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भारत में संसाधन और विकास: एक व्यापक मार्गदर्शिका (NCERT कक्षा 10 के लिए)

संसाधन और विकास (कक्षा 10 NCERT सामाजिक विज्ञान – समकालीन भारत – II भूगोल)

संसाधन वे तत्व हैं जिनका उपयोग मानव अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए करता है। संसाधन प्राकृतिक या मानव-निर्मित हो सकते हैं। प्राकृतिक संसाधन वे हैं जो प्रकृति में पाए जाते हैं, जैसे भूमि, जल, वनस्पति, खनिज, और जीवाश्म ईंधन। मानव-निर्मित संसाधन वे हैं जिन्हें मनुष्यों द्वारा बनाया जाता है, जैसे बांध, सड़कें, मशीनें, और कुशल श्रम। संसाधनों का विकास महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

संसाधनों के प्रकार

संसाधनों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ सामान्य वर्गीकरण इस प्रकार हैं:

  • उत्पत्ति के आधार पर:
    • प्राकृतिक संसाधन: ये प्रकृति में पाए जाते हैं और सीमित मात्रा में होते हैं। उदाहरण: भूमि, जल, खनिज, वनस्पति, जीवाश्म ईंधन।
    • मानव निर्मित संसाधन: ये मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं और इनका विस्तार किया जा सकता है। उदाहरण: बांध, सड़कें, मशीनें, कुशल श्रम।
  • विकास के चरण के आधार पर:
    • विकसित संसाधन: वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया गया है, उनका आकलन किया गया है और उन्हें उपयोग में लाया जा रहा है। उदाहरण: सिंचाई के लिए उपयोग में लाई जाने वाली नदी।
    • अविकसित संसाधन: वे संसाधन जिनका अभी तक पता नहीं लगाया गया है या उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। उदाहरण: रेगिस्तान में पाया जाने वाला खनिज भंडार।

संसाधनों का विकास

संसाधन विकास का तात्पर्य उनका पता लगाने, उनका आकलन करने और उनका उपयोग करने की प्रक्रिया से है। संसाधन विकास में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  1. संसाधन अन्वेषण: इसका तात्पर्य संसाधनों की उपस्थिति का पता लगाना है। यह भू-สำรวจ, हवाई सर्वेक्षण और उपग्रह इमेजरी जैसी तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है।
  2. संसाधन आकलन: संसाधनों की मात्रा, गुणवत्ता और वितरण का निर्धारण करना।
  3. संसाधन विकास: संसाधनों के निष्कर्षण और उपयोग की प्रक्रिया।

भारत में संसाधन नियोजन

भारत एक विशाल और विविध देश है जिसके पास विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधन हैं। इन संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग और विकास राष्ट्रीय महत्व का विषय है। भारत सरकार संसाधनों के नियोजन के लिए निम्नलिखित रणनीतियों का उपयोग करती है:

  • संसाधन संरक्षण: यह सुनिश्चित करना कि संसाधनों का उपयोग टिकाऊ तरीके से किया जाए ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनकी उपलब्धता बनी रहे।
  • संसाधन विकास की समानता: यह सुनिश्चित करना कि संसाधनों का विकास समान रूप से हो और सभी क्षेत्रों को लाभ मिले।
  • पर्यावरण संरक्षण: यह सुनिश्चित करना कि संसाधन विकास पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए।

भूमि संसाधन

भूमि सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। इसका उपयोग कृषि, वन, उद्योग, आवास और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाता है।

भूमि उपयोग

भूमि उपयोग का तात्पर्य भूमि के विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग के पैटर्न से है। भारत में भूमि उपयोग का पैटर्न इस प्रकार है:

  • कृषि भूमि: कुल भूमि का लगभग 58% कृषि कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

भूमि क्षरण और संरक्षण उपाय

भूमि क्षरण मिट्टी की ऊपरी परत का हवा या पानी से बह जाने की प्रक्रिया है। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता को कम करती है और कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है। भूमि क्षरण के मुख्य कारणों में वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, और अनुचित कृषि पद्धतियां शामिल हैं।

भूमि क्षरण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • वनीकरण: पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है।
  • भूमि संरक्षण उपाय: समोच्च जुताई, बंधन, और गली प्लगिंग जैसी तकनीकों का उपयोग मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद कर सकता है।
  • जल संरक्षण: जल संरक्षण उपायों जैसे कि वाटरशेड प्रबंधन और तालाबों और कुओं का निर्माण मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

मिट्टी: एक संसाधन

मिट्टी भूमि का ऊपरी भाग है जो पौधों को उगाने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। मिट्टी का निर्माण चट्टानों, मृत वनस्पतियों और जानवरों के अवशेषों के अपक्षय से होता है।

मिट्टी का वर्गीकरण

मिट्टी को विभिन्न प्रकार की विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि बनावट, रंग, जल धारण क्षमता, और रासायनिक संरचना। मिट्टी के कुछ सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:

  • रेतीली मिट्टी: यह मिट्टी रेत के कणों से बनी होती है और इसमें पानी धारण करने की क्षमता कम होती है।
  • चिकनी मिट्टी: यह मिट्टी मिट्टी के कणों से बनी होती है और इसमें पानी धारण करने की क्षमता अधिक होती है।
  • दोमट मिट्टी: यह मिट्टी रेत और मिट्टी के कणों के मिश्रण से बनी होती है और इसमें पानी धारण करने की क्षमता अच्छी होती है।

मिट्टी का क्षरण और मिट्टी संरक्षण

मिट्टी का क्षरण मिट्टी की ऊपरी परत का हवा या पानी से बह जाने की प्रक्रिया है। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता को कम करती है और कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है। मिट्टी क्षरण के मुख्य कारणों में वनों की कटाई, अत्यधिक चराई, और अनुचित कृषि पद्धतियां शामिल हैं।

मिट्टी क्षरण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • वनीकरण: पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है।
  • भूमि संरक्षण उपाय: समोच्च जुताई, बंधन, और गली प्लगिंग जैसी तकनीकों का उपयोग मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद कर सकता है।
  • जल संरक्षण: जल संरक्षण उपायों जैसे कि वाटरशेड प्रबंधन और तालाबों और कुओं का निर्माण मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

संसाधन और विकास: एक निबंध

संसाधन विकास आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। संसाधनों का कुशल उपयोग और विकास राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बढ़ावा देता है।

संसाधन विकास की प्रक्रिया में कई चुनौतियां शामिल हैं। इनमें संसाधनों की कमी, पर्यावरणीय क्षति, और सामाजिक असमानता शामिल हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, सरकारों को टिकाऊ विकास रणनीतियां विकसित करने की आवश्यकता है।

टिकाऊ विकास रणनीतियां वे हैं जो वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करती हैं, भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता को खतरे में डाले बिना। इन रणनीतियों में संसाधनों का संरक्षण, संसाधन विकास की समानता, और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।

निष्कर्ष

संसाधन विकास मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। हमें अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों का उपयोग करना होगा, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त संसाधन छोड़ दें। टिकाऊ विकास रणनीतियां हमें इस चुनौती का सामना करने में मदद कर सकती हैं।