सत्रांक के अंकों के सत्यापन एवं प्रबोधन के संबंध में दिशा-निर्देश:
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 10 एवं 12 के लिए जारी
सैद्धांतिक, प्रायोगिक एवं विद्यालय स्तर के सत्रांक निर्धारण:
- गैर प्रायोगिक विषयों के लिए:
- बोर्ड परीक्षा के अंक का 20%
- विद्यालय स्तर पर 20% सत्रांक
- प्रायोगिक विषयों के लिए:
- प्रायोगिक परीक्षा के अंक (कम करने के बाद) का 20%
- विद्यालय स्तर पर 20% सत्रांक
विद्यालय स्तर पर 20% सत्रांक का विभाजन:
- 10 – विद्यालय स्तर पर तीन टेस्ट एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा
- 5 – प्रोजेक्ट कार्य
- 3 – उपस्थिति
- 2 – व्यवहार एवं अनुशासन
निर्देश:
- हर परीक्षा एवं परख के बाद प्रत्येक विषय के 2% उत्तर पुस्तिकाओं की मिलान एवं जांच
- 3 वर्षों तक अर्द्धवार्षिक एवं परख की कॉपियों को सुरक्षित रखना
- सत्रांक के अंतिम अंग्रेषण से पूर्व संस्था प्रधान द्वारा उसी पीईईओ परिक्षेत्र से एक अन्य शिक्षक से अंकों का मिलान
- बोर्ड परीक्षा एवं सत्रांक के अंकों के प्रतिशत में 50% से अधिक अंतर होने पर प्रकरण जांच योग्य
उद्देश्य:
- सत्रांक की सत्यता एवं वस्तुनिष्ठता सुनिश्चित करना
- विद्यार्थियों के सतत मूल्यांकन को प्रोत्साहन देना
- विद्यालय स्तर पर परख को गंभीरता से लेना
यह दिशा-निर्देश सत्रांक प्रणाली को अधिक पारदर्शी एवं विश्वसनीय बनाने में मदद करेंगे।
संस्था प्रधान के दायित्व:
सत्रांक के सत्यापन एवं प्रबोधन के संबंध में:
- हर परीक्षा एवं परख के बाद प्रत्येक विषय के 2% उत्तर पुस्तिकाओं की मिलान एवं जांच करना।
- 3 वर्षों तक अर्द्धवार्षिक एवं परख की कॉपियों को सुरक्षित रखना।
- सत्रांक के अंतिम अंग्रेषण से पूर्व संस्था प्रधान द्वारा उसी पीईईओ परिक्षेत्र से एक अन्य शिक्षक से अंकों का मिलान करवाना।
- बोर्ड परीक्षा एवं सत्रांक के अंकों के प्रतिशत में 50% से अधिक अंतर होने पर प्रकरण की जांच करवाना।
विस्तृत आदेश
कार्यालय-निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर द्वारा समस्त संस्था प्रधान, निजी एवं राउमावि / राबाउमावि को बोर्ड परीक्षा में आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के सत्यापन एवं प्रबोधन के संबंध में दिशा निर्देश प्रदान किए गए हैं।
कक्षा 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षा में सैद्धान्तिक, प्रायोगिक एवं विद्यालय स्तर के सत्रांक निर्धारण का उल्लेख है।
इनमें गैर प्रायोगिक विषय परीक्षाओं में बोर्ड की अंतिम परीक्षा के अंक के 20% तथा प्रायोगिक विषयों के लिए प्रायोगिक परीक्षा के अंक कम करने के बाद शेष अंक के 20% सत्रांक का प्रावधान है। जैसे हिन्दी में 100 में से 20 अंक आन्तरिक मूल्याकंन के तथा 80 अंक सैद्धान्तिक परीक्षा के निर्धारित है।
बोर्ड के प्रासंगिक परिपत्र अनुसार इन सत्रांक के 20 अंकों का विभाजन निम्न अनुसार है :-
- 1. विद्यालय स्तर पर होने वाले तीन टेस्ट एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के कुल अंकों के 10% इस सत्रांक के रूप में सम्मिलित होते हैं, जो बोर्ड परीक्षा के कुल अंक के 10 प्रतिशत होंगे।
