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NCERT कक्षा 10 हिंदी व्याकरण: शब्द-भेद, कारक और वाच्य में महारत हासिल करें

हिंदी व्याकरण का महत्व

हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा के नियमों का अध्ययन है। इन नियमों को जानने से हमें हिंदी भाषा को सही ढंग से बोलने, लिखने और समझने में मदद मिलती है। हिंदी व्याकरण के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:

  • हिंदी व्याकरण हमें हिंदी भाषा की मूलभूत संरचना को समझने में मदद करता है। इससे हमें हिंदी भाषा के विभिन्न शब्दों और वाक्यों के बीच संबंधों को समझने में मदद मिलती है।
  • हिंदी व्याकरण हमें हिंदी भाषा का सही ढंग से उपयोग करने में मदद करता है। इससे हम हिंदी भाषा में व्याकरणिक गलतियों से बच सकते हैं।
  • हिंदी व्याकरण हमें हिंदी भाषा को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने में मदद करता है। इससे हम अपनी बातों को स्पष्ट और सुगम रूप से दूसरों तक पहुंचा सकते हैं।

भाषा की मूलभूत संरचना और उसके अवयव

भाषा की मूलभूत संरचना में निम्नलिखित अवयव शामिल हैं:

  • वर्ण – भाषा के सबसे छोटे ध्वन्यात्मक एकक को वर्ण कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में 52 वर्ण हैं।
  • शब्द – एक या दो या अधिक वर्णों के योग से बना एक अर्थपूर्ण इकाई को शब्द कहते हैं। हिंदी में शब्दों के दो प्रकार होते हैं:
    • शुद्ध शब्द – जिन शब्दों का निर्माण हिंदी के मूल शब्दों से हुआ है, उन्हें शुद्ध शब्द कहते हैं।
    • मिश्रित शब्द – जिन शब्दों का निर्माण हिंदी और अन्य भाषाओं के शब्दों से हुआ है, उन्हें मिश्रित शब्द कहते हैं।
  • वाक्य – दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बना एक इकाई जो पूर्ण अर्थ व्यक्त करता है, उसे वाक्य कहते हैं। हिंदी में वाक्यों के दो प्रकार होते हैं:
    • सरल वाक्य – जिस वाक्य में केवल एक क्रिया होती है, उसे सरल वाक्य कहते हैं।
    • संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को संयोजक शब्दों से जोड़ा जाता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।

हिंदी व्याकरण इन अवयवों के नियमों का अध्ययन करता है। इन नियमों को जानने से हमें हिंदी भाषा को सही ढंग से बोलने, लिखने और समझने में मदद मिलती है।

1. संज्ञा

परिभाषा:

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण, भाव या क्रिया का नाम संज्ञा है।

उदाहरण:

  • व्यक्ति: राम, श्याम, सुमन
  • वस्तु: घर, विद्यालय, पुस्तक
  • स्थान: भारत, दिल्ली, आगरा
  • गुण: अच्छा, बुरा, सुंदर
  • भाव: प्रेम, क्रोध, दुख
  • क्रिया: चलना, खाना, सोना

प्रकार:

संज्ञा के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • जातिवाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो किसी जाति, वर्ग या समूह का नाम बताती है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का नाम बताती है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • भाववाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो किसी भाव या गुण का नाम बताती है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
  • द्रव्यवाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो किसी पदार्थ का नाम बताती है, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
  • समूहवाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो किसी समूह या समुदाय का नाम बताती है, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

2. सर्वनाम

परिभाषा:

जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं।

उदाहरण:

  • मैं, तू, तुम, वह, वे
  • यह, वह, ये, वे
  • मेरा, तेरा, तुम्हारा, उसका, उनका
  • यहाँ, वहाँ, कहीं, कहीं भी

प्रकार:

सर्वनाम के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • पुरुषवाचक सर्वनाम: वह सर्वनाम जो किसी पुरुष के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
  • स्त्रीवाचक सर्वनाम: वह सर्वनाम जो किसी स्त्री के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसे स्त्रीवाचक सर्वनाम कहते हैं।
  • नपुंसकवाचक सर्वनाम: वह सर्वनाम जो किसी नपुंसक के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसे नपुंसकवाचक सर्वनाम कहते हैं।
  • निजवाचक सर्वनाम: वह सर्वनाम जो किसी व्यक्ति या वस्तु के लिए स्वयं का बोध कराता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
  • सार्वनामिक सर्वनाम: वह सर्वनाम जो किसी अन्य सर्वनाम के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसे सार्वनामिक सर्वनाम कहते हैं।

3. विशेषण

परिभाषा:

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • संज्ञा: लड़का
  • विशेषण: सुंदर लड़का

प्रकार:

विशेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • परिमाणवाचक विशेषण: जो विशेषण किसी वस्तु के परिमाण या माप को बताता है, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
  • गुणवाचक विशेषण: जो विशेषण किसी वस्तु के गुण या स्वभाव को बताता है, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
  • संख्यावाचक विशेषण: जो विशेषण किसी वस्तु की संख्या या परिमाण को बताता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
  • सार्वनामिक विशेषण: जो विशेषण किसी अन्य विशेषण के स्थान पर प्रयुक्त होता है, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

4. क्रिया

परिभाषा:

जो शब्द किसी काम, व्यापार या स्थिति के होने या होने का बोध कराता है, उसे क्रिया कहते हैं।

उदाहरण:

  • काम: खाना, सोना, चलना
  • व्यापार: पढ़ना, लिखना, खेलना
  • स्थिति: बैठना, खड़ा होना, सोना

प्रकार:

क्रिया के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • सकर्मक क्रिया: वह क्रिया जो अपने साथ एक या अधिक कर्म लेती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
  • अकर्मक क्रिया: वह क्रिया जो अपने साथ कोई कर्म नहीं लेती है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।

5. क्रिया विशेषण

परिभाषा:

जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • क्रिया: राम दौड़ा।
  • क्रिया विशेषण: तेजी से

प्रकार:

क्रिया विशेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • स्थानवाचक क्रिया विशेषण: जो क्रिया की विशेषता बताते हैं कि क्रिया कहाँ हुई है, उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम घर गया। (घर में)
  • मोहन स्कूल गया। (स्कूल में)
  • कालवाचक क्रिया विशेषण: जो क्रिया की विशेषता बताते हैं कि क्रिया कब हुई है, उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम कल गया। (कल)
  • मोहन आज गया। (आज)
  • प्रकारवाचक क्रिया विशेषण: जो क्रिया की विशेषता बताते हैं कि क्रिया किस प्रकार हुई है, उसे प्रकारवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम धीरे-धीरे गया।
  • मोहन जल्दी-जल्दी गया।
  • मात्रावाचक क्रिया विशेषण: जो क्रिया की विशेषता बताते हैं कि क्रिया कितनी बार हुई है, उसे मात्रावाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम एक बार गया।
  • मोहन दो बार गया।
  • अवस्थावाचक क्रिया विशेषण: जो क्रिया की विशेषता बताते हैं कि क्रिया किस अवस्था में हुई है, उसे अवस्थावाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम खुशी से चला गया।
  • मोहन उदास होकर चला गया।

6. अव्यय

परिभाषा:

जो शब्द किसी संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण या वाक्य के अर्थ को प्रभावित करते हैं, उन्हें अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • संज्ञा: यहाँ
  • सर्वनाम: इसलिए
  • क्रिया: नहीं
  • विशेषण: बहुत
  • वाक्य: इसलिए, मैं नहीं जाऊंगा।

प्रकार:

अव्यय के निम्नलिखित प्रकार हैं:

शब्द-भेद हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है। इन शब्द-भेदों को समझना हिंदी भाषा को सही ढंग से बोलने, लिखने और समझने में मदद करता है।

  • संबंधबोधक अव्यय: जो शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • और, पर, लेकिन, क्योंकि, क्योंकि, इसलिए, इत्यादि।
  • प्रविशेषण अव्यय: जो शब्द वाक्य में आए हुए किसी शब्द या वाक्य को विशेषता देते हैं, उन्हें प्रविशेषण अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • बहुत, थोड़ा, अधिक, कम, इत्यादि।
  • क्रियाविशेषण अव्यय: जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • जल्दी, धीरे, आराम से, इत्यादि।
  • अनुवादक अव्यय: जो शब्द एक भाषा के शब्द को दूसरी भाषा में बदलते हैं, उन्हें अनुवादक अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • नहीं, हाँ, शायद, इत्यादि।
  • अनुकरणवाचक अव्यय: जो शब्द किसी ध्वनि या स्थिति का अनुकरण करते हैं, उन्हें अनुकरणवाचक अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • हाँ, हूँ, चिं चिं, इत्यादि।
  • परसर्ग अव्यय: जो शब्द किसी शब्द या वाक्य को किसी अन्य शब्द या वाक्य से जोड़ते हैं, उन्हें परसर्ग अव्यय कहते हैं।

उदाहरण:

  • से, के, पर, में, इत्यादि।

1. सरल वाक्य

परिभाषा:

जिस वाक्य में केवल एक क्रिया होती है, उसे सरल वाक्य कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम पढ़ता है।
  • मैं खाना खा रहा हूँ।
  • वह सो रहा है।

2. संयुक्त वाक्य

परिभाषा:

जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को संयोजक शब्दों से जोड़ा जाता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम पढ़ता है और खेलता है।
  • मैं खाना खा रहा हूँ, लेकिन तुम नहीं।
  • वह सो रहा है, क्योंकि वह थक गया है।

3. मिश्र वाक्य

परिभाषा:

जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन कोई दूसरा उपवाक्य हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

उदाहरण:

  • राम जो पढ़ता है, वह खेलता भी है।
  • मैं जो खा रहा हूँ, वह स्वादिष्ट है।
  • वह जो सो रहा है, वह थक गया है।

सरल वाक्य और संयुक्त वाक्य के बीच अंतर

सरल वाक्य और संयुक्त वाक्य के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

  • सरल वाक्य में केवल एक क्रिया होती है, जबकि संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक क्रियाएँ होती हैं।
  • सरल वाक्य में संयोजक शब्द नहीं होते हैं, जबकि संयुक्त वाक्य में संयोजक शब्द होते हैं।
  • सरल वाक्य की रचना सरल होती है, जबकि संयुक्त वाक्य की रचना जटिल होती है।

सरल वाक्य और मिश्र वाक्य के बीच अंतर

सरल वाक्य और मिश्र वाक्य के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

  • सरल वाक्य में केवल एक स्वतंत्र वाक्य होता है, जबकि मिश्र वाक्य में एक स्वतंत्र वाक्य और एक या अधिक आश्रित वाक्य होते हैं।
  • सरल वाक्य में केवल एक क्रिया होती है, जबकि मिश्र वाक्य में दो या दो से अधिक क्रियाएँ हो सकती हैं।
  • सरल वाक्य की रचना सरल होती है, जबकि मिश्र वाक्य की रचना जटिल होती है।

उपसंहार

वाक्य-विन्यास हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है। इन तीनों प्रकार के वाक्यों को समझना हिंदी भाषा को सही ढंग से बोलने, लिखने और समझने में मदद करता है।

III. कारक और वाच्य

1. कारक

परिभाषा:

वाक्य में क्रिया के साथ संबंध रखने वाले संज्ञा या सर्वनाम के काम को कारक कहते हैं। वाक्य में छह कारक होते हैं:

  • कर्ता: वह जो काम करता है, उसे कर्ता कहते हैं।
  • कर्म: जिस पर काम किया जाता है, उसे कर्म कहते हैं।
  • करण: जिसके द्वारा काम किया जाता है, उसे करण कहते हैं।
  • सम्प्रदान: जिसके लिए काम किया जाता है, उसे संप्रदान कहते हैं।
  • अपादान: जिससे हटाकर काम किया जाता है, उसे अपादान कहते हैं।
  • सम्बन्धी: जिसका संबंध हो, उसे सम्बन्धी कहते हैं।

उदाहरण:

  • कर्ता: राम किताब पढ़ता है। (राम काम कर रहा है)
  • कर्म: राम किताब पढ़ता है। (किताब पर काम हो रहा है)
  • करण: राम पेंसिल से लिखता है। (पेंसिल काम करने का साधन है)
  • सम्प्रदान: राम माता के लिए फल लाया। (माता काम का लाभार्थी है)
  • अपादान: राम ने पेड़ से फल तोड़ा। (पेड़ काम का आधार है, उससे फल हटाया गया)
  • सम्बन्धी: राम का घर बड़ा है। (राम घर से संबंधित है)

2. वाच्य

परिभाषा:

वाक्य में क्रिया के रूप से यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता का, कर्म का या भाव का बोध किया जा रहा है, उसे वाच्य कहते हैं। हिंदी में तीन प्रकार के वाच्य होते हैं:

  • कर्तृवाच्य: जिस वाक्य में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। क्रिया कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होती है।

उदाहरण:

  • मोहन फल खाता है। (मोहन काम कर रहा है)
  • कर्मवाच्य: जिस वाक्य में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। क्रिया कर्म के लिंग और वचन के अनुसार होती है।

उदाहरण:

  • फल मोहन द्वारा खाया जाता है। (फल पर काम हो रहा है)
  • भाववाच्य: जिस वाक्य में क्रिया किसी भाव या स्थिति का बोध कराए, उसे भाववाच्य कहते हैं। क्रिया हमेशा पुल्लिंग, एकवचन और अकर्मक होती है।

उदाहरण:

  • आज ज़ोर से हवा चल रही है। (भाव बताया जा रहा है)

उपसंहार:

कारक और वाच्य हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं। इन्हें समझना संपूर्ण वाक्य संरचना और अर्थ को समझने में महत्वपूर्ण है।

NCERT कक्षा 10 हिंदी: संज्ञा और उनके प्रकारों को समझने का सम्पूर्ण मार्गदर्शन