मिरासी और भिश्ती समुदाय के 2 हजार विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति मिलेगी
राज्य सरकार द्वारा मिरासी एवं भिश्ती समुदाय के विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति दी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने समुदाय के लिए ‘उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना’ के प्रारूप का अनुमोदन किया है।

मिरासी एवं भिश्ती समुदाय के युवा शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे। साथ ही युवाओं के शिक्षित होने से परिवार को आर्थिक संबल मिलेगा तथा समुदाय का सामाजिक उत्थान भी होगा।
प्रारूप के अनुसार, योजना में 2.50 लाख रुपये तक की पारिवारिक वार्षिक आय वाले मिरासी (ढाढ़ी, मीर, मांगणियार, दमामी, नगारची, लंगा, राणा) एवं भिश्ती समुदाय के विद्यार्थी पात्र होंगे। कक्षा 11 से स्नातकोत्तर तक के 2,000 विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष 5,000 से 20,000 रुपये तक प्रति छात्रवृत्ति मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022-23 के राज्य बजट में मिरासी एवं भिश्ती समुदाय के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए विभिन्न कार्यों की घोषणा की थी
मिरासी समाज की सामान्य जानकारी | General information of Mirasi Samaj
मिरासी (Mirasi) भारत और पाकिस्तान में पाई जाने वाली एक जाति है. इस समुदाय के लोग पारंपरिक गायक और नर्तक हैं और इनकी आजीविका संगीत, नृत्य एवं गाने बजाने से चलती है. पखवाज (Pakhwaj) नामक वाद्य यंत्र बजाने के कारण, इन्हें उत्तर भारत में पखवाजी (Pakhwaji) के नाम से जाना जाता है. जमीदारी प्रथा और राजे रजवाड़ों की समाप्ति के बाद, इन्हें जीवन यापन के लिए अपने परंपरागत व्यवसाय को छोड़कर अन्य व्यवसाय को अपनाना पड़ा. इनमें से कुछ खेती करने लगे. भूमिहीन मिरासी मजदूरी करने लगे. इस समुदाय के कई लोग अब छोटे-मोटे व्यवसायों में लगे हैं, जैसे सब्जियां बेचना और छतरियों की मरम्मत करना.
राजस्थान में, यह मुख्य रूप से बीकानेर, जयपुर जोधपुर, नागौर, चित्तौड़गढ़, अजमेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चुरू, सीकर, बाड़मेर, भीलवाड़ा जैसलमेर और झुंझनू जिलों में पाए जाते हैं. हरियाणा में, यह मुख्य रूप से मेवात, रोहतक, फरीदाबाद, हिसार, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत और महेंद्रगढ़ जिलों में निवास करते हैं.भारतीय पंजाब में मिरासी मुस्लिम, हिंदू और सिख हैं. मुस्लिम मिरासी शिया या सुन्नी हो सकते है।
भिश्ती समाज की सामान्य जानकारी | General information of Bhisti samaj
कहा जाता है कि भिश्ती शब्द की उत्पत्ति फारसी के शब्द “बिहिश्त” से हुई है, जिसका अर्थ होता है- “स्वर्ग”. भिश्ती का अर्थ होता है-स्वर्ग का निवासी. संभवत: युद्ध के मैदान में दया के दूत के रूप में घायलों को राहत पहुंचाने, उनकी सेवा करने और प्यासे सैनिकों को पानी पिलाने के कारण इनका नाम भिश्ती पड़ा. बकरे की खाल से बनने वाला चमड़े का थैला, जिसे मशकी आ जाता है, इनका एक विशिष्ट चिन्ह है. यह मशकी में पानी भरकर लोगों को पिलाते थे. इसीलिए इन्हें मशकी या पखाली भी कहा जाता है.
भिश्ती (Bhishti) भारत और पाकिस्तान में निवास करने वाली एक मुस्लिम जनजाति है. पारंपरिक रूप से यह जलवाहक यानी कि पानी की आपूर्ति करने का काम करते हैं. वर्तमान में भी यह इसी प्रकार के अन्य घरेलू सेवाओं में लगे हुए हैं. स्वभाव से यह मेहनती और वफादार होते हैं. बदलते वक्त के साथ अन्य व्यवसायिक जातियों की तरह यह भी अपना पारंपरिक व्यवसाय खो रहे हैं. जीवन यापन के लिए यह अन्य व्यवसाय और रोजगार को अपनाने लगे हैं. यह एक भूमिहीन समुदाय है.
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