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उपसर्ग और प्रत्यय : एनसीईआरटी, आरबीएसई, और सीबीएसई कक्षा 10 के छात्रों के लिए विस्तृत मार्गदर्शिका

उपसर्ग एवं प्रत्यय

उपसर्ग और प्रत्यय दो प्रकार के शब्दांश हैं जो शब्दों के अर्थ और रूप को बदलने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में और प्रत्यय शब्द के अंत में लगाए जाते हैं।

उपसर्ग

उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में लगाए जाने वाले शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग शब्द के अर्थ को बदलते हैं। उदाहरण के लिए, “आउट” उपसर्ग “डोर” शब्द के प्रारंभ में लगाने पर “आउटडोर” शब्द बनता है, जिसका अर्थ “बाहर का दरवाजा” होता है।

उपसर्ग के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • संज्ञा उपसर्ग – संज्ञा शब्दों के पूर्व लगाए जाने वाले उपसर्ग। उदाहरण: अ-, आ-, उप-, नि-, प्रति-, आदि।
  • क्रिया उपसर्ग – क्रिया शब्दों के पूर्व लगाए जाने वाले उपसर्ग। उदाहरण: अव-, प्रति-, नि-, उप-, आदि।
  • विशेषण उपसर्ग – विशेषण शब्दों के पूर्व लगाए जाने वाले उपसर्ग। उदाहरण: अ-, आ-, अति-, अति-, आदि।
  • संबंधबोधक उपसर्ग – संबंधबोधक शब्दों के पूर्व लगाए जाने वाले उपसर्ग। उदाहरण: सह-, अति-, आदि।

प्रत्यय

प्रत्यय शब्द के अंत में लगाए जाने वाले शब्दांश को प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय शब्द के रूप को बदलते हैं। उदाहरण के लिए, “-ता” प्रत्यय “सच्चाई” शब्द के अंत में लगाने पर “सच्चाईदार” शब्द बनता है, जिसका रूप “सच्चाई” से क्रियापद बन जाता है।

प्रत्यय के निम्नलिखित प्रकार हैं:

  • संज्ञा प्रत्यय – संज्ञा शब्दों के अंत में लगाए जाने वाले प्रत्यय। उदाहरण: -ता, -ता, -ता, -ता, -ता, -ता, -ता, -ता, -ता, आदि।
  • क्रिया प्रत्यय – क्रिया शब्दों के अंत में लगाए जाने वाले प्रत्यय। उदाहरण: -ना, -ना, -ना, -ना, -ना, -ना, -ना, -ना, -ना, आदि।
  • विशेषण प्रत्यय – विशेषण शब्दों के अंत में लगाए जाने वाले प्रत्यय। उदाहरण: -दार, -दार, -दार, -दार, -दार, -दार, -दार, -दार, -दार, आदि।

उपसर्ग एवं प्रत्यय का महत्व

उपसर्ग एवं प्रत्यय हिंदी व्याकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके प्रयोग से हम नए शब्दों का निर्माण कर सकते हैं। उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हम शब्दों के अर्थ को भी बदल सकते हैं।

उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:

  • नए शब्दों का निर्माण – उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हम नए शब्दों का निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, “-दार” प्रत्यय “सच्चाई” शब्द के अंत में लगाने पर “सच्चाईदार” शब्द बनता है, जो एक नया शब्द है।
  • शब्दों के अर्थ को बदलना – उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हम शब्दों के अर्थ को भी बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, “अ-” उपसर्ग “सच” शब्द के पूर्व लगाने पर “असच” शब्द बनता है, जिसका अर्थ “झूठ” होता है।
  • शब्दों के रूप को बदलना – उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हम शब्दों के रूप को भी बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, “-ना” प्रत्यय “सच” शब्द के अंत में लगाने पर “सचना” शब्द बनता है, जो एक क्रियापद है।

उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग से हिंदी भाषा में विविधता और सृजनशीलता बढ़ती है। ये हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उपसर्ग (Prefixes) – हिंदी में उपसर्ग का रोचक सफर!

