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प्रजातंत्र के प्रहरी, जोधपुर के विकास पुरुष – महाराजा हनवंत सिंह


राजगद्दी से जनमत तक, जनहित के लिए निरंतर संघर्ष का सफर

आज 26 जनवरी, 2024 को हम महाराजा हनवंत सिंह की पुण्यतिथि मना रहे हैं। जोधपुर के इतिहास में वो नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है, जिन्होंने राजा से प्रजातंत्र के प्रहरी बनकर एक अनूठा अध्याय रचा। 1952 के विधानसभा चुनाव में उनके ऐतिहासिक विजय और उसके तुरंत बाद हुई संदिग्ध हवाई दुर्घटना आज भी सवालिया निशान छोड़ गई, लेकिन उनके कार्यों की छाप जोधपुर की विकास गाथा में स्पष्ट नजर आती है।

महाराजा हनवंत सिंह सिर्फ सिंहासन संभालने वाले राजा नहीं थे। वो एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास पर अथक प्रयास किए। उनके शासनकाल में जोधपुर ने अभूतपूर्व प्रगति देखी। उन्होंने विभिन्न वर्गों के लिए स्कूल, छात्रावास, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, जलाशयों का निर्माण करवाया। आज भी जोधपुर का गौरव माने जाने वाले उम्मेद भवन महल और जसवंत थड़ा उनके ही कार्यों की गवाही देते हैं।

हालांकि, महाराजा हनवंत सिंह का योगदान सिर्फ विकास कार्यों तक सीमित नहीं था। वो जनतांत्रिक मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखते थे। 1952 के चुनावों में उन्होंने जनता के समर्थन से कांग्रेस के दिग्गज नेता जयनारायण व्यास को हराकर इतिहास रचा। यह पहली बार था जब किसी रियासत के शासक ने सीधे चुनाव लड़ा था, और उनकी जीत ने साबित कर दिया कि जनता उनके कार्यों और लोकतांत्रिक विचारों की कद्र करती थी।

हालाँकि उनकी यह विजय अल्पायु ही रही। चुनाव परिणाम आने से पहले ही एक संदिग्ध हवाई हादसे में उनका असामयिक निधन हो गया। इस घटना ने पूरे जोधपुर और राजस्थान को हिलाकर रख दिया। उनके अधूरे कार्यों ने भले ही एक खामोशी छोड़ दी, लेकिन उनके द्वारा बिजाई गई विकास की नींव आज भी जोधपुर को मजबूती दे रही है।

महाराजा हनवंत सिंह की पुण्यतिथि सिर्फ शोक मनाने का अवसर नहीं, बल्कि उनके कार्यों से प्रेरणा लेने का दिन है। वो हमें याद दिलाते हैं कि विकास सिर्फ पद या सत्ता से नहीं, बल्कि जनहित के प्रति समर्पण और दूरदृष्टि से होता है। आज के गणतंत्र दिवस के अवसर पर आइए उनके आदर्शों को याद करें और एक मजबूत, विकसित, और सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।