माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर, विषय-गणित, कक्षा-10, वास्तविक संख्याएँ Real Numbers
अंकगणित की आधारभूत प्रमेय, अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भमण । The Fundamental Theorem of Arithmetic, Revisiting Irrational Numbers.
अंकगणित की आधारभूत प्रमेय
परिभाषा:
किसी धनात्मक पूर्णांक n के लिए, n के भाजक एक-दूसरे के इकाई गुणक होते हैं।
उदाहरण:
6 के भाजक 1, 2, 3, 6 हैं। 1 और 6 का इकाई गुणक 1 है, 2 और 6 का इकाई गुणक 2 है, और 3 और 6 का इकाई गुणक 3 है।
व्याख्या:
इकाई गुणक वह संख्या है जो किसी भी दो संख्याओं के गुणनफल में केवल एक बार आती है। उदाहरण के लिए, 1 और 6 के गुणनफल में केवल 1 एक बार आता है, इसलिए 1 इन दो संख्याओं का इकाई गुणक है।
प्रमेय:
किसी धनात्मक पूर्णांक n के भाजकों की संख्या n के अभाज्य गुणनखंडों की संख्या के बराबर होती है।
उदाहरण:
6 के भाजकों की संख्या 4 है, जो 6 के अभाज्य गुणनखंडों की संख्या के बराबर है (2 * 3 = 6)।
व्याख्या:
इस प्रमेय का अर्थ है कि किसी भी धनात्मक पूर्णांक n के लिए, n के भाजकों को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है:
उदाहरण के लिए, 6 के लिए, प्रथम समूह में केवल 1 और 6 शामिल हैं, और द्वितीय समूह में केवल 2 और 3 शामिल हैं।
परिभाषा:
एक अभाज्य संख्या वह पूर्णांक है जिसकी केवल दो भाजक हैं: 1 और स्वयं।
उदाहरण:
2, 3, 5, 7, 11, 13, … अभाज्य संख्याएँ हैं।
प्रमेय:
किसी धनात्मक पूर्णांक n को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
उदाहरण:
6 = 2 * 3
व्याख्या:
इस प्रमेय को सिद्ध करने के लिए, हम यूक्लिड विभाजन प्रमेय का उपयोग करते हैं। यूक्लिड विभाजन प्रमेय बताता है कि किसी भी दो पूर्णांकों m और n के लिए, n को m से विभाजित करने पर, हमे दो पूर्णांक q और r प्राप्त होते हैं, जहाँ 0 ≤ r < m होता है।
अब, मान लीजिए कि n एक धनात्मक पूर्णांक है जिसे अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। तो, n को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त करने का प्रयास करने पर, हमें एक अभाज्य संख्या p प्राप्त होगी जिसे n से विभाजित करने पर, हमें दो पूर्णांक q और r प्राप्त होंगे, जहाँ 0 ≤ r < p होता है।
चूँकि p एक अभाज्य संख्या है, इसलिए p के केवल दो भाजक हैं: 1 और p। लेकिन, हमारे पास q और r भी हैं, जो n के भाजक हैं। इसलिए, n के कम से कम तीन भाजक हैं, जो हमारी परिकल्पना के विपरीत है।
इसलिए, हमारी परिकल्पना गलत है, और n को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भमण
परिभाषा:
वह संख्या जो किसी भी दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में व्यक्त नहीं की जा सकती है, उसे अपरिमेय संख्या कहते हैं।
उदाहरण:
√2, √3, √5, … अपरिमेय संख्याएँ हैं।
प्रमेय:
किसी अपरिमेय संख्या का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती या सांत असांत होता है।
उदाहरण:
√2 = 1.414213
अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भमण प्रमेय का अर्थ है कि कोई भी अपरिमेय संख्या का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती या सांत असांत होता है।
असांत आवर्ती दशमलव वह दशमलव है जिसमें अनंत रूप से कई अंक होते हैं जो एक निश्चित पैटर्न में दोहराते रहते हैं। उदाहरण के लिए, √2 का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती है:√2 = 1.4142135623730950488016887242097...
सांत असांत दशमलव वह दशमलव है जिसमें अनंत रूप से कई अंक होते हैं, लेकिन वे एक निश्चित पैटर्न में दोहराते नहीं हैं। उदाहरण के लिए, 1/3 का दशमलव प्रसार सांत असांत है:1/3 = 0.33333333333333333333...
अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भमण प्रमेय सिद्ध करने के लिए, हम निम्नलिखित तरीके का उपयोग कर सकते हैं:
इसलिए, हमारी परिकल्पना गलत है, और x का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती या सांत असांत होना चाहिए।
अपरिमेय संख्याओं का पुनर्भमण प्रमेय वास्तविक संख्याओं की गणितीय संरचना को समझने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रमेय हमें यह समझने में मदद करता है कि वास्तविक संख्याओं में कितनी विविधता है।
यह प्रमेय हमें यह भी समझने में मदद करता है कि क्यों कुछ गणितीय समस्याओं को हल करना मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी अपरिमेय संख्या के दशमलव प्रसार के एक निश्चित अंक को खोजने का प्रयास करते हैं, तो हम कभी भी उसे नहीं खोज पाएंगे।