उपसर्ग, छोटे-छोटे शब्दांश होते हैं जो शब्दों के आगे लगकर उनके अर्थ में बदलाव लाते हैं या उन्हें नया रूप देते हैं। मानो वे जादूगार हों, जो साधारण शब्दों को दिलचस्प बना देते हैं! आइए, उनके जादू को और करीब से देखें:

उपसर्गों का जादू: उदाहरण के साथ

  • अति: “प्रशंसा” के आगे लगाने पर “अतिप्रशंसा” बनता है, जिसका अर्थ होता है “हद से ज्यादा प्रशंसा करना”।
  • निर्: “दय” के आगे लगाने पर “निर्दय” बनता है, जिसका अर्थ होता है “जिसमें दया न हो”।
  • सह: “कार्य” के आगे लगाने पर “सहकार्य” बनता है, जिसका अर्थ होता है “साथ मिलकर काम करना”।
  • प्रति: “क्रिया” के आगे लगाने पर “प्रतिक्रिया” बनता है, जिसका अर्थ होता है “किसी क्रिया के बदले में होने वाली क्रिया”।

उपसर्गों के प्रकार

हिंदी में उपसर्गों के कई प्रकार हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • संज्ञा उपसर्ग: ये संज्ञा के आगे लगते हैं, जैसे – अ, अधि, उप, निर, प्रति आदि।
  • क्रिया उपसर्ग: ये क्रिया के आगे लगते हैं, जैसे – अव, नि, दुर्, अभि, वि आदि।
  • विशेषण उपसर्ग: ये विशेषण के आगे लगते हैं, जैसे – अति, सु, दुर्, अ, निर आदि।
  • संबंधबोधक उपसर्ग: ये संबंधबोधक शब्दों के आगे लगते हैं, जैसे – सह, अति, पर, अ- आदि।

नए शब्दों का निर्माण: उपसर्गों का कमाल

उपसर्गों का एक बड़ा जादू है – शब्दों के सामने आकर वे तुरंत नए शब्दों को जन्म देते हैं! उदाहरण के लिए:

  • “कार” के आगे “उप” लगाने पर “उपकार” बनता है, यानी दूसरों का भला करना।
  • “लेख” के आगे “प्रति” लगाने पर “प्रतिलेख” बनता है, यानी मूल लिखत की नकल बनाना।
  • “ज्ञान” के आगे “दुर्” लगाने पर “दुर्ज्ञान” बनता है, यानी कम ज्ञान या गलतफहमी।

अभ्यास के बिना जादू नहीं चलता!

उपसर्गों को समझने के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है। आइए, कुछ अभ्यासों से खुद को परखें:

  • इन शब्दों के आगे उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए: विजय, हार, योग, कर्म, भाषा
  • दिए गए उपसर्गों से क्या-क्या शब्द बनाए जा सकते हैं: प्रति, उप, दुर्, निर, अधि
  • वाक्यों में उपसर्ग वाले शब्दों का इस्तेमाल करके देखिए।

प्रत्यय (Suffixes) – हिंदी के रंग बदलने वाले जादूगर!

प्रत्यय, शब्दों के पीछे लगने वाले छोटे-छोटे जादूगर होते हैं, जो उनकी शक्ल और स्वभाव बदल देते हैं! वो नए शब्द बनाने में माहिर हैं, पुराने शब्दों को नया अर्थ देते हैं, और वाक्यों में उनकी भूमिका भी बदल देते हैं! आइए, इन शब्द-निर्माता जादूगरों के साथ एक रोमांचक सफर पर चलें:

जादू का तमाशा: उदाहरण के साथ प्रत्ययों का खेल

  • “लिख” के पीछे “-ना” लगाने पर “लिखना” बनता है, जोकि एक क्रियापद है।
  • “बहादुर” के पीछे “-पन” लगाने पर “बहादुरी” बनता है, जोकि एक भाववाचक संज्ञा है।
  • “धूप” के पीछे “-ीला” लगाने पर “धूपीला” बनता है, जोकि एक विशेषण है।
  • “बढ़” के पीछे “-आ” लगाने पर “बढ़ा” बनता है, जोकि एक विशेषण है या भूतकालिक क्रिया भी हो सकता है।

प्रत्ययों के टोपियों का खजाना: प्रत्ययों के प्रकार

हिंदी में प्रत्ययों के कई रूप हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • संज्ञा प्रत्यय: ये संज्ञा के पीछे लगते हैं, जैसे – ता, पन, आ, ई, या आदि।
  • क्रिया प्रत्यय: ये क्रिया के पीछे लगते हैं, जैसे – ना, ना, ना, ला, आ आदि।
  • विशेषण प्रत्यय: ये विशेषण के पीछे लगते हैं, जैसे – आ, ईला, वान, तर, इया आदि।
  • क्रियाविशेषण प्रत्यय: ये क्रियाविशेषण के पीछे लगते हैं, जैसे – ते, से, कर, कर के आदि।

