विद्युत धारा और परिपथ
Electric current and circuit
विद्युत धारा
विद्युत धारा, किसी चालक में आवेश के प्रवाह की दर को कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है। एक कूलॉम आवेश 1 सेकण्ड में प्रवाहित होता है तो उस परिपथ में विद्युत धारा का मान 1 एम्पीयर होता है।
विद्युत धारा के दो प्रकार होते हैं:
विद्युत परिपथ
विद्युत धारा को प्रवाहित करने के लिए दो या दो से अधिक चालकों को एक निश्चित क्रम में जोड़ने को विद्युत परिपथ कहते हैं। परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह के लिए एक ऊर्जा स्रोत, जैसे- बैटरी, की आवश्यकता होती है।
विद्युत परिपथ के प्रकार
विद्युत परिपथ मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
विद्युत परिपथ के घटक
विद्युत परिपथ के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:
विद्युत परिपथ का प्रतीकात्मक निरूपण
विद्युत परिपथों को चित्रों के माध्यम से भी प्रदर्शित किया जा सकता है। इन चित्रों को परिपथ आरेख कहते हैं। परिपथ आरेख में विभिन्न घटकों को निम्नलिखित प्रतीकों द्वारा दर्शाया जाता है:
विद्युत परिपथ के नियम
विद्युत परिपथ के कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं:
विद्युत सुरक्षा
विद्युत परिपथों के साथ काम करते समय निम्नलिखित सुरक्षा सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता होती है:
विद्युत धारा और परिपथ का ज्ञान हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग हम अपने घरों, कार्यालयों और उद्योगों में विभिन्न प्रकार के विद्युत उपकरणों को चलाने के लिए करते हैं
विद्युत विभव और विभवांतर
Electric potential and potential difference
विद्युत विभव
विद्युत विभव, किसी बिंदु पर विद्युत आवेश पर कार्य करने वाले बल को कहते हैं। इसका SI मात्रक वाल्ट (V) है।
किसी बिंदु पर विद्युत विभव का मान, उस बिंदु पर स्थित एक इकाई धनात्मक आवेश को अनंत से उस बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य के बराबर होता है।
विद्युत विभव को निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:V = W/q
जहाँ,
विभवांतर
किन्हीं दो बिंदुओं के विद्युत विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका SI मात्रक भी वाल्ट (V) है।
किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवांतर का मान, उन दो बिंदुओं पर स्थित इकाई धनात्मक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य के बराबर होता है।
विभवांतर को निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:Vab = Va - Vb
जहाँ,
विद्युत विभव और विभवांतर में अंतर
विद्युत विभव किसी बिंदु पर विद्युत आवेश पर कार्य करने वाले बल को कहते हैं, जबकि विभवांतर किन्हीं दो बिंदुओं के विद्युत विभवों के अंतर को कहते हैं।
विद्युत विभव का मान एक बिंदु पर निश्चित होता है, जबकि विभवांतर का मान दो बिंदुओं के बीच भिन्न होता है।
विद्युत विभव और विभवांतर के उदाहरण
विद्युत विभव और विभवांतर के अनुप्रयोग
विद्युत विभव और विभवांतर के सिद्धांतों का उपयोग विभिन्न विद्युत उपकरणों में किया जाता है। उदाहरण के लिए,
Circuit diagram
विद्युत परिपथ आरेख
एक विद्युत परिपथ आरेख (circuit diagram), या इलेक्ट्रिकल स्कीमैटिक, किसी विद्युत परिपथ का एक सरलीकृत चित्रात्मक प्रतिनिधित्व है। यह परिपथ में प्रयुक्त घटकों को उनके सरलीकृत मानक प्रतीकों के माध्यम से दर्शाता है। यह जरूरी नहीं है कि आरेख में चित्रित अवयव उस विन्यास दिखाये गये हों जिस तरह से वे अन्तिम परिपथ में लगे होते हैं।
विद्युत परिपथ आरेखों का उपयोग विद्युत इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा विद्युत परिपथों को डिजाइन करने, विश्लेषण करने और मरम्मत करने के लिए किया जाता है। वे आमतौर पर घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और औद्योगिक उपकरणों में पाए जाते हैं।
Types of circuit diagrams
Circuit diagrams are primarily of two types:
Schematic circuit diagrams: This type of circuit diagram uses standard symbols for the components used in the circuit. This type is commonly used in industrial devices.
Components of circuit diagrams
The main components used in circuit diagrams include the following:
Conductor: This carries the electrical current through the circuit. Examples include wires, strips, etc.
Device: This converts electrical energy into other forms in the circuit. Examples include bulbs, fans, etc.
