राजस्थान, भारत – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत अगले 5 वर्षों में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसे उच्च तकनीक वाले सिस्टम का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य आसान नहीं है, लेकिन देश के युवाओं की क्षमता और सरकार की नीयत को देखते हुए यह निश्चित रूप से हासिल किया जाएगा।
सिंह राजस्थान के जैसलमेर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हम भारत में एयरो-इंजन और गैस टर्बाइन जैसे उच्च तकनीक वाले सिस्टम को आने वाले 5 वर्षों में भारत में ही निर्मित करेंगे। यह लक्ष्य कोई साधारण लक्ष्य तो है नहीं। और हो भी क्यों? जब इस देश के युवाओं की क्षमता और लगन असाधारण है, जब इस देश की सरकार की नीयत एकदम साफ सुथरी है, तो साधारण लक्ष्य निर्धारित करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।”
उन्होंने कहा कि आने वाले 5 वर्षों में भारत असाधारण लक्ष्यों की ओर बढ़ने की रोमांचक यात्रा तय करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार देश के युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंह ने कहा, “हम देश के युवाओं को विश्व स्तरीय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम उन्हें उद्यमिता और नवाचार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”
उन्होंने कहा कि भारत को एक वैश्विक शक्ति बनने के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहा, “आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है कि हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहेंगे।”
उन्होंने कहा कि सरकार देश में रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। उन्होंने कहा, “हम देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करेंगे।”
सिंह ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन वह अपनी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हम किसी भी देश को अपनी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देंगे।
उच्च-दक्ष एयरो-इंजन विमानों और अन्य वायुयानों में इस्तेमाल होने वाले अत्याधुनिक इंजन होते हैं। ये इंजन बेहद जटिल होते हैं और इन्हें अत्यधिक परिस्थितियों में भी कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। आइए, इन इंजनों की कुछ प्रमुख विशेषताओं को समझते हैं:
1. उच्च दक्षता: ये इंजन ईंधन को अधिकतम शक्ति में बदलने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं, जिससे विमानों को लंबी दूरी तय करने और अधिक भार उठाने में मदद मिलती है।
2. उन्नत सामग्री: उच्च-दक्ष एयरो-इंजनों में टाइटेनियम, निकल मिश्र धातु और सिरेमिक जैसी उन्नत सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। ये सामग्रियाँ हल्की और मजबूत होती हैं, जो इंजन के प्रदर्शन को बेहतर बनाती हैं।
3. जटिल डिजाइन: इन इंजनों में कई चरणों वाले कम्प्रेसर, दहन कक्ष और टर्बाइन होते हैं। ये सभी घटक मिलकर हवा को संपीड़ित करते हैं, ईंधन जलाते हैं और गर्म गैसों की ऊर्जा का उपयोग करके विमान को आगे बढ़ाने के लिए जोर उत्पन्न करते हैं।
4. कम उत्सर्जन: आधुनिक उच्च-दक्ष एयरो-इंजन कम उत्सर्जन करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण कम होता है।
5. उच्च लागत: इन इंजनों को विकसित और निर्माण करना बहुत महंगा होता है। इसलिए, ये आम तौर पर केवल बड़े वाणिज्यिक विमानों और सैन्य विमानों में ही उपयोग किए जाते हैं।
भारत में उच्च-दक्ष एयरो-इंजन का महत्व:
अपने स्वयं के उच्च-दक्ष एयरो-इंजन विकसित करने से भारत को कई लाभ होंगे, जैसे:
भारत अभी भी उच्च-दक्ष एयरो-इंजन के विकास के शुरुआती चरण में है, लेकिन यह क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत सरकार इस क्षेत्र में निवेश कर रही है और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भारत अपने स्वयं के उच्च-दक्ष एयरो-इंजन विकसित करने में सफल होगा।
गैस टर्बाइन एक प्रकार का आंतरिक दहन इंजन होता है जो ज्वलनशील गैसों (जैसे प्राकृतिक गैस, डीजल या प्रोपेन) की ऊर्जा का उपयोग करके यांत्रिक कार्य करता है। ये इंजन विविध अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
गैस टर्बाइन एक सरल सिद्धांत पर काम करता है:
भारत में, गैस टर्बाइन का उपयोग मुख्य रूप से बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है। भारत सरकार अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन गैस टर्बाइन निकट भविष्य में बिजली उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्रोत बने रहने की संभावना है।
इसके अलावा, गैस टर्बाइन का उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोगों और तेल और गैस उद्योग में भी किया जाता है। आने वाले वर्षों में, गैस टर्बाइन के उपयोग में वृद्धि होने की संभावना है, खासकर बिजली उत्पादन और औद्योगिक क्षेत्रों में।