शब्दों का नया जन्म: प्रत्ययों का कमाल

प्रत्यय शब्दों को नया रूप और अर्थ देकर नए शब्दों को जन्म देते हैं! उदाहरण के लिए:

  • “पढ़” के पीछे “-ने वाला” लगाने पर “पढ़ने वाला” बनता है, यानी जो पढ़ेगा।
  • “दुख” के पीछे “-दाई” लगाने पर “दुखदाई” बनता है, यानी जो दुख दे।
  • “चल” के पीछे “-ना” लगाने पर “चलना” बनता है, यानी किसी विशेष तरीके से हिलना।

अभ्यास: ताकि जादू हमेशा रहे!

प्रत्ययों को मास्टर करने के लिए अभ्यास जरूरी है। आइए, कुछ मजेदार अभ्यासों से अपनी जादूगरी दिखाएं:

  • इन शब्दों के पीछे प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए: लिख, कह, बोल, देख, सोच
  • दिए गए प्रत्ययों से क्या-क्या शब्द बनाए जा सकते हैं: वाला, वाला, आना, करना, पन
  • वाक्यों में प्रत्यय वाले शब्दों का इस्तेमाल करके एक कहानी लिखिए।

उपसर्ग और प्रत्यय: शब्दों के दो जादूगर, मगर अंतर है ज़रूर!

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही हिंदी में शब्दों को नया रूप और अर्थ देने वाले तत्व हैं, परंतु उनके व्यवहार में कुछ दिलचस्प अंतर हैं। आइए, इन जादुई शब्दांशों के बीच के फर्क को करीब से देखें:

जगह का फर्क:

  • उपसर्ग: ये हमेशा शब्द के प्रारंभ में: जैसे, “अ-शांति”, “प्र-गति”, “निर्-दय”।
  • प्रत्यय: ये हमेशा शब्द के अंत में: जैसे, “लिख-ना”, “बहादुर-पन”, “खुश-हाल”।

अर्थ का बदलाव:

  • उपसर्ग: ये मुख्यतः शब्द के मूल अर्थ में बदलाव लाते हैं: जैसे, “प्र-ेम” में “प्रेम” का ही एक नया रूप देखने को मिलता है।
  • प्रत्यय: ये आमतौर पर शब्द के व्याकरणिक लक्षण बदलते हैं: जैसे, “बहादुर” से “बहादुरी” बनते समय एक संज्ञा क्रियाविशेषण बन जाता है।

उदाहरणों का जादू:

  • उपसर्ग: “उच्चाई” में “चढ़ाई” के ही अर्थ को एक नया आयाम मिलता है, जबकि “गति” और “प्र-गति” दोनों गति को दर्शाते हैं, परंतु प्र-गति में तीव्रता का भाव झलकता है।
  • प्रत्यय: “लिखना” क्रिया की क्रियात्मकता को दर्शाता है, जबकि “लिखा” भूतकालिक रूप दिखाता है।

निष्कर्ष:

उपसर्ग और प्रत्यय शब्दों के जादूगर हैं, परंतु उनके जादू की अलग-अलग शक्तियां हैं। उपसर्ग अर्थ में नए रंग भरते हैं, जबकि प्रत्यय शब्दों को अलग-अलग रूप और कार्यों के लिए तैयार करते हैं। इन दोनों को समझकर ही हम हिंदी भाषा की जादुई दुनिया में पूरी तरह से घूम सकते हैं!

उपसर्ग एवं प्रत्यय का साहित्य में जादूगर का तिलिस्म!

हिंदी साहित्य का खूबसूरत संसार न सिर्फ शब्दों से निर्मित होता है, बल्कि उपसर्गों और प्रत्ययों के नन्हे जादूगरों से भी इसकी नींव मजबूत होती है। ये छोटे तत्व भावों को गहरा बनाते हैं, भाषा को लय देते हैं, और कविता-गद्य दोनों में ही अपना अलग जादू दिखाते हैं। आइए, देखें कैसे:

कविता के सितार में बजते उपसर्ग एवं प्रत्यय के तार:

  • उपसर्ग: “निर-अंधकार” में उपसर्ग “निर” अंधकार के अथाहपन को उजागर करता है, वहीं “प्र-भात” में “प्र” सवेरे की आशा जगाता है।
  • प्रत्यय: “लहराता” शब्द में प्रत्यय “ता” नदी के बहते हुए जल की छवि को मन में बिठाता है, वहीं “झिलमिलाती” में “ती” तारों की चमक को जीवंत करता है।

गद्य की नदी में बहते उपसर्ग एवं प्रत्यय के कंकड़:

  • उपसर्ग: प्रेमचंद के उपन्यास में “निर्धनता” और “अत्याचार” जैसे शब्द सामाजिक विषमता का दर्द उकेरते हैं, वहीं “स्व-तंत्र” और “संघर्ष” स्वतंत्रता की ललक जगाते हैं।
  • प्रत्यय: “गांधीजी” से गांधी का सम्मान झलकता है, वहीं “दुर्दशा” में पीड़ा झलकती है। “महात्मा” जैसे प्रत्यय महात्मा गांधी के व्यक्तित्व को और विशाल बनाते हैं।

प्रसिद्ध साहित्य के उदाहरण:

  • “प्रियतम तू अविचल रहना, पथ विकट है डग मत मार”, टुलसीदास के रामचरितमानस में “अविचल” और “डग” जैसे शब्द हनुमान की दृढ़ता को रेखांकित करते हैं।
  • “सुनो सुंदरियों के प्यार का यह गीत, जो पत्थर को पिघला दे”, निराला की कविता में “सुंदरियों”, “प्यार”, और “पत्थर” जैसे शब्दों को “पीघला दे” जैसे प्रत्यय और अधिक प्रभावी बनाते हैं।

निष्कर्ष:

उपसर्ग एवं प्रत्यय साहित्य में जादूगर की तरह काम करते हैं। ये शब्दों को नया अर्थ और प्राण देते हैं, कविता में संगीत लाते हैं, और गद्य को प्रभावी बनाते हैं। उन्हें समझना और सराहना हिंदी साहित्य के सच्चे सौंदर्य की अनुभूति है।

शब्‍दों के जादूगरों के साथ मस्ती का समय: उपसर्ग एवं प्रत्यय से जुड़े रोचक क्रियाकलाप!

शब्‍दों के अर्थ बदलने और उनके साथ खेलने का शौक है? तो उपसर्गों और प्रत्ययों के जादू की दुनिया में रमने का समय आ गया है! आइए, कुछ मजेदार क्रियाकलापों से इन नन्हे जादूगरों को और करीब से जानें:

क्रियाकलाप 1: जादूगर को पहचानो!

  • दिए गए शब्दों में से किन-किन में उपसर्ग है और किन-किन में प्रत्यय? पहचान करो और अलग-अलग सूची बनाओ। उदाहरण: असत्य, लिखना, उन्नति, खुशहाल, पढ़ाओ

क्रियाकलाप 2: नया जादू सीखो!

  • दिए गए उपसर्गों और प्रत्ययों से अधिक से अधिक नए शब्द बनाओ: उपसर्ग: प्र-, निर-, दुर्-, अति-, अधि- प्रत्यय: -ना, -पन, -ता, -आ, – वाला

क्रियाकलाप 3: जादू की कथा!

  • एक छोटी कहानी लिखो, जिसमें कम से कम 5 बार उपसर्ग और 5 बार प्रत्यय वाले शब्दों का इस्तेमाल करो। अपने जादू को दिखाओ!

क्रियाकलाप 4: शायर बनो!

  • दो-चार पंक्तियों का टुकड़ा लिखो, जिसमें एक उपसर्ग या प्रत्यय वाले शब्द को राइम (तुकबंदी) में शामिल करो। अपना रचनात्मक कौशल दिखाओ!

क्रियाकलाप 5: जादुई पहेली!

  • अपने दोस्तों को पहेली बनाकर दीवाना बनाओ। एक शब्द का वर्णन करो, जिसमें उसके मूल शब्द से जुड़े उपसर्ग या प्रत्यय का जवाब छिपा हो। जवाब ढूंढने का मजा बढ़ाओ!