Symbols of circuit diagrams
Different components in circuit diagrams are represented by the following symbols:
Conductor: A wire is represented by a straight line.
Device: A bulb is represented by a circular symbol.
विद्युत परिपथ आरेख के उपयोग
विद्युत परिपथ आरेख का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जा सकता है:
विद्युत परिपथों का विश्लेषण करना: विद्युत परिपथ आरेख का उपयोग विद्युत परिपथों का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है। इससे इंजीनियरों और तकनीशियनों को यह समझने में मदद मिलती है कि परिपथ में विद्युत धारा कैसे प्रवाहित होती है।
विद्युत परिपथ आरेख एक महत्वपूर्ण उपकरण है
ओम का नियम
Ohm’s law
विद्युत परिपथों में विद्युत धारा के प्रवाह को समझने के लिए ओम का नियम एक महत्वपूर्ण नियम है। यह नियम एक निश्चित तापमान पर किसी चालक में विद्युत धारा और विभवांतर के बीच संबंध स्थापित करता है।
ओम का नियम निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जाता है:V = IR
जहाँ,
ओम के नियम का अर्थ है कि किसी चालक में विद्युत धारा, उस चालक के सिरों के बीच विभवांतर के समानुपाती होती है, यदि तापमान स्थिर रहे।
उदाहरण के लिए, यदि किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर दोगुना कर दिया जाए, तो उस चालक में विद्युत धारा भी दोगुनी हो जाएगी।
ओम का नियम विद्युत परिपथों के डिजाइन और विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उपयोग विद्युत उपकरणों की शक्ति और कार्यप्रदर्शन को निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।
ओम के नियम की सीमाएँ
ओम का नियम के अनुप्रयोग
ओम का नियम एक महत्वपूर्ण नियम है जिसका उपयोग विद्युत परिपथों में विद्युत धारा के प्रवाह को समझने के लिए किया जाता है। इस नियम को समझने से विद्यार्थियों को विद्युत परिपथों के डिजाइन, विश्लेषण और मरम्मत के बारे में बेहतर समझ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एक चालक के प्रतिरोध पर निर्भर करने वाले कारक
Factors on which the resistance of a conductor depends
एक चालक का प्रतिरोध उस चालक की लंबाई, अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल और पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
लंबाई: चालक की लंबाई बढ़ने से उसका प्रतिरोध बढ़ता है। इसका कारण यह है कि लंबी चालक में अधिक संख्या में परमाणु होते हैं जो विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं।
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल: चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने से उसका प्रतिरोध घटता है। इसका कारण यह है कि बड़े अनुप्रस्थ काट वाले चालक में अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन होते हैं जो विद्युत धारा के प्रवाह में योगदान देते हैं।
पदार्थ की प्रकृति: विभिन्न पदार्थों के चालकों का प्रतिरोध अलग-अलग होता है। सामान्य तौर पर, अच्छे चालकों का प्रतिरोध कम होता है, जबकि खराब चालकों का प्रतिरोध अधिक होता है।
प्रतिरोध का सूत्र
एक चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है:R = ρl/A
जहाँ,
चालकता
चालकता एक भौतिक गुण है जो एक चालक में विद्युत धारा के प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है। चालकता का व्युत्क्रम प्रतिरोध होता है।
प्रतिरोध की इकाइयाँ
प्रतिरोध की SI इकाई ओम (Ω) है।
प्रतिरोध के अनुप्रयोग
प्रतिरोध का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों में किया जाता है, जैसे कि:
प्रतिरोधों की प्रणाली का प्रतिरोध
जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं, तो उनकी प्रणाली का प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है:R = R1 + R2 + R3 + ...
जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध समानांतर में जुड़े होते हैं, तो उनकी प्रणाली का प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है:1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3 + ...
विद्युत धारा का तापीय प्रभाव
जब विद्युत धारा किसी चालक से प्रवाहित होती है, तो चालक गर्म हो जाता है। इस प्रभाव को विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।
विद्युत धारा का तापीय प्रभाव निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है:Q = I^2Rt
जहाँ,
विद्युत शक्ति
विद्युत शक्ति वह दर है जिस पर विद्युत ऊर्जा को विद्युत धारा के रूप में परिवर्तित किया जाता है। विद्युत शक्ति निम्नलिखित सूत्र द्वारा दी जाती है:P = I^2R
जहाँ,
विद्युत शक्ति के अनुप्रयोग
विद्युत शक्ति का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों में किया जाता है, जैसे कि:
उपरोक्त विषयों को समझने से विद्यार्थियों को विद्युत परिपथों के डिजाइन, विश्लेषण और मरम्मत के बारे में बेहतर समझ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।