राजस्थान अक्षय निगम, राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी और सौर्य ऊर्जा कंपनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड द्वारा “ कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी ” के तहत जिले सहित आसपास के स्कूलों के लिए 200 स्मार्ट टीवी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खेल सामग्री और फर्नीचर वितरित किए गए।
समाचार पत्रों व सोशल मीडिया पर उपरोक्त प्रकार के मैसेज निरन्तर प्रकाशित होते है। अपने स्कूल के विकास हेतु आप एसडीएमसी, एसएमसी, स्थानीय भामाशाह, जनप्रतिनिधियों, राजकीय संग़ठन इत्यादि से सम्पर्क में रह कर स्कूल के भौतिक विकास हेतु प्रयास करते है। इस आलेख में हम आपको CSR यानी (Companies Social Responsibility) के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदानकर रहे है। आप CSR के माध्यम से भी अपने विद्यालय के विकास हेतु बड़ी धनराशि जुटा करके विद्यालय का विकास कर सकते है।
CSR के माध्यम से आप विद्यालयों में शौचालय, मूत्रालय, कक्षाकक्ष निर्माण, पुस्तकालय पुस्तके, फर्नीचर, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, प्रिंटर, फर्नीचर, ऑफिस टेबल, कुर्सियां, और डिजिटल बोर्ड आदि प्राप्त कर सकते हैं।
CSR के अलावा डिजिटल इनीशिएशन फॉर क्वालिटी एजुकेशन के तहत जिले के स्कूलों, मदरसों और समाज कल्याण के छात्रावासों में विभिन्न प्रकार से सहयोग उपलब्ध करवाया जाता है। इसी प्रकार भामाशाहों के सहयोग भी हम अनेक प्रकार से सहयोग प्राप्त कर सकते है। इस आलेख में सिर्फ CSR की बात की जा रही है।
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की बेसिक जानकारी:
- अर्थ : कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) को एक प्रबंधन अवधारणा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके तहत कंपनियाँ अपने व्यापारिक भागीदारों के साथ सामाजिक और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उनके हितधारकों के साथ एकीकृत करती हैं।
- CSR परियोजनाओं के द्वारा लक्षित लाभार्थियों तथा उनके आस-पास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तनों का मूल्यांकन ‘प्रभाव आकलन अध्ययन’ (Impact Assessment Studies) कहलाता है।
- शासन :
- भारत में CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
- संभावित CSR गतिविधियों की पहचान करके एक रूपरेखा तैयार करने के साथ-साथ CSR को अनिवार्य करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
- CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य (Net Worth) ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार (Turnover) ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹5 करोड़ से अधिक हो।
- अधिनियम के अनुसार कंपनियों को एक CSR समिति स्थापित करने की आवश्यकता है, जो निदेशक मंडल को एक कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व नीति की सिफारिश करेगी और समय-समय पर उसी की निगरानी भी करेगी।
- अधिनियम कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- भारत में CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी की आवश्यकता क्या है
कम्पनियाँ किसी उत्पाद को बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं और लाभार्जन हैं; लेकिन इस ख़राब प्रदूषण का नुकसान समाज में रहने वाले विभिन्न लोगों को उठाना पड़ता है। इन कंपनियों की उत्पादक गतिविधियों के कारण ही स्थानीय समुदाय को प्रदूषित हवा और पानी का उपयोग करना पड़ता है. लेकिन इन प्रभावित लोगों को कंपनियों की तरफ से किसी भी तरह का सीधे तौर पर मुआवजा नही दिया जाता है। इस कारण ही भारत सहित पूरे विश्व में कंपनियों के लिए यह अनिवार्य बना दिया गया कि वे अपनी आमदनी का कुछ भाग उन लोगों के कल्याण पर भी करें जिनके कारण उन्हें असुविधा हुई है. इसे कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (CSR) कहा जाता है.
