फिल्म: बाजीराव मस्तानी
निर्देशक: संजय लीला भंसाली
सितारे: रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा
रिलीज: 18 दिसंबर 2015
संगीत:
फिल्म का संगीत शानदार है। “देवदास”, “मस्तानी”, “आज फिर”, “अलविदा” जैसे गाने दर्शकों के दिलों में बस जाते हैं।
समीक्षा:
संजय लीला भंसाली की फिल्म “बाजीराव मस्तानी” 18वीं सदी के महान योद्धा पेशवा बाजीराव और उनकी प्रेमिका मस्तानी की कहानी पर आधारित है। फिल्म भव्यता, रोमांस, वीरता और राजनीतिक षड्यंत्रों का अद्भुत मिश्रण है।
अत्यधिक संवादों से भरी फिल्म
“बाजीराव मस्तानी” फिल्म में बाजीराव पेशवा के परिवारिक कलह की कहानी में प्रेम दबकर रह गया है। बाजीराव अपनी दो पत्नियों, रूढ़िवादी मां, परंपरागत शासन व्यवस्था और युद्धों के बीच इस तरह उलझे हुए हैं कि न तो बाजी जीतते दिखते हैं और न ही मस्तानी अपने नाम को सार्थकता दे पाती हैं।
संवादों का बोझ
फिल्म के लेखक ने बहुत मेहनत की है, लेकिन उसका परिणाम यह है कि फिल्म कोई फिल्म नहीं रहकर संवादों का एक संकलन मात्र बन पड़ी है। फिल्म में संवाद बोलने की होड़ मची हुई है। सभी कलाकार संवादों के खिलाड़ी जैसे लगते हैं। वास्तव में यह कहावत सच साबित होती है कि “अति सर्वत्र वर्जयेत”!
शानदार फोटोग्राफी, लेकिन…
फिल्म की फोटोग्राफी अत्यंत सराहनीय है, लेकिन स्क्रीन पर एकसारता खलने लगती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि संजय भंसाली ने टेबल वर्क, सजावट और म्यूज़िक में दम दिखाया है, लेकिन फिल्म अपने कुल प्रभाव में चुक जाती है।
अभिनय
रणवीर सिंह ने साहस किया है, सर भी मुंडाया है, अभिनय भी किया है, लेकिन “गोलियों की रासलीला” के दायरे को नहीं तोड़ पाए हैं। दीपिका बेमिसाल हैं, लेकिन उनकी अतिरिक्त मेहनत भी “मस्तानी” को कालजयी नहीं बना सकी। दबे-दबे से किरदार के बावजूद न केवल “काशी” सहानुभूति बटोरती है, और “प्रियंका” अपनी छवि के विपरीत किरदार में भी सिनेमाघर के बाहर तक दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ जाती हैं। तन्वी का अभिनय कमाल का है। रज़ामुराद और तेजसप्रु ध्यान आकर्षित करते हैं।
निष्कर्ष
यह फिल्म सभी के लिए बराबरी का सौदा सिद्ध होने वाली है। सबका पैसा वसुल होगा, “दिलवाले” से मुकाबला फायदेमंद रहा है! फिल्म मनोरंजन की हद तक सीमित है। संजय के प्रयास “वन टाइम वाच” तक सीमित हैं। फिल्म का विषय कालजयी है, फिल्म नहीं।
बाजीराव
आप हमसे हमारी जिंदगी मांग लेते हैं हम आपको खुशी खुशी देते हैं, पर आपने तो हमसे हमारा गुरूर छीन लिया।
मस्तानी (मृत्यु : 1740 ई०) पेशवा बाजीराव प्रथम की दूसरी पत्नी थी। व बुंदेलखंड के महाराज छत्रसाल और उसकी मुस्लिम रैखेल की पुत्री थीं समकालीन लेखकों व बाजीराव के एक प्राचीन जीवन चरित्र के अनुसार मस्तानी हैदराबाद के निज़ाम की पुत्री थी। बखर और लेखों से मालूम पड़ता है कि मस्तानी अफ़गान की थी।
बाजीराव की कितनी शादी हुई थी?
पेशवा बाजीराव की पहली पत्नी का नाम काशीबाई था जिसके 3 पुत्र थे- बालाजी बाजी राव, रघुनाथ राव जिसकी बचपन में भी मृत्यु हो गई थी। पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी का नाम था मस्तानी, जो छत्रसाल के राजा की बेटी थी।
बाजीराव मस्तानी के वंशज कौन हैं?
बाजीराव के वंशज जुबेर बहादुर जोश बताते हैं कि मस्तानी के पुत्र का नाम कृष्णाजीराव था। उनका लालन-पालन हिन्दू रीति-रिवाज से हुआ था। कृष्णाजीराव के जनेऊ करवाने बाजीराव ने पंडितों को बुलाया था, लेकिन उन्होंने इस पर बवाल मचा दिया। उनका कहना था कि मुसलमान मां से जन्मे बेटे का जनेऊ वे नहीं करवाएंगे।
बाजीराव मस्तानी के वंशज कौन हैं?
