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Budget 2023-24 | बजट का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, स्वरूप, प्रकार व तकनीकी शब्द

Budget 2023-24 | केंद्रीय आम बजट से जुड़ा हर तथ्य व पूर्ण प्रतिवेदन

बजट 2023-24

Budget 2023: एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगी। हर वर्ष के समांनीस वर्ष के बजट को लेकर आम जनता से लेकर बड़े उद्योगपति तक इसको लेकर बहुत जिज्ञासा है। हम इस बजट से सम्बंधित पल-पल के समाचार व मुख्य बिंदु (विश्लेषण सहित ) प्रस्तुत करेंगे। आप हमसे निरन्तर जुड़े रहिये। आइये बजट से पहले कुछ विशेष बाते-

बजट से क्या मतलब है ?

बजट शब्द अंग्रेज़ी भाषा के ‘bowgette’ से आया है जो मूल रूप से फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है चमड़े का बैग।इंग्लैंड में 1733 ईस्वी में जब वित्त मंत्री सर रोबर्ट वालपोल ने अपनी वित्तीय योजना कामन सभा के सामने रखने के लिए एक चमड़े के थैले से कागज निकालें तो व्यंग रूप में कहा गया कि वित्त मंत्री ने अपना बजट खोला। तभी से सरकार की आय – व्यय के लिए इस शब्द का प्रयोग होने लगा।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक आम बजट एक वित्त वर्ष में सरकार की आय और व्यय का लेखा- जोखा होता है।

बजट की परिभाषा (Budget Definition)

बजट, भविष्य के लिये की गई वह योजना है जो, पूरे साल की राजस्व व अन्य आय तथा खर्चो का अनुमान लगा कर बनाई जाती है. जिसमे वित्तीय मंत्री के द्वारा, सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगा कर, आने वाले वर्ष के लिये कई योजनायें बना कर, जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती है. एक आदर्श बजट वह होता है जिसमे,किसी का स्वार्थ ना हो. सरकार द्वारा उस बजट मे लोग, व्यापार, सरकार, देश, बहुराष्ट्रीय संगठन के लिये, एक व्यक्ति, परिवार, समूह के लिये अच्छी से अच्छी योजनायें बनाई गई हो तथा खर्चे व निवेश किये गये हो.

बजट निर्माण के उद्देश्य (Aim of Budget in hindi)

प्रत्येक वर्ष के लिये सरकार पूर्व मे ही योजना बना लेती है. जिसमे सरकार की आय के स्त्रोत जैसे- भिन्न-भिन्न करो की वसूली या टैक्स, राजस्व से आय, सरकारी फीस-जुर्मना, लाभांश, दिये गये ऋण पर ब्याज आदि सभी आय और इन आय को वापस जनता के लिये लगाना बजट का मुख्य उद्देश्य होता है.

  • आर्थिक विकास की दर मे वृद्धि करना.
  • गरीबी व बेरोजगारी को दूर करना.
  • असमानताओ को दूर कर आय का सही योजनाओं मे उपयोग करना.
  • बाजार मे मूल्य व आर्थिक स्थिरता बनाये रखना.
  • अन्य सभी क्षेत्रों रेल, बिजली, वित्त, अनाज, खाद्यपदार्थ, बैंकों के लिये भी फण्ड रखना.

बजट का महत्व

बजट आर्थिक उन्नति तथा सामाजिक उत्कर्ष का सबल साधन है। अनेक सामाजिक तथा आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बजट एक निति के रूप में अपनाया जाता है। इसका महत्व निम्नलिखित है-

  • उत्पादन बढ़ाने में।
  • आय और धन के उचित वितरण करने में ।
  • मुद्रा-स्फीति नियंत्रण करने में।
  • व्यवसाय व रोजगार वृद्धि में।
  • आर्थिक संकट दूर करने में।
  • सरकारी योजनाओं के मूल्यांकन करने में।
  • योजनाबद्ध विकास करने में।
  • आर्थिक व्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करने में ।
  • लोक कल्याणकारी कार्यों को साकार करने में ।
  • सरकार की नीति क्रियान्वित करने में ।

बजट के विभिन्न रूप

1) मद क्रम बजट निर्माण (line item budget)-

मद क्रम में खर्चे के उद्देश्य को लाए बिना उनकी मदों पर जोर दिया जाता है। इस प्रकार के बजटिंग का उद्देश्य विधायिका द्वारा कार्यपालिका को स्वीकृत धन की बर्बादी तथा आय-व्यय के दुरुपयोग को रोकना है। इस प्रणाली को वर्धनशील बजटिंग (Incremental) भी कहते हैं।

2) निष्पादन बजट Performance Budgetting) – निष्पादन बजट की शुरुआत वर्ष 1949 में अमेरिका में ( हूवर आयोग) हुआ। इसे राष्ट्रपति इमैन ने लागू किया। किसी कार्य (चालू वर्ष) के परिणामों के आधार मानकर बनाए जाने वाले (अगले वर्ष का) बजट को निष्पादन बजट कहते हैं। इसमें विभिन्न परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों का क्रियान्वयन गुणवत्तापूर्ण करने का प्रयास किया जाता है। कुशल प्रबंधन द्वारा बजट का संचालन किया जाता है।भारत में निष्पादन बजट को प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reform Commission-ARC) की सिफारिश पर वर्ष 1968 में लागू किया गया।

