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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर, विषय-गणित, कक्षा-10, ईकाई-2 बीजगणित ALGEBRA 2

ईकाई-2 बीजगणित ALGEBRA 2. बहुपद POLYNOMIALS बहुपद के शून्यकों का ज्यामितीय अर्थ, किसी बहुपद के शून्यकों और गुणांकों में संबंध। Geometrical Meaning of the Zeroes of a Polynomial, Relationship between Zeroes and Coefficients a Polynomial.

बहुपद के शून्यकों का ज्यामितीय अर्थ

बहुपद के शून्यकों का ज्यामितीय अर्थ यह है कि बहुपद का ग्राफ x-अक्ष को जिन बिंदुओं पर काटता है, वे बहुपद के शून्यक हैं।

उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x−3 का ग्राफ निम्नलिखित है:y = x^2 + 2x - 3 x = -1 y = (-1)^2 + 2(-1) - 3 y = -4 x = 3 y = 3^2 + 2(3) - 3 y = 12

इस ग्राफ को ध्यान से देखें, तो हम देखते हैं कि यह x-अक्ष को दो बिंदुओं पर काटता है। इन बिंदुओं के x-निर्देशांक -1 और 3 हैं। अतः, बहुपद x2+2x−3 के दो शून्यक हैं।

किसी बहुपद के शून्यकों और गुणांकों में संबंध

किसी बहुपद के शून्यकों और गुणांकों में निम्नलिखित संबंध हैं:

  • बहुपद के शून्यकों का योगफल बहुपद के शीर्ष गुणांक का व्युत्क्रम होता है।
  • बहुपद के शून्यकों का गुणनफल बहुपद के अंतिम गुणांक होता है।

इन संबंधों को निम्नलिखित सूत्र द्वारा भी व्यक्त किया जा सकता है:(x - a)(x - b) = x^2 - (a + b)x + ab

जहां a और b बहुपद के शून्यक हैं।

शून्यकों के योगफल का संबंध

बहुपद के शून्यकों का योगफल बहुपद के शीर्ष गुणांक का व्युत्क्रम होता है।

उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x−3 के शून्यक x=−1 और x=3 हैं। इसके शीर्ष गुणांक 2 है।(-1) + 3 = 2

अतः, बहुपद के शून्यकों का योगफल 2 है, जो शीर्ष गुणांक 2 का व्युत्क्रम है।

शून्यकों के गुणनफल का संबंध

बहुपद के शून्यकों का गुणनफल बहुपद के अंतिम गुणांक होता है।

उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x−3 के शून्यक x=−1 और x=3 हैं। इसके अंतिम गुणांक -3 है।(-1) * 3 = -3

अतः, बहुपद के शून्यकों का गुणनफल -3 है, जो अंतिम गुणांक -3 है।

सूत्र का उपयोग

उपरोक्त सूत्र का उपयोग करके, हम किसी बहुपद के शून्यकों को ज्ञात कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x−3 के शून्यक ज्ञात करने के लिए, हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग कर सकते हैं:(x - a)(x - b) = x^2 - (a + b)x + ab

जहां a और b बहुपद के शून्यक हैं।

इस सूत्र में, a और b के मान ज्ञात करने के लिए, हमें निम्नलिखित समीकरण हल करने होंगे:ab = -3 a + b = 2

