
विद्यालय पत्रिका किसे कहते है?
विद्यालय पत्रिका विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को उनकी सोच की शक्ति को विकसित करने और उनकी कल्पनाओं को मजबूत करने के लिए एक साधन है। इसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों व अन्य कार्मिकों के मूल लेखों, कविताओं, चुटकुलों, चित्रों आदि के साथ सूचना और मनोरंजन का एक स्वस्थ मिश्रण होता है । इसके निर्माण में छात्रों द्वारा योगदान दिया जाता है। विद्यालय पत्रिका में विभिन्न शैक्षणिक सांस्कृतिक, खेल, गतिविधियों और राष्ट्रीय शिक्षा दिवस, वृक्षारोपण दिवस आदि जैसे सभी विशेष दिनों के उत्सव को दर्शाने वाली एक चित्र दीर्घा भी शामिल होती है, इस प्रकार यह पत्रिका विद्यालय का एक सुसंगत और व्यापक दर्पण हो जाती है।
विद्यालय पत्रिका का महत्व
शिक्षा का उद्देश्य बच्चे का विकास है. शिक्षा बच्चे का सर्वांगीण विकास करना चाहती है. इसके लिए विभिन्न तरीके हैं. विद्यालय-पत्रिका उनमें से एक है. इसका प्रकाशन विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा होता है. इससे विद्यार्थियों के विकास में सहायता मिलती है. विद्यार्थी पत्रिका में कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं.
विद्यालय को अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं. इसे नवीन भारत का निर्माण करना है. इसे आदर्श नागरिक पैदा करना है. इसे अच्छे समाज का निर्माण करना है. इसे भविष्य का नेता तैयार करना है. विद्यार्थियों को भविष्य का सामना करना है. विद्यालयपत्रिका के माध्यम से वे अपने विचारों और दृष्टिकोणों को जाहिर कर सकते हैं. विद्यालयपत्रिका उन्हें उचित दृष्टिकोण अपनाने में प्रशिक्षित करने की क्षमता रखती है.
विद्यालय-पत्रिका का प्रकाशन पुस्तकों की तरह होता है. इसे सम्पादकमंडल की आवश्यकता होती है. इस मंडल की रचना शिक्षकों और विद्यार्थियों के योग से होती है. विद्यालय-पत्रिका के प्रभारी शिक्षक उच्चतम वर्ग के एक विद्यार्थी का चुनाव करते हैं.
वे शिक्षक उस विद्यार्थी को सम्पादन-कला में प्रशिक्षित करते हैं. विद्यार्थी अपनी रचनाएँ तैयार करते हैं. शिक्षक भी इसमें अपना योगदान देते हैं. सभी रचनाओं का सम्पादकमंडल अध्ययन करता है एवं उन पर पुनः विचार करता है. रचनाओं का अन्तिम चुनाव किया जाता है.
चुनी हुई रचनाएँ प्रकाशन के लिए छापाखाने में भेज दी जाती हैं. इस कार्य के लिए विद्यार्थी फीस (शुल्क) के रूप में पैसे देते हैं. शुल्क की रकम एकत्रित की जाती है. कागज तथा प्रकाशन का खर्च विद्यालय चुका देता है. इसके बाद पत्रिका विद्यार्थियों में मुफ्त बाँट दी जाती है. बड़े-बड़े आदमियों को भी इसे उपहारस्वरूप दिया जाता है.
विद्यालय-पत्रिका विद्यार्थियों का जीवन है. इससे अनेक लाभ हैं. यह विद्यार्थियों को कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है. इस उद्देश्य के लिए विद्यार्थी पुस्तकों और समाचार-पत्रों का अध्ययन करते हैं. वे कविताएँ लिखते हैं. वे निबन्ध लिखते हैं. वे पहेलियाँ चुनते हैं. वे पत्रिका-प्रेमी बनते हैं.
उनकी रुचियों का विकास होता है. वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित देखकर गर्व का अनुभव करते हैं. वे पत्रिका में अपने नाम छपे हुए देखकर फूले नहीं समाते. उनकी यह रुचि उन्हें एक दिन महान पुरुष बनाती है.
विद्यालय-पत्रिका विद्यार्थियों का एक रजिस्टर है. वे अपने भविष्य की रचनाओं के लिए सामग्री एकत्र करना प्रारम्भ कर देते हैं. वे अन्य साधनों से सूचनाएँ एकत्र करते हैं. यह आदत उनकी बड़ी मदद करती है. इससे उनका ज्ञान बढ़ता है. उनका दृष्टिकोण और ज्ञान विकसित होता है. उनका विषय-वस्तु सम्बन्धी ज्ञान ठोस बनता है.
विद्यालय-पत्रिका विद्यालय का उपयोगी देन है. इसकी अनेक उपयोगिताएँ हैं. इसमें आदर्श नेतृत्व पैदा करने की शक्ति है. इसमें भविष्य में आदर्श नागरिक के निर्माण करने की शक्ति है. इससे विद्यालय की प्रसिद्धि बढ़ती है.
यह अच्छे विद्यार्थियों और आदर्श नागरिकों को बना सकता है. विद्यालय भी आदर्श पत्रिका को प्रकाशित कर गौरव का अनुभव करता है. पत्रिका विद्यालय का इतिहास अथवा उसका दर्पण है.
विद्यालय पत्रिका के उदाहरण
विद्यालय पत्रिका में किन विषयों पर लेख होने चाहिए?
छात्रों की पत्रिका में, अपेक्षाकृत, विभिन्न विषयों पर, उनकी मौलिक रचनाएं प्रकाशित की जानी चाहिए। पाठ्यक्रम से संबंधित रचनाओं को प्रमुखता देनी चाहिए। देश-प्रेम, आपसी सद्भाव बढ़ाने वाली रचनाओं को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए कुछ रचनाएँ ज्ञानवर्धक, कुछ मनोरंजक हों।