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ओम का नियम: विद्युत परिपथों को समझने की कुंजी (Ohm’s Law: Key to Understanding Electrical Circuits)

ओम का नियम (Ohm’s Law)

ओम का नियम विद्युत परिपथों में धारा (current), विभवान्तर (voltage) और प्रतिरोध (resistance) के बीच के संबंध को बताता है। इसका सरल शब्दों में मतलब है कि किसी चालक (conductor) में बहने वाली धारा उस पर लगाए गए विभवान्तर के सीधे समानुपाती होती है, बशर्ते कि चालक का तापमान स्थिर रहे।

इसे गणितीय रूप से निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:

V = IR

जहां:

  • V – विभवान्तर (voltage) – वोल्ट (Volt) में मापा जाता है।
  • I – धारा (current) – एम्पीयर (Ampere) में मापा जाता है।
  • R – प्रतिरोध (resistance) – ओम (Ohm) में मापा जाता है।

ओम के नियम के अनुप्रयोग (Applications of Ohm’s Law)

ओम का नियम विद्युत अभियांत्रिकी का आधार है। इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख अनुप्रयोग इस प्रकार हैं:

  • परिपथों का विश्लेषण: ओम के नियम की मदद से हम परिपथों में धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध की गणना कर सकते हैं। इससे हमें यह पता लगाने में मदद मिलती है कि परिपथ किस प्रकार से कार्य करेगा।
  • विद्युत उपकरणों का डिज़ाइन: विभिन्न विद्युत उपकरणों को डिजाइन करते समय ओम के नियम का उपयोग आवश्यक धारा और विभवान्तर को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक निश्चित चमक के लिए तारों में सही प्रतिरोध का चयन करने के लिए ओम के नियम का उपयोग किया जाता है।
  • समस्या निवारण: विद्युत परिपथों में किसी भी खराबी का पता लगाने के लिए ओम के नियम का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी बल्ब में रोशनी नहीं हो रही है, तो हम ओम के नियम का उपयोग करके यह पता लगा सकते हैं कि समस्या कम विभवान्तर, बहुत अधिक प्रतिरोध या बल्ब का जल जाना है।
  • सुरक्षा उपकरण: विद्युत फ्यूज (fuse) ओम के नियम के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। यदि किसी परिपथ में बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है, तो फ्यूज का तार गर्म होकर पिघल जाता है, जिससे परिपथ टूट जाता है और उपकरणों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाता है।

उपरोक्त उदाहरणों के अतिरिक्त, ओम का नियम विद्युत धारा के विभिन्न क्षेत्रों जैसे विद्युत रसायन, विद्युत चुंबकत्व और संचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।