राजस्थान में सूर्य सप्तमी, जो 15 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी, के अवसर पर एक विशेष और ऐतिहासिक आयोजन की तैयारी की जा रही है। इस दिन, राज्य भर के स्कूल सूर्य नमस्कार का एक सामूहिक अभ्यास करेंगे, जिससे एक नवीन विश्व रिकॉर्ड की स्थापना की जा सके। शिक्षा विभाग ने इस आयोजन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सभी राजकीय और गैर-राजकीय स्कूलों को शामिल होने का निर्देश दिया गया है।
इस विशेष आयोजन में, प्रार्थना सभा के दौरान सभी विद्यार्थियों को एक साथ सूर्य नमस्कार करने को कहा जाएगा। इस गतिविधि का उद्देश्य न केवल विश्व रिकॉर्ड स्थापित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि विद्यार्थियों को योग और व्यायाम के महत्व के प्रति जागरूक किया जा सके। इस आयोजन के दौरान, बालकों और बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक् व्यवस्था की जाएगी, ताकि वे आरामदायक और सुरक्षित माहौल में सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकें।
इस कार्यक्रम की सफलता के लिए, शिक्षा विभाग ने व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार की योजना बनाई है। इसमें न केवल स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारी शामिल होंगे, बल्कि शिक्षा विभाग के कार्यालयों, ब्लॉक और जिला प्रशासन के अधिकारी, जनप्रतिनिधि और अन्य गणमान्य
व्यक्तियों को भी इस विशेष कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इस प्रकार, यह आयोजन सिर्फ एक स्कूली गतिविधि नहीं रहेगी, बल्कि यह एक समुदाय-व्यापी पहल में तब्दील हो जाएगी, जिसमें विभिन्न समाजिक और शैक्षिक समूहों का संगम होगा।
समस्त PEEO को भी निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस गतिविधि को आयोजित करें और पंचायत में अन्य विभागों के कार्मिकों, जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों, ग्रामीणों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को भी इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित करें। यह एकता और समुदाय के सहयोग की भावना को बल देगा, जो शिक्षा के महत्व को और अधिक समझने में मदद करेगा।
इस आयोजन के संदर्भ में, सभी शाला दर्पण और पी.एस.पी. पोर्टल पर विद्यार्थियों, शिक्षकों, कार्मिकों, जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की संख्यात्मक सूचना की प्रविष्टि उसी दिवस को की जानी है। यह डेटा संग्रहण आयोजन की सफलता का आकलन करने में महत्वपूर्ण होगा।
आयोजन के पश्चात, समस्त स्कूलों से 5-5 फोटो और वीडियो (02 मिनट से अधिक नहीं) की आपूर्ति [email protected] ई-मेल पर की जानी है, जिससे इस विशेष दिवस की यादों को संजोया जा सके। समस्त CBEO और CDEO को भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने जिले के समस्त स्कूलों के दो-दो फोटोग्राफ अपने ई-मेल पर सुरक्षित रखें। इससे न केवल आयोजन की व्यापकता और विविधता का दस्तावेजीकरण सुनिश्चित होगा, बल्कि यह भविष्य के लिए एक अमूल्य संसाधन भी साबित होगा।
इस पूरे आयोजन की योजना और क्रियान्वयन एक विशाल और समन्वित प्रयास को दर्शाता है, जो न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करेगा, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने का भी काम करेगा। इस आयोजन के माध्यम से, राजस्थान न केवल एक नवीन विश्व रिकॉर्ड की स्थापना की ओर अग्रसर है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षिक संदेश भी दे रहा है।
सूर्य नमस्कार का आयोजन न केवल फिजिकल फिटनेस को बढ़ावा देता है, बल्कि यह विद्यार्थियों को अनुशासन, समर्पण और संयम के महत्व को भी सिखाता है। इस आयोजन के माध्यम से, राजस्थान के शिक्षा विभाग ने एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जो शैक्षणिक संस्थानों, समुदायों और विभिन्न सामाजिक समूहों को एक साथ लाकर एक नया आयाम प्रस्तुत करता है।
अंततः, इस आयोजन की सफलता न केवल एक रिकॉर्ड की स्थापना में निहित है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और समुदाय को
एक साथ लाकर एक समाज में सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह आयोजन विद्यार्थियों, शिक्षकों, और समुदाय के सदस्यों में योग और शारीरिक व्यायाम के महत्व को समझने के साथ-साथ, सामूहिक प्रयास और समन्वय की शक्ति को पहचानने का एक अवसर प्रदान करता है।
सूर्य नमस्कार के समूहिक अभ्यास से न केवल एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा, बल्कि यह शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करेगा। इस आयोजन के माध्यम से, राजस्थान के शिक्षा विभाग ने दिखाया है कि कैसे पारंपरिक योग प्रथाएँ और समकालीन शिक्षा व्यवस्था को एक साथ लाकर समाज को समग्र रूप से लाभ पहुंचाया जा सकता है।
इस पहल के माध्यम से, राजस्थान ने न केवल एक नवीन रिकॉर्ड की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और समुदायिक सहभागिता को एक साथ मिलाकर एक अधिक स्वस्थ, सशक्त, और जागरूक समाज का निर्माण संभव है।
इस आयोजन के सफल निष्पादन से उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इस तरह के पहलों को अपनाएंगे, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवाचार और समुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने की एक नई दिशा स्थापित होगी।