सिद्धांत:
विद्युत मोटर एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र और धारा के बीच परस्पर क्रिया के सिद्धांत पर काम करता है।
जब किसी कुंडली में धारा प्रवाहित होती है, तो उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यदि कुंडली को दूसरे चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो दोनों क्षेत्रों के बीच परस्पर क्रिया के कारण कुंडली पर बल कार्य करता है। यह बल कुंडली को घुमाने का कारण बनता है।
मोटर में स्थायी चुंबक या विद्युत चुंबक का उपयोग करके एक बाहरी चुंबकीय क्षेत्र बनाया जाता है। कुंडली को आर्मेचर कहा जाता है और इसे मोटर के शाफ्ट पर घुमाया जाता है। जब आर्मेचर में धारा प्रवाहित होती है, तो यह स्थायी चुंबक या विद्युत चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के साथ परस्पर क्रिया करता है। यह परस्पर क्रिया आर्मेचर पर बल उत्पन्न करती है, जिसके कारण शाफ्ट घूमता है।
अनुप्रयोग:
विद्युत मोटरों का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
विद्युत मोटरों का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जाता है क्योंकि वे कुशल, विश्वसनीय और शक्तिशाली होते हैं। वे विभिन्न गति और टोक़ प्रदान कर सकते हैं, जो उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए उपयुक्त बनाता है.
विभिन्न प्रकार के विद्युत मोटर:
विभिन्न प्रकार के विद्युत मोटर उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:
विद्युत मोटर का चयन करते समय, मोटर के प्रकार, गति, टोक़, शक्ति, दक्षता और लागत जैसे कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण हैं।