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रामानुजाचार्य की प्रेरणा: सच्चे इंसान का मार्ग और समस्त कल्याण की शिक्षा – 14 फरवरी 2024 का प्रेरक प्रसंग

१४❗०२❗२०२४

आज का प्रेरक प्रसंग ♨ **!! सच्चा इंसान !!**

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प्राचीन काल में विद्वान रामानुजाचार्य का जन्म मद्रास के निकट पेरुबुदूर गाँव में हुआ था। बाल्यकाल में उन्हें गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा गया, जहाँ उनके गुरु ने उन्हें बहुत मनोयोग से शिक्षा प्रदान की।

शिक्षा समाप्ति पर, गुरु ने रामानुज को ‘ऊँ नमो नारायणाय’ मंत्र की दीक्षा दी और सचेत किया कि यह मंत्र किसी अयोग्य व्यक्ति के कानों में न पड़े। रामानुज के हृदय में मनुष्यमात्र के कल्याण की भावना छिपी थी, और उन्होंने निश्चय किया कि इस मंत्र को सभी तक पहुँचाएंगे।

उन्होंने अपने गुरु की आज्ञा का पालन न करते हुए, संपूर्ण प्रदेश में मंत्र का जाप आरंभ करवा दिया। जब गुरु को पता चला, तो उन्हें बहुत क्रोध आया, लेकिन रामानुज ने उत्तर दिया कि यदि उनके नरक जाने से सभी को स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है, तो वे इसे स्वीकार करेंगे।

गुरु ने उनकी बात सुनकर उन्हें गले लगा लिया और कहा कि सभी का भला सोचने वाला व्यक्ति सदैव सुखी रहता है।

शिक्षा:
रामानुज की तरह, हमें भी सच्चे और सही मायने में इंसान बनना चाहिए। सच्चा इंसान वह है जो दूसरों का भला करता है।

सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।

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इस प्रेरक प्रसंग के माध्यम से, हमें यह सिखने को मिलता है कि आत्म-संतुष्टि और दूसरों की भलाई में लगे रहने से ही वास्तविक खुशी और संतोष की प्राप्ति होती है। रामानुजाचार्य की कहानी हमें यह भी बताती है कि ज्ञान का सच्चा उपयोग तब ही होता है जब उसे निस्वार्थ भाव से सभी के साथ बांटा जाए।

आइए, हम सभी इस प्रेरक प्रसंग से शिक्षा लेते हुए अपने जीवन में इसे उतारने का प्रयास करें और एक सच्चे इंसान के रूप में अपने आप को संवारें।