- 2. पांच प्रतिशत अंक प्रोजेक्ट कार्य के होते हैं विषय अध्यापक द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी से पृथक पृथक प्रोजेक्ट कार्य करवाया जाता है ।
- 3. तीन प्रतिशत अंक विद्यार्थी की उपस्थिति के होते हैं परीक्षा में बैठने के लिए आवश्यक न्यूनतम 75% से 80% उपस्थित रहने पर एक अंक 80% से अधिक 90% तक उपस्थित रहने पर दो अंक और 90 से अधिक 100% उपस्थिति के लिए पूरे तीन अंक दिए जाने का प्रावधान है ।
- 4. इन संत्राकों में दो प्रतिशत अंक व्यवहार एवं अनुशासन के होते हैं जो की विषय अध्यापक द्वारा विद्यार्थी के सत्र पर्यन्त व्यवहार एवं अनुशासन के आधार पर दिए जाते हैं।
यद्यपि सत्रांको के लिए प्रत्येक परीक्षा,, प्रोजेक्ट आदि की वस्तुनिष्ठता (Objectivity) स्पष्ट है, परंतु यह ध्यान में आया है कि व्यवहार रूप में सत्रांक की सत्यता एवं वस्तुनिष्टता को गंभीरता से नही लिया जाता। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि विद्यार्थी के सत्रांक की तुलना में सैद्धांतिक परीक्षा में कम प्रतिशत अंक आते हैं । विद्यालय में सतत मूल्यांकन विद्यार्थी की नियमित अध्ययन के प्रबोधन के लिए सत्रांक अत्यंत आव यक है। संत्राक परख को विद्यालय स्तर पर गंभीरता से लिए जाने की आवश्यकता है। इस हेतु निम्नांकित निर्देश जारी किये जाते है :-
- संस्था प्रधान द्वारा हर परीक्षा व परख के बाद प्रत्येक विषय के 2% की उत्तर पुस्तिकाओं की मिलान एव जांच कर इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा कि उनके द्वारा यह सैंपल जांच कर ली गई है।
- 3 वर्षों तक अर्द्धवार्षिक और परख की कॉपियों को सुरक्षित रखी जाए। जिसे उस जिले की डाइट स्टाफ द्वारा कभी भी जाकर जाँच किया जा सकता है ।
- जिस प्रकार प्रायोगिक परीक्षा में बाह्य परीक्षक का प्रावधान है, उसी प्रकार सत्रांक के अंतिम अंग्रेषण से पूर्व संस्थाप्रधान द्वारा उसी पीईईओ परिक्षेत्र से एक अन्य शिक्षक से लगाये जाएं, जो अंकों का मिलान कर, विषयाध्यापक के साथ एक हस्ताक्षित प्रमाण पत्र दें कि परख एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंकों के साथ बोर्ड को प्रेषित अंकों से मिलान कर लिया गया है। प्रमाण पत्र पर बाह्य परीक्षक, संस्था प्रधान एवं विषयाध्यापक के हस्ताक्षर होंगे ।
- ऐसे प्रकरण जहां तीनो परख एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्राप्त अंकों के प्रतिशत तथा बोर्ड परीक्षा के अंक प्रतिशत के मध्य 50 प्रतिशत से अधिक अन्तर होगा, वे संदिग्ध माने जाऐंगे एवं संस्था प्रधान को उक्त का तार्किक कारण स्पष्ट करना होगा। कारण सही न होने पर विभागीय कार्यवाही की जा सकेगी। जैसे कक्षा 10 के विज्ञान विषय में सत्रांक 9 अंक (तीनों परख एवं अर्द्धवार्षिक के कुल प्राप्ताक 91 के 10 प्रतिशत) अंर्जित हुए यानी 10 में से 9 पूरे नब्बे प्रतिशत। वहीं दूसरी ओर सैद्धान्तिक परीक्षा में 80 में से 30 अंक यानि 38.75 प्रतिशत । सत्रांक में 90 प्रतिशत और सैद्धान्तिक में 38.75 प्रतिशत और दोनों में अन्तर 50 प्रतिशत से अधिक होने से यह प्रकरण जांच योग्य बनेगा।
सत्रांक निर्धारण प्रपत्र