प दिखाते हैं।
राम धुन में झूमकर और राम मद में घूमकर, लोग नए संदेश फैला रहे हैं। खुशियां मना रहे हैं, नाचते-गाते राम का भजन कर रहे हैं। दीपदान कर बाँटते हैं, मिठाई बांटते हैं, सभी राम की कृपा का आभास कराते हैं।
वर्षों की तपस्या के बाद, आज पुनः दिवाली आई है। इस दिवाली के दिन, देशवासियों को एक-दूसरे से मिलकर राम की भक्ति में भागीदारी करने का अवसर है। आज पुनः दिवाली आई है, जिसे हम सब बहुत खासी बनाना चाहते हैं।
कार सेवक और साधु-संत, सभी राम के भक्त हैं। वे एक-दूसरे के साथ भाईचारा बनाए रखने का संकल्प करते हैं और स्वयं को राममय महसूस कराने का कारगर उपाय बताते हैं।