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षट्तिला एकादशी 2024: 06 फरवरी का हिन्दू पंचांग और व्रत नियम


🌞 आज का हिन्दू पंचांग 🌞

दिनांक: 06 फरवरी 2024
दिन: मंगलवार
विक्रम संवत्: 2080
अयन: उत्तरायण
ऋतु: शिशिर
मास: माघ
पक्ष: कृष्ण
तिथि: एकादशी शाम 04:07 तक, तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र: ज्येष्ठा सुबह 07:35 तत्पश्चात मूल
योग: व्याघात सुबह 08:50 तक, तत्पश्चात हर्षण
राहु काल: शाम 03:42 से 05:06 तक
सूर्योदय: 07:18
सूर्यास्त: 06:30
दिशा शूल: उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त: प्रातः 05:35 से 06:26 तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:28 से 01:19 तक
व्रत पर्व विवरण: षट्तिला एकादशी
विशेष: एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)

🌹 षट्तिला एकादशी: 06 फरवरी 2024 🌹

एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें, इसका विस्तार से वर्णन है, जिसमें लकड़ी का दातुन या पेस्ट का उपयोग न करने, स्नानादि के बाद गीता और श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने, एकादशी के दिन विशेष आहार नियमों का पालन करने, और अन्य धार्मिक व आध्यात्मिक प्रथाओं का समावेश है। इसके अलावा, व्यक्ति को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और विशेष रूप से एकादशी के दिन उपवास का पालन करने की सलाह दी जाती है।

एकादशी के दिन व्रत और उपवास के महत्व पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिसमें शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना में विशेष ऊर्जा और समर्पण दिखाई देता है।

एकादशी व्रत की रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व है। इस दौरान भक्त विविध भजन-कीर्तन, प्रार्थना और मंत्र जाप में लीन रहते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और संतोष की अनुभूति होती है।

उपवास और आहार नियम के माध्यम से शरीर को शुद्ध करने के लिए विशेष सलाह दी जाती है। इसमें न केवल आत्म-संयम की शिक्षा होती है, बल्कि यह भौतिकता से परे जाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होने का एक मार्ग प्रशस्त करता है।

एकादशी व्रत का पालन करने से न केवल शारीरिक लाभ होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति को भी बढ़ावा देता है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपवास व्यक्ति को अधिक संयमित और ध्यान केंद्रित बनाने में मदद करते हैं, जिससे व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में बेहतर निर्णय ले सकता है।

एकादशी व्रत के दौरान दान-पुण्य का महत्व भी उल्लेखनीय है। इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करने का विधान है, जिससे न केवल आत्मा की शुद्धि होती है, बल्कि समाज में सद्भाव और सहायता की भावना भी मजबूत होती है।

आध्यात्मिक जीवन में एकादशी व्रत का महत्व अतुलनीय है। यह व्रत व्यक्ति को भौतिक जगत की आसक्तियों से मुक्त कर, आध्यात्मिक जगत की ओर अग्रसर करता है। इस दिन की गई साधना और पूजा व्यक्ति के जीवन में दिव्यता और पवित्रता को बढ़ाती है।

एकादशी का व्रत रखने के लाभ अनेक हैं। इससे न केवल शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। एकादशी के दिन किए गए उपवास, जप, ध्यान, और पूजा-अर्चना से व्यक्ति आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त करता है।

समापन विचार: एकादशी का व्रत और इस दिन की गई धार्मिक प्रथाएं हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में संयम, त्याग, और आध्यात्मिक साधना का बहुत महत्व है। इस दिन का पालन करके हम न केवल अपने जीवन को और अधिक सार्थक बना सकते हैं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भगवान की अनुकंपा प्राप्त कर सकते है