सीएसआर के तहत कम्पनियों द्वारा की जाने वाली गतिविधियां:
अधिनियम सीएसआर के दायरे में आने वाली गतिविधियों को सूचीबद्ध करता है। यह सूची अधिनियम की 7वीं अनुसूची में शामिल है। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
- गरीबी और भुखमरी का उन्मूलन।
- शिक्षा, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
- ह्यूमन इम्यूनो-डेफिशिएंसी वायरस, एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम और अन्य बीमारियों से लड़ने की तैयारी।
- पर्यावरण संतुलन सुनिश्चित करना।
- अनुसूचित जातियों/जनजातियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और अन्य पिछड़े वर्गों आदि के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिए प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या केंद्र या राज्य सरकार द्वारा स्थापित किसी कोष में योगदान।
CSR के तहत स्कूल के विकास की प्लानिंग
कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड की मदद से शहर और देहात के क्षेत्र में मौजूद स्कूलों की तस्वीर बदलती जा रही है। कई कंपनियां अपने सीएसआर फंड का उपयोग जर्जर परिषदीय स्कूलों के भवनों के निर्माण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कर रही हैं। आप भी अपनी स्कूल हेतु निम्नलिखित रूप से प्लान कर सकते है-
स्कूल की आवश्यकता का आकलन
सबसे पहले आपको अपनी स्कूल के विकास के क्रम में आवश्यकता का आकलन कर लीजिए। स्कूल को भौतिक, शैक्षिक उपकरण, फर्नीचर, सुविधाओं की आवश्यकता होती है। आपको अपने स्कूल की तमाम आवश्यकता की लिस्ट बनाकर अपने स्कूल की प्रबन्ध समिति की बैठक में उसको प्रस्तुत करके सदस्यों की राय शुमारी प्राप्त करते हुए एक दीर्घकालिक आवश्यकताओं की सूची बनानी चाहिए।
आवश्यकताओं की पूर्ति का रोडमैप
विद्यालयों को दीर्घकालिक आवश्यकता की सूची निर्माण करके राजकीय स्तर से करवाये जा सकने वाले कार्यों हेतु नियमानुसार प्रस्ताव बनाकर अपने नियंत्रण अधिकारी के माध्यम से सम्बंधित कार्यालयों को भिजवा दिया जाना चाहिए।
CSR के तहत करवाये जाने वाले कार्यों की सूची बनाये
कंपनियां सीएसआर फंड को 19 पैरामीटर्स पर खर्च करती है। इन पैरामीटर्स में शुद्ध पेय जल की सुविधा, ब्लैक बोर्ड की सुविधा, फर्नीचर की सुविधा, शौचालय, नल जल की सुविधा, रंगाई पुताई, साइंस लैब,लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, खेल के मैदान आदि पैरामीटर्स शामिल हैं। इसलिये आप अपनी स्कूल से सम्बंधित उपरोक्त आवश्यकता हेतु CSR मदद हेतु प्लान कर सकते है।
अपने क्षेत्र की CSR पैरामीटर वाली कंपनियों की सूची बनाये
इसके पश्चात आप अपने क्षेत्र की उन कम्पनियों की सूची बनाये जिनको CSR के तहत सामाजिक उपयोगी कार्य करने है। इस सम्बंध में ध्यान रखे कि अगर उन कम्पनियों की फैक्ट्री इत्यादि आपके क्षेत्र में नहीं है तो भी उनको सम्मिलित कर सकते है क्योंकि उनका पंजीकरण राज्य स्तर पर होता है तथा वे सम्पूर्ण राज्य में कहीं भी CSR के तहत मदद कर सकती है।
CSR हेतु कम्पनियों से संपर्क
आवश्यकता आकलन व सम्बंधित कम्पनियों के चयन के पश्चात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य इन कम्पनियों से सम्पर्क करना होता है। आप इन कम्पनियों से सम्पर्क हेतु विद्यालय विकास से सम्बंधित प्रस्ताव लिखित में उनको पत्र, रजिस्टर्ड डाक, ईमेल इत्यादि से प्रेषित करते हुए इन कम्पनियों के पब्लिक रिलेशन अधिकारी व मैनेजमेंट के सदस्यों से संपर्क कर सकते है।
कम्पनियों को आमंत्रित करना
एक संस्था प्रधान के रूप में आपसे अपेक्षित है आप इन कम्पनियों से वर्ष भर सम्पर्क में रहकर इन कम्पनियों को स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में आमंत्रित करके उनका उत्साहवर्धन करते हुए विद्यालय हेतु सतत सहायता प्राप्त करके स्कूल का बहुमुखी विकास सुनिश्चित करेंगे।