
राजस्थान में 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाए जाएंगे। इसी के साथ अब राज्य में 50 जिले और 10 संभाग हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में इसकी घोषणा की। बांसवाड़ा, पाली, सीकर नए संभाग बनाए गए हैं। जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, दूदू, कोटपूतली,जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम, फलोदी, अनूपगढ़,बालोतरा, ब्यावर, केकड़ी, डीग, डीडवाना-कुचामनसिटी, गंगापुर सिटी,खैरथल, नीम का थाना,सलूंबर, सांचोर और शाहपुरा को नया जिला बनाया है।
इस आलेख हमेशा के समान किसी भी प्रकार की राजनीतिक चर्चा या विमर्श से पूर्ण परहेज रखा जाएगा। हम सिर्फ नए जिलों के गठन की प्रक्रिया, नए जिलों हेतु संसाधनों की व्यवस्था प्रक्रिया, नए जिलों के गठन का असर व आगे की व्यवस्थाओं पर ही ध्यान केंद्रित करेंगे।
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नए जिलों के गठन से पूर्व का परिदृश्य
नए जिलों के गठन को लेकर सरकार को सुझाव रिटायर्ड IAS रामलुभाया की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने किया है। इस कमेटी के समक्ष अनेक क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने जिलों की मांग के सम्बंध में अपना पक्ष रखा था। इस कमेटी को प्रदेश भर से करीब 60 नए जिलों के सम्बंध में ज्ञापन प्राप्त हुए थे।
इससे पहले राजस्थान नए जिलों का गठन करीबन 15 साल के अंतर से हुआ था। 12 जुलाई 1994 को हनुमानगढ़ जिले का गठन हुआ था। इसके बाद 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ को राजस्थान के मानचित्र पर 33वां जिला होने का गौरव प्राप्त हुआ। एक बार फिर 15 साल बाद नए 19 जिले बने है। नए जिलों की मांग के सम्बंध में कुछ झलकियां इस प्रकार है-
- बालोतरा (बाड़मेर) से विधायक ने डेढ़ वर्ष पहले बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर विधानसभा में ही अपने जूते त्यागने की सौगंध ले ली थी।
- नए जिलों के गठन हेतु कई प्रकार के मानदंड होते है जैसे वर्तमान में जिला मुख्यालय से दूरी, जनसँख्या, राजस्व, संसाधनों की स्तिथि इत्यादि। इसके उपरांत भी अनेक स्थानों पर अनेक आंदोलन जारी थे।
- 1981 की जनगणना में भारत में केवल 412 जिले थे , जिले का औसत आकार 7,788 वर्ग किमी था। लेकिन 2011 की जनगणना में , भारत में 640 जिले थे, जिनका औसत आकार सिर्फ 4,948 वर्ग किमी था। वर्तमान सँख्या 775 है । इस सँख्या में परिवर्तन भी निश्चित है।
- नए और छोटे जिले शासन को आसान बनाने और प्रशासन को उनके लिए अधिक सुलभ बनाकर लोगों को लाभान्वित करने के लिए बनाए जाते है।
नए जिलों के निर्माण की प्रक्रिया में राज्य सरकार में शक्ति निहित
नए जिले बनाने या मौजूदा जिलों को बदलने या समाप्त करने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है । यह या तो एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से या राज्य विधानसभा में एक कानून पारित करके किया जा सकता है।कई राज्य आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना जारी करके कार्यकारी मार्ग को प्राथमिकता देते हैं।
नए जिले बनाते समय सामान्यतः ध्यान वाले बिंदु
- वर्तमान जिला मुख्यालय से दूरी न्यूनतम 50 किलोमीटर होनी चाहिए
- जिला स्तरीय कायार्लय जैसे कलक्ट्रेट, एसपी ऑफिस, जिला न्यायालय, राजकीय कॉलेज आदि के लिए दफ्तरों के भवनों की बेसिक व्यवस्था होनी चाहिए
- आस-पास के क्षेत्र, तहसील आदि मिलाकर पर्याप्त होनी चाहिए।
- न्यूनतम 2 से 4 तहसील और उपखंड मुख्यालयों का शामिल होना, भविष्य की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के आर्थिक संसाधन मौजूद हों
- क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा व रेल परिवहन की उचित व्यवस्था हो।
वित्त एवं विनियोग विधेयक चर्चा पर मुख्यमंत्री की नए जिलों से सम्बंधित घोषणा


अब राजस्थान में है 50 जिले। इसका गणित समझे।
19 नए जिले बनने से पूर्व राजस्थान में कुल 33 जिले थे। मुख्यमंत्री बजट घोषणा से इन नए 19 जिलों की घोषणा हुई-
प्रदेश में नए बनाए गए जिले
1. अनूपगढ़,
2. बालोतरा,
3. ब्यावर,
4. डीग,
5. डीडवाना – कुचामन,
6. दूदू
7. गंगापुरसिटी,
8. जयपुर उत्तर,
9. जयपुर दक्षिण,
10. जोधपुर पूर्व,
11. जोधपुर पश्चिम,
12. केकड़ी,
13. कोटपूतली – बहरोड़,
14. खैरथल,
15. नीम का थाना,
16. फलौदी,
17. सलूम्बर,
18. सांचौर एवं
19. शाहपुरा ।
इसका अभिप्राय यह है कि 33 जमा 19 यानी 52 हुए। इसके उपरांत भी जिले इसलिए 50 होंगे क्योंकि यह 02 जिले अब नए जिलों में विभक्त है।
01. जोधपुर
02. जयपुर
इसलिए 52 में से 02 शेष करने पर राजस्थान में कुल जिले अब 50 होंगे।