(3) शून्य आधारित बजट ( Zero Base Budgeting)- शून्य आधारित बजट का विकास भी अमेरिका में पीटर ए. फर (pyhrr) द्वारा वर्ष 1969 में किया गया तथा राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने वर्ष 1978 में लागू किया। इस तरह के बजट में पुराने वर्षों के व्ययों पर विचार नहीं किया जाता है और ना ही उसमें कुछ सुधार किया जाता है। इसमें नए वर्ष के लिए बिल्कुल नए सिरे से बजट तैयार किया जाता है। इस प्रणाली को सूर्यास्त बजट ( Sunset Budget) भी कहते हैं भारत में शून्य आधारित बजट वर्ष 1987-88 में तत्कालीन वित्त मंत्री वी पी सिंह द्वारा लागू किया गया।

(4) परिणाम बजट ( Outcome Budget)- इसमें किसी कार्यक्रम पर कितना धन व्यय किया जाता है तथा इसका परिणाम इस व्यय के अनुरूप है या नहीं इस पर ध्यान दिया जाता है । इसका मुख्य उद्देश्य चालू वित्तीय वर्ष के हर तिमाही समीक्षा करना है। भारत में पहला आउटकम बजट वर्ष 2005 में पेश किया गया।

5 ) जेंडर बजट (Gender Budget)- ये बजट महिलाओं के विकास कल्याण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि सुनिश्चित करता है।

बजट से सम्बंधित तकनीकी शब्द

Assessment Year: यह कर निर्धारण साल होता है, जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है. जैसे 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक होगा.

Financial Year: यह साल का वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है.

Previous Year: यह एक वित्तीय साल है जो कर निर्धारण वर्ष से ठीक पहले आता है. यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है. इस दौरान कमाई गई रकम पर कर निर्धारण साल में टैक्स देना होता है. यानी 1 अप्रैल 2021से 31 मार्च 2022 अगर वित्तीय साल है तो कर निर्धारण साल 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक होगा.

Assessee: ऐसा व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता है.

Capital Gains: पूंजीगत एसेट्स को बेचने या लेन-देने से होने वाला मुनाफा कैपिटल गेन्स कहलाता है.

Capital Asset: जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.

Short Term Capital Assets: कम अवधि के पूंजीगत एसेट्स 36 महीने से कम समय के लिए रखे जाते हैं. वहीं शेयर, सिक्योरिटी और बॉन्ड आदि के मामले में यह अवधि 36 महीने की बजाय 12 महीने की है.

Fiscal deficit: सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को आर्थिक शब्दावली में ‘राजकोषीय घाटा’ कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है. यानी, सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है.

Finance Bill: इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.

direct tax: डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो किसी भी व्यक्ति व संस्थान की आय, संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर लगता है. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स इस कैटेगरी में आते हैं.

in-direct tax: उत्पादित वस्तुओं पर लगने वाला टैक्स होता है इनडायरेक्ट टैक्स. इसके अलावा यह आयात-निर्यात वाले सामान पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा शुल्‍क के जरिए भी लगाया जाता है.

GDP: सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर  कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है.

Disinvestment: जब सरकार अपने संचालन की किसी कंपनी या संस्थान में अपनी हिस्सेदारी बेचती है, तो उसे विनिवेश कहा जाता है. इसका मतलब ये है कि सरकार अपने अधिकार वाली कंपनी में से हिस्सेदारी निजी कंपनियों या व्यक्त‍ि को बेच देती है.

Bond: पैसा जुटाने के लिए सरकार अक्सर बॉन्ड जारी करती है. यह कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है.

Balance of payment: देश और दुनिया के अन्य देशों के साथ सरकार का जो भी वित्तीय लेनदेन होता है, उसे ही बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है.

Balance budget: जब सरकार का राजस्व मौजूदा खर्च के बराबर होता है, तो उसे बैलेंस बजट का नाम दिया जाता है.

Custom duty: देश में आयात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क अथवा कस्टम ड्यूटी लगती है.

Excise duty: एक्साइज ड्यूटी अथवा उत्पाद शुल्क वह शुल्क होता है, जो देश के भीतर बनने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है. यह कस्टम ड्यूटी से अलग होता है. कस्टम ड्यूटी देश के बाहर से आने वाले उत्पादों पर लगाया जाता है. यह उत्पाद के प्रोडक्शन और खरीद पर लगता है.

Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांचवीं बार पेश करेंगी बजट, सबसे लंबी स्पीच सहित उनके नाम हैं कई रोचक रिकॉर्ड

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल एक फरवरी सुबह 11 बजे संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करेंगी।

मुख्य बिंदु कल 01 फरवरी 2023 हेतु-

31 जनवरी से शुरू होगा बजट सत्र, 8 अप्रैल तक चलेगा

1 फरवरी को वित्त मंत्री यूनियन बजट 2023-24 पेश करेंगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वे पेश करेंगी

बजट पेश करने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों से पास किया जाएगा

आम बजट 2023-24 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का लगातार पांचवां बजट होगा

2024 के आम चुनावों के पहले यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा