प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए संकल्पित राज्य सरकार ईको टूरिज्म को बढ़ा रही है। दौसा जिले में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए प्राकृतिक स्थलों के विकास के लिए अहम निर्णय लिए गए हैं।
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार
इस ट्वीट के साथ ही दौसा जिले की तरफ समस्त नागरिकों, व्यापारियों व होटेलियर्स का ध्यान आकर्षित हो गया है। आइये, आगे बढ़ने से पहले जान लेते है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इस सम्बंध में और क्या बयान दिए है।
दौसा के इको टूरिज़म सेंटर बनाने के क्रम में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के अन्य स्टेटमेंट
जिले में नीलकंठ बॉयोडायवर्स फॉरेस्ट और खान भांकरी ईको पार्क विकास के लिए 3 करोड़ रुपए (1.50-1.50 करोड़) की वित्तीय स्वीकृति दी है।
स्वीकृति से दौसा जिला पर्यटन मानचित्र पर स्थापित होगा। स्थानीय रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। वित्त विभाग द्वारा दोनों कार्यों के लिए पूर्व में 54.25 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। अब कार्यों को विस्तृत रूप देते हुए 3 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
इको टूरिज्म बढ़ाने के लिए रोजगार की पहल, दोसा जिले में विभिन्न कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृति – नीलकंठ बायोडायवर्स फारेस्ट और खान बंकरी इको पार्क का विकास होगा
रायपुर, 28 जनवरी। प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए संकल्प राज्य सरकार इको टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। दौसा जिले में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए प्राकृतिक स्थलों के विकास के लिए अहम फैसला लिए गए हैं। श्री अशोक गहलोत ने जिले में नीलकंठ बायोडायवर्स फाॅरेस्ट और खान भांकरी ईको पार्क विकास के लिए 3 करोड़ रुपये (1.50-1.50 करोड़) की वित्तीय स्वीकृति दी है।
श्री गहलोत की स्वीकृति से दौसा जिले के पर्यटन स्थलों पर हस्तरेखाओं का निर्माण होगा। स्थानीय नौकरियों के नए अवसर सृजित होंगे। वित्त विभाग द्वारा दोनों कार्यों के लिए पूर्व में 54.25 लाख रुपए लिए गए थे। अब कार्यों को विस्तृत रूप में देते हुए 3 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वन्यजीव संरक्षण में अहम फैसला, पर्यटक बनेंगे-नीलकंठ बायोडायवर्स फारेस्ट में वन्यजीव संरक्षण, पर्यटकों की सुविधा और पर्यावरण जागरूकता के कार्य किए जाएंगे। यात्रा सुविधाओं में वॉकिंग ट्रेक, ईको हट्स, पानी की सुविधा, कनेक्शन वॉच टावर, एंट्री गेट, साइनेज, वाइल्डलाइफ संरक्षण में तलाई, एनिकट, पौधारोपण सहित विभिन्न कार्य किए जाएंगे। दौसा के इस वनक्षेत्र में वनस्पतियां और वन्यजीवों की समृद्ध जैव विविधता है। वनस्पतियों में सालार, खिरनी, गूलर, बिल पत्र, गूंदी, सिरस, पलास, धौंक और कई पेड़ हैं। जड़ी-बूटियों में वज्रदंती, सतावर, अरनी, थोर, हरसिंगार, मोरपंखी सहित अन्य मौजूद हैं। वन्यजीवों में तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार, नीलगाय, जंगली सुवर, पाटागो, नेवला, सर्प, मोर व अन्य शामिल हैं। लॉग वॉकिंग ट्रेक, यात्रा भी संभव-खान भांकरी ईको पार्क दौसा जिला कलेक्ट्रेट से मात्र 300 मीटर दूर स्थित है। यहां वॉकिंग ट्रेक, गार्डन वर्क, फेंसिंग, दीवार, ऑफिस बिल्डिंग सहित विभिन्न कार्य होंगे। यहां छोटा तालाब है, भविष्य में नौका भी शुरू की जा सकती है। यहां पहाड़ी के चारों ओर लगभग 4-5 किलोमीटर पैदल चलने का प्रस्ताव है। इसके दोनों तरफ नीम, शीशम, पीपल, करंज, आंवला, अशोक, मोरचडी, गूलर, बिलपत्र अलग-अलग प्रजातियों के अनुमान लगाते हैं। रैन वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण और तलाई की खुदाई कर सौंदर्यीकरण का कार्य प्रस्तावित किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बजट 2022-23 द्वारा दर्ज प्रदेश विकास में पर्यटन के लिए प्रत्येक जिले में 2-2 पर्यटन स्थलों को दर्ज कर जन सुविधा संबद्ध कार्य करने की घोषणा की गई थी।
आइये, दौसा की जानकारी प्राप्त करते है।
दौसा, राजस्थान राज्य का एक जिला
दौसा एक छोटा सा प्राचीन शहर है जिसका नाम संस्कृत शब्द “धौ-सा” के नाम पर रखा गया है जिसका अर्थ है “स्वर्ग की तरह सुंदर”। राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर जयपुर से लगभग 55 किमी दूर स्थित “देव नगरी” के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर पूर्व कच्छवाहा राजवंश का पहला मुख्यालय था और इसका बहुत इतिहास और पुरातात्विक महत्व जुड़ा हुआ है। हलचल भरे शहरों से दूर स्थित, दौसा शहर राजस्थान में एक प्रामाणिक ग्रामीण अनुभव प्रदान करता है।