
नाता प्रथा के कारण पीड़ित बच्चों के सरंक्षण हेतु मिशन कोटड़ा के लिए कलक्टर ताराचंद मीणा पीएम पुरस्कार हेतु नामित हुए है। श्री ताराचंद मीणा को सोशल पर प्रचारित जानकारी के अनुसार उदयपुर ज़िले में किये गए नवाचारो के लिए पी एम अवार्ड के लिए शोर्ट लिस्टेड हुए है, खासकर मिशन कोटड़ा की सफलता के लिए ताराचंद मीणा का नाम चुना गया है। श्री ताराचंद मीणा एवम मिशन कोटड़ा की जानकारी इस आलेख में करने का प्रयास करते है। मिशन कोटड़ा का कारण नाता प्रथा के दंश को झेल रहे बच्चे थे जिन्हें इस मिशन के तहत राहत प्रदान करने का नवाचार किया गया था।
नाता प्रथा से क्या मतलब है?
इस प्रथा के अनुसार कुछ जातियों में पत्नी अपने पति को छोड़ कर किसी अन्य पुरुष के साथ रह सकती है। इसे ‘नाता करना’ कहते हैं। इसमें कोई औपचारिक रीति रिवाज नहीं करना पड़ता। केवल आपसी सहमति ही होती है। यह प्रथा आधुनिक समाज के ‘लिव इन रिलेशनशिप’ से काफ़ी मिलती जुलती है। कहा जाता है कि नाता प्रथा को विधवाओं व परित्यक्ता स्त्रियों को सामाजिक जीवन जीने के लिए मान्यता देने के लिए बनाया गया था, जिसे आज भी माना जाता है।
माता के नाते चले जाने का उसके बच्चों पर विपरीत प्रभाव
दक्षिणी राजस्थान में आदिवासी समुदायों के बीच प्रचलित नाता प्रथा के कारण उनकी माताओं द्वारा छोड़ दिए जाते है। अपनी माताओं द्वारा पीछे छोड़ दिए गए, ये बच्चे सामाजिक कलंक का सामना करते हैं । परित्यक्त बच्चों को आमतौर पर रिश्तेदारों, परिचितों और पड़ोसियों द्वारा पाला जाता है। उन्हें अक्सर बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके लिए वे पड़ोसी राज्य गुजरात चले जाते हैं। स्नेह और भावनात्मक सहयोग की कमी से बच्चे प्रभावित होते हैं और माता-पिता में से एक या दोनों के जीवित रहने के बावजूद वे अनाथों की तरह जीवन व्यतीत करते हैं।
मिशन कोटड़ा
आदिवासी बच्चों की स्थिति पर एक अध्ययन के बाद उदयपुर में जिला प्रशासन ने “मिशन कोटड़ा” में विशेष योजनाओं के माध्यम से उनके पालन-पोषण, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए कदम उठाए हैं। जिले के कोटड़ा, लसड़िया, झाड़ोल व फलासिया प्रखंड में मिशन मोड अपनाया गया है।
“मिशन कोटडा” ने बड़ी संख्या में इन बच्चों को राज्य सरकार की पालनहार योजना से जोड़ा है, जिसमें बच्चे की उम्र के आधार पर ₹500 या ₹1,000 का मासिक वजीफा अभिभावक को दिया जाता है, जो बच्चे का रिश्तेदार हो सकता है या परिचित, पालक देखभाल के लिए। बच्चे का दाखिला नजदीकी स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्र में भी कराया गया है।
जिले के चार प्रखंडों में चलाए जा रहे मिशन ने नाता से प्रभावित बच्चों के साथ-साथ अनाथ बच्चों को सफलतापूर्वक पालक देखभाल से जोड़ा है और श्रम के लिए गुजरात में उनके पलायन को रोक दिया है. मिशन ने मानव तस्करी को रोकने, आजीविका के स्रोत पैदा करने और महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।
उदयपुर के सबसे पिछड़े ब्लॉकों में मुद्दों को संबोधित करने के लिए तैयार किए गए “मिशन कोटडा” की अन्य विशेषताओं में छात्रों की ड्रॉपआउट दर में कमी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, औद्योगीकरण, श्रम कल्याण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन का वितरण, स्थापना शामिल है। कृषि उपज मण्डी, कुपोषित बच्चों की पहचान एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण।
वंचित बच्चों की सर्वे से शुरू अभियान में बच्चों को चिह्नित कर प्रमाण पत्र तैयार करवाने घर-घर कर्मचारियों को भेजा, विशेष शिविर लगाए और हर पात्र को इस योजना से जोड़ा गया था। कोटड़ा में 37603 पेंशनर्स, 1156 को दिव्यांग प्रमाण पत्र व 750/159 को सिलिकोसिस प्रमाणपत्र जारी किये गये हैं. रोड़वेज की 5 बसें प्रारंभ करने के साथ कृषि उपज मण्डी की शुरूआत की. लंबे समय से क्षतिग्रस्त 25 किमी सड़क का डामरीकरण करवाया गया था।
” मिशन कोटड़ा” के नाम से प्रसिद्ध कोटड़ा कहा है?