ये तो बस कुछ उदाहरण हैं! उपसर्गों और प्रत्ययों के साथ जितना ज्यादा खेलोगे, उतना ही मजा आएगा और हिंदी भाषा पर आपकी पकड़ मजबूत होगी। तो तैयार हो जाइए, और शब्दों के जादूगर बनने का सफर शुरू कीजिए!

शब्‍दों के जादूगरों का जादू सीखा? तो याद रखिए ये बातें:

उपसर्ग और प्रत्यय: ये छोटे-छोटे शब्दांश हमारे हिंदी सागर में बड़े जहाजों की तरह तैरते हैं। ये शब्दों के आगे-पीछे लगकर उनके रूप और अर्थ बदल देते हैं, और नए शब्दों को जन्म देते हैं। उन्हीं की वजह से हिंदी भाषा इतनी लचीली और सुंदर है।

मुख्य बातें:

  • उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में लगते हैं, जबकि प्रत्यय अंत में
  • उपसर्ग मुख्यतः शब्द के अर्थ में बदलाव लाते हैं, जबकि प्रत्यय शब्द के व्याकरणिक लक्षण बदलते हैं
  • दोनों ही कविता और गद्य में शब्दों को खूबसूरती और ताकत देते हैं।

हिंदी सीखने में महत्व:

  • उपसर्ग और प्रत्यय समझने से नए शब्द सीखना आसान हो जाता है।
  • वाक्यों में शब्दों का सही इस्तेमाल समझने में मदद मिलती है।
  • साहित्य को समझने और सराहने की क्षमता बढ़ती है।
  • अपनी खुद की रचनात्मकता को जगाने में सहायक होते हैं।

तो निष्कर्ष यही है: उपसर्ग और प्रत्यय हमारे हिंदी ज्ञान को और तेज करते हैं। इनके जादू को समझना और सराहना, हिंदी भाषा की गहराई में उतरने की पहली सीढ़ी है। तो कब सीखते हैं इन जादूगरों की कला?

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. उपसर्ग शब्द के किस भाग में लगाए जाते हैं?

(क) प्रारंभ में (ख) अंत में (ग) बीच में (घ) कहीं भी

उत्तर: (क) प्रारंभ में

2. प्रत्यय शब्द के किस भाग में लगाए जाते हैं?

(क) प्रारंभ में (ख) अंत में (ग) बीच में (घ) कहीं भी

उत्तर: (ख) अंत में

रिक्त स्थान पूर्ति के प्रश्न

1. “अत्यधिक” शब्द में उपसर्ग “अ” का अर्थ है _________।

उत्तर: अतिशय

2. “निर्धन” शब्द में उपसर्ग “निर्” का अर्थ है _________।

उत्तर: बिना

3. “लिखना” शब्द में प्रत्यय “ना” का अर्थ है _________।

उत्तर: क्रिया

4. “बहादुरी” शब्द में प्रत्यय “ई” का अर्थ है _________।

उत्तर: भाव

5. “खुशहाल” शब्द में प्रत्यय “हाल” का अर्थ है _________।

उत्तर: स्थिति

6. “पढ़ाओ” शब्द में प्रत्यय “ओ” का अर्थ है _________।

उत्तर: आदेश

लघुत्तरात्मक प्रश्न

उपसर्ग और प्रत्यय के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दों के रूप और अर्थ को बदलने में मदद करते हैं। हालांकि, इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:

  • उपसर्ग शब्द के प्रारंभ में लगते हैं, जबकि प्रत्यय शब्द के अंत में लगते हैं।
  • उपसर्ग मुख्यतः शब्द के अर्थ में बदलाव लाते हैं, जबकि प्रत्यय शब्द के व्याकरणिक लक्षण बदलते हैं।
  • उपसर्गों का प्रयोग नए शब्द बनाने के लिए भी किया जाता है, जबकि प्रत्ययों का प्रयोग नए शब्द बनाने के लिए कम किया जाता है।

उदाहरण के लिए, “असत्य” शब्द में उपसर्ग “अ” का अर्थ है “नहीं”। इस प्रकार, “असत्य” का अर्थ है “जो सत्य नहीं है”। दूसरी ओर, “लिखना” शब्द में प्रत्यय “ना” का अर्थ है “क्रिया”। इस प्रकार, “लिखना” का अर्थ है “लिखने की क्रिया”।

उपरोक्त अंतरों के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण तत्व हैं जो शब्दों के रूप और अर्थ को बदलने में मदद करते हैं।