मकर संक्रांति भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो मुख्य रूप से सूर्य देवता को समर्पित होता है। यह त्योहार हर वर्ष जनवरी माह के मध्य में मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत माना जाता है, जो दिन और रात की लंबाई में बदलाव का प्रतीक है।
इस त्योहार का विशेष महत्व है क्योंकि यह खेती से जुड़े उत्सवों से संबंधित होता है। किसान इस दिन नई फसल की कटाई का जश्न मनाते हैं। विभिन्न प्रांतों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि पोंगल तमिलनाडु में, लोहड़ी पंजाब में और भोगाली बिहू असम में।
मकर संक्रांति के दिन लोग तिल और गुड़ के व्यंजन बनाते हैं और उन्हें आपस में बाँटते हैं। इसके अलावा, पतंगबाजी का भी बड़ा महत्व है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती हुई इस त्योहार की एक खास पहचान होती हैं।
मकर संक्रांति का त्योहार नए आरंभ, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है
संक्रान्ति: परिवर्तन का प्रतीक
संक्रान्ति शब्द का शाब्दिक अर्थ है संक्रमण, संगमन, अंतरण, परिवर्तन, हस्तांतरण, बदलाव, रत्तोबदल इत्यादि। खगोलीय दृष्टि से सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रान्ति कहते हैं। इस प्रकार वर्ष में 12 संक्रांतियाँ होती हैं।
भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति का सर्वाधिक महत्व है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण काल में दिन बढ़ने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। यह एक शुभ अवसर माना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, दान करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व भी बहुत है। इस दिन लोग नदियों और सरोवरों में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन सूर्य की किरणें अधिक सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं। इससे दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। इससे पौधों को अधिक प्रकाश मिलता है और उनका विकास होता है।
संक्रांति परिवर्तन का प्रतीक है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश से नए ऋतु का आरंभ होता है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह हमें यह संदेश देता है कि जीवन में हमेशा बदलाव होता रहता है। हमें इन बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए।
संक्रांति हमें यह भी सिखाती है कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए। उत्तरायण काल में दिन बढ़ने लगते हैं। यह हमें यह संदेश देता है कि हमारे जीवन में भी उजाला बढ़ने लगेगा। हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। मकर राशि को भारतीय संस्कृति में बहुत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति का दिन उत्तरायण का आरंभ होता है। उत्तरायण काल में दिन बढ़ने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। यह एक शुभ अवसर माना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व बहुत है। इस दिन लोग नदियों और सरोवरों में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन सूर्य की किरणें अधिक सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं। इससे दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। इससे पौधों को अधिक प्रकाश मिलता है और उनका विकास होता है।
मकर संक्रांति के परंपरागत आयोजन
मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन लोग खिचड़ी, तिल, गुड़, मूंगफली, और अन्य मिठाईयों का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन लोग दान-पुण्य करते हैं। इस दिन लोग नए वस्त्र पहनते हैं। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।
मकर संक्रांति का संदेश
मकर संक्रांति परिवर्तन का प्रतीक है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश से नए ऋतु का आरंभ होता है। यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है। यह हमें यह संदेश देता है कि जीवन में हमेशा बदलाव होता रहता है। हमें इन बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए।
मकर संक्रांति हमें यह भी सिखाती है कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए। उत्तरायण काल में दिन बढ़ने लगते हैं। यह हमें यह संदेश देता है कि हमारे जीवन में भी उजाला बढ़ने लगेगा। हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
Makar Sankranti 2024 kab hai: मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब ये पर्व मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा.
उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य रात 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.
मकर संक्रांति पुण्यकाल – सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजकर 21 मिनट तक
मकर संक्रांति महा पुण्यकाल -सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक
मकर संक्रांति को हरियाणा और पंजाब में माघी, तमिलनाडु में पोंगल, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। सोमवार, 15 जनवरी को भारी धूमधाम और उत्साह के साथ छुट्टी मनाई जाएगी।
भक्त नदियों या जलाशयों में पवित्र स्नान करते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं, और खिचड़ी, दही चूड़ा और तिल के लड्डू जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों का आनंद लेते हैं। यह दिन हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जिसमें परिवार और समुदाय उत्सव की भावना को साझा करने के लिए एक साथ आते हैं।
मकर संक्रांति आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। हालाँकि, इस वर्ष, मकर संक्रांति लीप वर्ष के अनुरूप, 15 जनवरी को पड़ने वाली है। द्रिक पंचांग के अनुसार, 15 जनवरी को पुण्य काल नामक एक शुभ अवधि पर्याप्त 10 घंटे और 31 मिनट तक बढ़ेगी।
महत्व। हर साल मकर संक्रांति जनवरी महीने में मनाई जाती है। यह त्योहार हिंदू धार्मिक सूर्य देवता को समर्पित है। सूर्य का यह महत्व वैदिक ग्रंथों, विशेष रूप से गायत्री मंत्र, हिंदू धर्म का एक पवित्र भजन, ऋग्वेद नामक धर्मग्रंथ में पाया जाता है।
संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है, मकर संक्रांति त्योहार भगवान सूर्य, भगवान सूर्य का सम्मान करता है, और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। हिंदुओं के अनुसार, वे पूरे भारत में इस महत्वपूर्ण फसल उत्सव को मनाते हैं, लेकिन नाम, रीति-रिवाज और उत्सव अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं।
घोड़े पर सवार होकर प्रकट होंगे सूर्य देव15 जनवरी को मकर संक्रांति के समय सूर्य देव का वाहन अश्व और वस्त्र श्याम यानि काले रंग का होगा. सूर्य देव श्याम वस्त्र पहनें, घोड़े पर सवार होकर दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे.
पीले, हरे या नारंगी जैसे जीवंत संक्रांति रंगों में एक क्लासिक साड़ी या सलवार सूट चुनें। सुंदरता का स्पर्श लाने के लिए समसामयिक ब्लाउज़ डिज़ाइन या ट्रेंडी दुपट्टा ड्रेपिंग स्टाइल के साथ प्रयोग करें।
मकर संक्रांति: भारतीय संस्कृति का एक उत्सव
मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। यह सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण होता है। इस दिन से दिन छोटे होने लगते हैं और रातें लंबी होने लगती हैं। इस दिन को सूर्य की उत्तरायण यात्रा का आरंभ माना जाता है।
इतिहास
मकर संक्रांति का इतिहास बहुत पुराना है। इस त्योहार की उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी। उस समय इसे “उत्तरायण” कहा जाता था। इस दिन को देवताओं के लिए शुभ माना जाता था।
परंपराएँ
मकर संक्रांति के दिन कई तरह की परंपराएँ निभाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख परंपराएँ निम्नलिखित हैं:
पतंगबाजी: मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी का भी विशेष महत्व है। लोग सुबह से शाम तक पतंग उड़ाते हैं। यह एक बहुत ही मनोरंजक खेल है।
तिलगुड़ खाना: मकर संक्रांति के दिन तिलगुड़ खाना एक बहुत ही लोकप्रिय परंपरा है। तिलगुड़ को तिल, गुड़ और शक्कर से बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और बुद्धि बढ़ती है।
महत्व
मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन को नए साल की शुरुआत माना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। यह त्योहार लोगों को एकजुट करने और प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार खुशी, उत्साह और नवीनता का प्रतीक है। यह लोगों को एकजुट करने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने में मदद करता है।