अव्यय: सम्पूर्ण विस्तार
अव्यय वे शब्द हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता। वे हर स्थिति में अपने मूल रूप में बने रहते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है “जो व्यय न हो”।
अव्यय के प्रकार:
- क्रिया-विशेषण: क्रिया, विशेषण या अन्य क्रिया-विशेषण की विशेषता बताते हैं।
- कालवाचक: कब? (जैसे: अभी, कल, कभी)
- स्थानवाचक: कहाँ? (जैसे: यहाँ, वहाँ, ऊपर)
- रीतिवाचक: कैसे? (जैसे: धीरे, ज़ोर से, जल्दी)
- परिमाणवाचक: कितना? (जैसे: बहुत, थोड़ा, ज़्यादा)
- निरपेक्ष: (जैसे: नहीं, हाँ, शायद)
- संबंधवाचक: (जैसे: के, से, के लिए)
- हेतुवाचक: (जैसे: क्योंकि, इसलिए, ताकि)
- सम्भाव्यवाचक: (जैसे: शायद, कदाचित)
- संबंधबोधक: दो शब्दों या वाक्यों के बीच संबंध बताते हैं।
- समानाधिकरण: (जैसे: और, तथा, कि)
- विलोमवाचक: (जैसे: किंतु, परंतु, लेकिन)
- नियमवाचक: (जैसे: यदि, तो, जब)
- हेतुवाचक: (जैसे: क्योंकि, इसलिए)
- परिणामवाचक: (जैसे: इसलिए, अतः)
- उद्गारवाचक: भावनाओं या आश्चर्य को व्यक्त करते हैं।
- आश्चर्यवाचक: (जैसे: अरे, वाह, अहा)
- खेदवाचक: (जैसे: हाँ, ओह, अरे)
- आह्वानवाचक: (जैसे: अरे, हे, सुनो)
- निषेधवाचक: (जैसे: नहीं, मत, न)
- अव्यय क्रिया: क्रिया का काम करते हैं, परंतु क्रियापद नहीं होते।
- होना: (जैसे: वह घर में है)
- जाना: (जैसे: मैं स्कूल जा रहा हूँ)
- आना: (जैसे: वह अभी-अभी आया है)
- निपात: वाक्य के किसी भाग को जोड़ते हैं या वाक्य का भाव स्पष्ट करते हैं।
- भी: (जैसे: मैं भी जा रहा हूँ)
- ही: (जैसे: वही मेरा दोस्त है)
- तो: (जैसे: तुम तो आ गए)
उदाहरण:
- क्रिया-विशेषण: वह जल्दी दौड़ता है। (रीतिवाचक)
- संबंधबोधक: मैं और तुम दोस्त हैं। (समानाधिकरण)
- उद्गारवाचक: वाह! यह तो बहुत सुंदर है। (आश्चर्यवाचक)
- अव्यय क्रिया: वह घर में है। (होना)
- निपात: मैं भी तुम्हारे साथ जाऊँगा। (भी)
अव्यय का महत्व:
- अव्यय वाक्यों को अर्थपूर्ण बनाते हैं।
- वे वाक्यों में विविधता और स्पष्टता लाते हैं।
- वे भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने में सहायक होते हैं।
अध्ययन के लिए टिप्स:
- अव्ययों को उनके प्रकारों के आधार पर याद करें।
- उदाहरणों के साथ अव्ययों को समझने का प्रयास करें।
- वाक्यों में अव्ययों का प्रयोग करें।
- अव्ययों से संबंधित अभ्यास करें।