बाजीराव के वंशज जुबेर बहादुर जोश बताते हैं कि मस्तानी के पुत्र का नाम कृष्णाजीराव था। उनका लालन-पालन हिन्दू रीति-रिवाज से हुआ था। कृष्णाजीराव के जनेऊ करवाने बाजीराव ने पंडितों को बुलाया था, लेकिन उन्होंने इस पर बवाल मचा दिया। उनका कहना था कि मुसलमान मां से जन्मे बेटे का जनेऊ वे नहीं करवाएंगे।
क्या बाजीराव वास्तव में मस्तानी से प्यार करते थे?
पेशवा बाजीराव की मस्तानी से प्रेम की पूरी कहानी वास्तविक कहानी का काल्पनिक संस्करण है । मस्तानी वास्तव में उन्हें उपहार में मिली थी और इससे बाजीराव के परिवार में कुछ समस्याएँ पैदा हुईं लेकिन उन्होंने कभी भी काशी की उपेक्षा नहीं की। वे एक-दूसरे के प्यारे जीवनसाथी बने रहे।
बाजीराव और मस्तानी के कितने बच्चे थे?
मस्तानी का विवाह पेशवा बाजीराव से मई 1729 में राजपूत खांडा पद्दति से हुआ था। उनके बाजीराव से एक पुत्र भी हुआ, जिसका नाम पहले कृष्णराव रखा गया, लेकिन पुणे के ब्राह्मणों ने उसका जनेऊ संस्कार करने से मना कर दिया, जिस वजह से उसे उसकी मां ने कृष्णसिंह नाम दिया।
बाजीराव मस्तानी कितनी सच है?
भंसाली ने इतिहासकार निनाद बेडेकर से सलाह ली, जिन्हें पेशवाओं का विशेषज्ञ माना जाता है। क्वार्ट्ज द्वारा प्रकाशित एक लेख के अनुसार, बाजीराव और मस्तानी की “प्रेम कहानी” ” लगभग पूरी तरह से काल्पनिक ” है, जिसमें लिखा गया है कि सबसे विश्वसनीय स्रोत भी उनके रिश्ते की प्रकृति के बारे में विवरण नहीं देते हैं।
बाजीराव पेशवा की मृत्यु कैसे हुई?
लगातार युद्धों और सैन्य अभियानों के कारण बाजीराव का शरीर थक गया था । उसी दिन नर्मदा नदी के तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। बालाजी बाजीराव ने राणोजी शिंदे को स्मारक के रूप में एक छतरी बनाने का आदेश दिया।
बाजीराव ने कितने युद्ध जीते थे?
बाजीराव ने 41 से अधिक लड़ाइयाँ लड़ीं और कहा जाता है कि उन्होंने कभी एक भी लड़ाई नहीं हारी। उन्हें मराठा साम्राज्य का विस्तार करने का श्रेय दिया जाता है, खासकर उत्तर में, जिसने बाजीराव की मृत्यु के बीस साल बाद उनके बेटे के शासनकाल के दौरान इसे चरम पर पहुंचने में योगदान दिया। बाजीराव को नौ पेशवाओं में सबसे प्रभावशाली माना जाता है।
बाजीराव मस्तानी की मृत्यु के बाद क्या होता है?
1740 में बाजीराव और मस्तानी दोनों की मृत्यु के बाद, शमशेर को बाजीराव की विधवा काशीबाई के घर में ले जाया गया और उन्हीं में से एक के रूप में उसका पालन-पोषण किया गया। उन्होंने 14 जनवरी 1749 को लाला कुँवर से शादी की, और 1753 में उनकी मृत्यु के तुरंत बाद, शमशेर बहादुर की शादी 18 अक्टूबर 1753 को मेहरामबाई से हुई।
क्या बाजीराव शिवाजी से संबंधित है
छत्रपति शिवाजी महाराज (1630-1680) और बाजीराव पेशवा के बीच कोई संबंध नहीं था क्योंकि वे दो अलग-अलग युगों में अस्तित्व में थे…लेकिन पेशवा पद (प्रधान मंत्री) छत्रपति शिवाजी महाराज शासन से उनका था।
मस्तानी की हत्या कैसे हुई?
बाजीराव के देहान्त के कुछ दिनों बाद मस्तानी की भी मौत हो गई। मस्तानी की मृत्यु कैसे हुई, इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है। लेकिन दंतकथाओं के अनुसार बाजीराव प्रथम की मौत की खबर सुनते ही मस्तानी ने अपनी अंगूठी में रखा ज़हर पीकर आत्महत्या कर ली।