इन समीकरणों को हल करने पर, हमें a=−1 और b=3 प्राप्त होते हैं।

अतः, बहुपद x2+2x−3 के शून्यक x=−1 और x=3 हैं।

अतिरिक्त नोट्स

  • एक बहुपद के शून्यक हमेशा वास्तविक संख्याएँ नहीं होते हैं। वे काल्पनिक संख्याएँ भी हो सकती हैं
  • एक बहुपद के शून्यक हमेशा वास्तविक संख्याएँ नहीं होते हैं। वे काल्पनिक संख्याएँ भी हो सकती हैं।
  • उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x+5 के शून्यक x=−1+−3​ और x=−1−−3​ हैं। ये दोनों शून्यक काल्पनिक संख्याएँ हैं।
  • एक बहुपद के शून्यकों की संख्या बहुपद की डिग्री के बराबर होती है।
  • उदाहरण के लिए, एक द्विघात बहुपद के दो शून्यक होते हैं, एक त्रिघात बहुपद के तीन शून्यक होते हैं, और इसी तरह।
  • एक बहुपद के शून्यकों का गुणनफल बहुपद के अंतिम गुणांक के बराबर होता है।
  • यह संबंध बहुपद के शून्यकों और गुणांकों के बीच का एक महत्वपूर्ण संबंध है। इसे उपयोग करके, हम किसी बहुपद के शून्यकों को ज्ञात कर सकते हैं।
  • उदाहरण के लिए, बहुपद x2+2x−3 के शून्यकों का गुणनफल -3 है, जो बहुपद का अंतिम गुणांक भी है। इसलिए, हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके बहुपद के शून्यकों को ज्ञात कर सकते हैं:(x - a)(x - b) = x^2 - (a + b)x + ab
  • जहां a और b बहुपद के शून्यक हैं।
  • इस सूत्र में, a और b के मान ज्ञात करने के लिए, हमें निम्नलिखित समीकरण हल करने होंगे:ab = -3 a + b = 2
  • इन समीकरणों को हल करने पर, हमें a=−1 और b=3 प्राप्त होते हैं।
  • अतः, बहुपद x2+2x−3 के शून्यक x=−1 और x=3 हैं।
  • अंतिम शब्द
  • बहुपद के शून्यकों का ज्यामितीय अर्थ और शून्यकों और गुणांकों के बीच संबंध बीजगणित के महत्वपूर्ण विषय हैं। इन संबंधों को समझने से हमें बहुपदों को बेहतर ढंग से समझने और उनका उपयोग करने में मदद मिलती है।

बीजगणितीय विधियों का उपयोग करके रैखिक समीकरणों के युग्म को हल करना

प्रतिस्थापन विधि

प्रतिस्थापन विधि में, हम एक समीकरण में से एक चरों को दूसरे समीकरण में प्रतिस्थापित करके, उस समीकरण को हल करते हैं। फिर, प्राप्त मान को दूसरे समीकरण में प्रतिस्थापित करके, दूसरे चरण को हल करते हैं।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि हमें निम्नलिखित रैखिक समीकरणों के युग्म को हल करना है:x + y = 5 2x - y = 3

पहले समीकरण से, हम y को x के रूप में व्यक्त कर सकते हैं:y = 5 - x

इस मान को दूसरे समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है:2x - (5 - x) = 3 3x - 5 = 3 3x = 8 x = 8/3

इस मान को अब पहले समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है:(8/3) + y = 5 y = 17/3

अतः, दिए गए समीकरणों के युग्म का हल (8/3, 17/3) है।

विलोपन विधि

विलोपन विधि में, हम दोनों समीकरणों में से एक ही चरण को समाप्त करने का प्रयास करते हैं। ऐसा करने के लिए, हम दोनों समीकरणों को एक ही चरण में से एक ही चरण के गुणांकों को समान बनाते हैं। फिर, हम समीकरणों को जोड़ने या घटाने के द्वारा, दूसरे चरण को समाप्त कर देते हैं।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि हमें निम्नलिखित रैखिक समीकरणों के युग्म को हल करना है:x + y = 5 2x - y = 3

पहले समीकरण में से x को दोगुना करने पर, हमें प्राप्त होता है:2x + 2y = 10

दूसरे समीकरण से, हम y को x के रूप में व्यक्त कर सकते हैं:y = 2x - 3

इस मान को पहले समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है:2x + 2(2x - 3) = 10 4x - 6 = 10 4x = 16 x = 4

इस मान को अब दूसरे समीकरण में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है:2(4) - y = 3 8 - y = 3 y = 5

अतः, दिए गए समीकरणों के युग्म का हल (4, 5) है।

निष्कर्ष

प्रतिस्थापन विधि और विलोपन विधि दोनों रैखिक समीकरणों के युग्म को हल करने के लिए प्रभावी तरीके हैं। इन विधियों को चुनते समय, हमें समीकरणों की प्रकृति पर विचार करना चाहिए। यदि एक समीकरण में एक चरण आसानी से हल हो जाता है, तो प्रतिस्थापन विधि अधिक उपयुक्त हो सकती है। यदि दोनों समीकरणों में एक ही चरण होता है, तो विलोपन विधि अधिक उपयुक्त हो सकती है।

