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खतरा आसमान से: अम्लीय वर्षा कैसे बनती है और हमें क्या करना चाहिए?

अम्लीय वर्षा कैसे बनती है और इसके प्रभाव क्या हैं?

अम्लीय वर्षा कैसे बनती है?

अम्लीय वर्षा, वर्षा जल में अम्लीय पदार्थों के घुलने से बनती है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों द्वारा वायुमंडल में छोड़े गए प्रदूषकों के कारण होता है।

प्रमुख प्रदूषक:

  • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): यह बिजली संयंत्रों, धातुकर्म उद्योगों और वाहनों से निकलता है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx): यह वाहनों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलता है।

प्रक्रिया:

  1. जब SO2 और NOx वायुमंडल में होते हैं, तो वे पानी, ऑक्सीजन और अन्य रसायनों के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड बनाते हैं।
  2. ये एसिड वर्षा जल में घुल जाते हैं, जिससे वर्षा का pH मान 5.6 से कम हो जाता है। इसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है।

अम्लीय वर्षा के प्रभाव:

पर्यावरण पर प्रभाव:

  • जलीय जीवन: अम्लीय वर्षा नदियों, झीलों और तालाबों में अम्लीयता को बढ़ाता है, जो मछली और अन्य जलीय जीवों के लिए हानिकारक है।
  • वनस्पति: अम्लीय वर्षा पेड़ों की पत्तियों और जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास धीमा हो जाता है।
  • मिट्टी: अम्लीय वर्षा मिट्टी की उर्वरता को कम करता है, जिससे कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • इमारतें और धरोहरें: अम्लीय वर्षा संगमरमर और चूना पत्थर जैसी सामग्रियों को क्षरण करता है, जिससे इमारतों और धरोहरों को नुकसान होता है।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • श्वसन संबंधी समस्याएं: अम्लीय वर्षा में मौजूद एसिड वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं, जो श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • जल जनित रोग: अम्लीय वर्षा जल में भारी धातुओं की मात्रा को बढ़ा सकता है, जो जल जनित रोगों का कारण बन सकता है।

अम्लीय वर्षा को रोकने के उपाय:

  • प्रदूषण को कम करना: SO2 और NOx उत्सर्जन को कम करने के लिए कड़े पर्यावरणीय नियमों को लागू करना।
  • स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: जीवाश्म ईंधन के स्थान पर सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।
  • वाहनों का उपयोग कम करना: सार्वजनिक परिवहन और साइकिल चलाने जैसे विकल्पों को बढ़ावा देना।

अम्लीय वर्षा एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जिसके लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • भारत में, अम्लीय वर्षा की समस्या मुख्य रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में देखी जाती है।
  • अम्लीय वर्षा के प्रभावों को कम करने के लिए, भारत सरकार ने कई पहल की हैं, जैसे कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)।