कोटड़ा तहसील राजस्थान के उदयपुर जिले की एक तहसील है,जिसमें 262 राजस्व गांव और 31 पंचायत शामिल हैं। तहसील के उत्तर में पाली और सिरोही जिले, पूर्व में गोगुन्दा और झाड़ोल तहसील और दक्षिण में गुजरातराज्य है। तहसील मुख्यालय उदयपुर के दक्षिण-पश्चिम कोटड़ा गाँव में स्थित है।
ताराचंद मीणा, जिला कलक्टर, उदयपुर
उदयपुर कलेक्टर ताराचंद मीणा को लोक प्रशासन में नवाचार (मिशन कोटड़ा) के लिए प्रधानमंत्री अवार्ड दिया (PM Award to Udaipur district collector) जाएगा. उन्हें इस संबंध में केंद्रीय कार्मिक विभाग की ओर से पत्र प्राप्त हुआ है.

मिशन कोटड़ा के नवाचारी प्रयास देश पर डालेंगे सकारात्मक प्रभाव
पीएम अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट होने के बाद कलेक्टर ताराचंद मीणा ने बताया कि पिछले दिनों ‘मिशन कोटड़ा’ के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी गई थी. इसका गहन अध्ययन नीति आयोग द्वारा किया गया था और इस पर हाल ही में आयोग द्वारा ‘एस्पीरेशनल ब्लॉक’ प्रोग्राम शुरू किया गया है. इस प्रोग्राम के तहत लक्षित विकास पहल के माध्यम से देश के सबसे पिछड़े ब्लॉकों में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जाएगा. कार्यक्रम के तहत संबंधित ब्लॉक्स के स्वास्थ्य, पोषण, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे सहित अन्य क्षेत्रों में प्रगति के लिए प्रयास किए जाएंगे।
कोटड़ा महोत्सव में गत वर्ष देश- प्रदेश के जुटे थे कलाकार
गत वर्ष 2022 में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में जिले के सुदूर आदिवासी अंचल कोटड़ा ब्लॉक में ‘आदि महोत्सव 2022 कोटड़ा’ का आगाज धूमधाम से हुआ था
इस दौरान पश्चिम बंगाल (West Bengal) के नटुआ नृत्य, ओडिशा के सिंगारी नृत्य, गुजरात (Gujarat) के राठवा नृत्य, महाराष्ट्र (Maharashtra) के सोंगी मुखौवटे नृत्य तथा मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गुटुम्ब बाजा नृत्य की प्रस्तुतियों को दर्शक एकटक निहारते रह गए थे। बाहर से आये दर्शक भी राजस्थान (Rajasthan) के पारंपरिक गैर नृत्य, घूमर नृत्य, स्वांग व भवई सहित आदिवासी व जनजाति क्षेत्रों के पारंपरिक कार्यक्रमों को देखकर अभिभूत हो गए थे।