द्विघात समीकरण: गुणनखंड विधि द्वारा हल और मूलों की प्रकृति

द्विघात समीकरण वह समीकरण है जिसमें अज्ञात चर (variable) की घात (power) 2 है। सामान्य रूप में इसे इस तरह लिखा जाता है:

ax^2 + bx + c = 0

जहां a, b और c संख्याएं हैं (a ≠ 0), और x अज्ञात चर है। इस समीकरण के दो हल हो सकते हैं, जिन्हें इसके मूल या शून्यक कहते हैं।

गुणनखंड विधि द्विघात समीकरणों को हल करने का एक तरीका है। इसमें हम दिए गए समीकरण को दो रैखिक समीकरणों के गुणनफल के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।

उदाहरण: मान लीजिए हमें निम्नलिखित द्विघात समीकरण को हल करना है:

x^2 + 5x – 6 = 0

गुणनखंड विधि में, हम पहले दो संख्याओं को ढूंढते हैं जिनका गुणनफल -6 है और योगफल 5 है। ये संख्याएं 6 और -1 हैं।

अब, हम दिए गए समीकरण को दो ऐसे रैखिक समीकरणों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं जिनके चरणों में ये संख्याएं हों:

(x + 6)(x – 1) = 0

इस समीकरण से, हमें दो संभावनाएं मिलती हैं:

  • x + 6 = 0
  • x – 1 = 0

इन समीकरणों को हल करने पर, हमें मूल मिलते हैं:

  • x = -6
  • x = 1

मूलों की प्रकृति:

द्विघात समीकरण के मूलों की प्रकृति भेद (discriminant) पर निर्भर करती है। भेद को निम्नलिखित सूत्र द्वारा दर्शाया जाता है:

b^2 – 4ac

यदि भेद धनात्मक (positive) है, तो दोनों मूल वास्तविक और भिन्न (distinct) होते हैं।

यदि भेद शून्य है, तो दोनों मूल समान और वास्तविक होते हैं।

यदि भेद ऋणात्मक (negative) है, तो दोनों मूल सम्मिश्र (complex) होते हैं।

उपरोक्त उदाहरण में, भेद (5^2 – 4 * 1 * -6) = 41, जो धनात्मक है। इसलिए, दोनों मूल वास्तविक और भिन्न हैं।

निष्कर्ष:

गुणनखंड विधि द्विघात समीकरणों को हल करने का एक आसान और सीधा तरीका है। हालांकि, यह सभी समीकरणों के लिए काम नहीं करता है। हमें भेद की प्रकृति पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह मूलों की वास्तविकता या जटिलता निर्धारित करती है।

नोट:

  • इन नोट्स को समझने के लिए द्विघात समीकरणों के मूलभूत सिद्धांतों का कुछ ज्ञान होना आवश्यक है।
  • उदाहरण को सरल रखा गया है। अधिक जटिल समीकरणों के लिए, गुणनखंड विधि थोड़ी अधिक जटिल हो सकती है।

समांतर श्रेढियाँ (Arithmetic Progressions)

समांतर श्रेढी (arithmetic progression) वह श्रेणी होती है जिसमें प्रत्येक पद अपने पूर्ववर्ती पद से समान अंतर रखता है। इस अंतर को सार्व अंतर (common difference) कहते हैं।

समांतर श्रेढी के nवें पद का सूत्रt_n = a + (n - 1)d

जहां:

  • a = प्रथम पद
  • d = सार्व अंतर
  • n = पद संख्या

उदाहरण:

एक समांतर श्रेणी का प्रथम पद 5 और सार्व अंतर 2 है। श्रेणी के 10वें पद का मान ज्ञात करें।t_10 = 5 + (10 - 1) * 2 = 5 + 18 = 23

समांतर श्रेढी के प्रथम n पदों का योगSn = n/2 [2a + (n - 1)d]

जहां:

  • a = प्रथम पद
  • d = सार्व अंतर
  • n = पद संख्या

उदाहरण:

एक समांतर श्रेणी का प्रथम पद 2 और सार्व अंतर 3 है। श्रेणी के पहले 10 पदों का योग ज्ञात करें।Sn = 10/2 * [2 * 2 + (10 - 1) * 3] = 5 * [4 + 27] = 5 * 31 = 155

निष्कर्ष:

समांतर श्रेढियाँ एक महत्वपूर्ण गणितीय अवधारणा है। इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि सांख्यिकी, भौतिकी, रसायन विज्ञान, और अर्थशास्त्र।