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सूर्य नमस्कार 2024: राज्य के समस्त विद्यालयों में 15 फरवरी को सूर्य नमस्कार का आयोजन

राज्य के समस्त विद्यालयों में दिनांक 15.02.2024 को सूर्य नमस्कार का आयोजन

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के समस्त राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों में एक विशेष आयोजन की घोषणा की गई है। आगामी 15 फरवरी, 2024 को, प्रातः 10:30 से 11 बजे के बीच, सूर्य नमस्कार का आयोजन किया जाएगा।

इस आयोजन के सफल संचालन के लिए, राज्य परियोजना निदेशक, श्री अविचल चतुर्वेदी, एवं निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, श्री आशीष मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त जिला, ब्लॉक, और पीईईओ स्तर के अधिकारियों को निर्देशित किया है।

विशेष निर्देशों में यह भी शामिल है कि बालक एवं बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक अभ्यास की व्यवस्था की जाए, विद्यार्थियों की आयु एवं स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाए।

इस आयोजन को और भी ग्रांड बनाने के लिए, विभाग ने सभी बड़े विद्यालयों को ड्रोन फोटोग्राफी करवाने की सलाह दी है। इसके अलावा, वर्ल्ड रिकॉर्ड हेतु भाग लेने वाले सभी संभागियों के डाटा की प्रविष्टि शाला दर्पण पोर्टल पर 15 फरवरी को दोपहर 2 बजे तक की जानी है।

एक दिन पहले, यानि 14 फरवरी 2024 को, सभी विद्यालयों में सूर्य नमस्कार अभ्यास का ट्रॉयल रन किया जाएगा। समस्त संयुक्त निदेशक एवं मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित करेंगे कि वे 15 फरवरी 2024 को सूर्य नमस्कार के अभ्यास का निरीक्षण करें।

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में योग और फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें सूर्य नमस्कार के महत्व को समझाना है। सूर्य नमस्कार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है बल्कि मानसिक शांति और एकाग्रता में भी वृद्धि करता है।

कार्यक्रम के दौरान, विद्यालयों को अन्य विभागों के कार्मिकों, जन प्रतिनिधियों, अभिभावकों, एसडीएमसी, एसएमसी, पीटीए के सदस्यों, पूर्व विद्यार्थियों, ग्रामीणों व अन्य गणमान्य अतिथियों को आमंत्रित करने की सलाह दी गई है। यह विश्वास व्यक्त किया जाता है कि इस तरह के सामूहिक आयोजन से समुदाय में एकजुटता और सकारात्मकता का प्रसार होगा।

स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी संबंधित विभागों और विद्यालयों को सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि आयोजन के दौरान सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जाए, ताकि स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी हो सके।

इस अनूठे आयोजन के माध्यम से, राज्य का स्कूल शिक्षा विभाग न केवल शिक्षा प्रणाली में नवाचार लाने की दिशा में एक कदम बढ़ा रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि विद्यार्थियों को उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक फिटनेस के महत्व को समझने का अवसर मिले। इस प्रकार के आयोजन से योग और ध्यान की प्राचीन भारतीय परंपराओं को बढ़ावा मिलता है, और यह युवा पीढ़ी को एक स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

इस आयोजन की सफलता के लिए, विद्यालयों को योजना बनाने, आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करने, और आयोजन स्थल की तैयारी में पूर्ण सहयोग देने की अपेक्षा की जाती है। साथ ही, शिक्षकों और प्रशिक्षकों को सूर्य नमस्कार के विभिन्न आसनों की सही तकनीक और उनके लाभों को समझाने में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

अंततः, इस आयोजन का उद्देश्य केवल एक विशेष दिवस पर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करवाना नहीं है, बल्कि इसे विद्यार्थियों की दैनिक जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करना है। इससे वे न केवल फिट रहेंगे, बल्कि उनका मानसिक संतुलन और आत्म-अनुशासन भी मजबूत होगा।

राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस तरह की पहल करने से निश्चित रूप से शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव आएगा और यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और अधिक संतुलित समाज की नींव रखेगा।

सूर्य नमस्कार, जिसे सन सैल्यूटेशन भी कहा जाता है, योग की एक प्रमुख शृंखला है जिसमें बारह भिन्न आसन शामिल हैं। यहाँ सूर्य नमस्कार के विभिन्न चरणों का वर्णन है:

  1. प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): दोनों पैरों को एक साथ रखें, छाती के सामने हाथों को नमस्कार मुद्रा में लाएं।
  2. हस्त उत्तानासन (ऊपर उठाए हाथ): हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर झुकें, कमर से खिंचाव महसूस करें।
  3. पादहस्तासन (हाथों को पैरों के पास लाना): आगे की ओर झुकें और हाथों को जमीन पर या पैरों के पास लगाएं।
  4. अश्व संचालनासन (घोड़े की मुद्रा): एक पैर को पीछे की ओर फैलाएं और दूसरे पैर को मोड़ें, उपर की ओर देखें।
  5. पर्वतासन (पहाड़ मुद्रा): दोनों पैरों को पीछे की ओर ले जाकर वी आकार में खड़े हो जाएं।
  6. अष्टांग नमस्कार (आठ अंगों का नमस्कार): घुटने, छाती और ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं, हिप्स को ऊपर उठाएं।
  7. भुजंगासन (कोबरा मुद्रा): शरीर के आगे के भाग को उठाएं और पीछे की ओर झुकें, सिर को ऊपर की ओर उठाएं।
  8. पर्वतासन (पहाड़ मुद्रा): वापस पर्वतासन में आएं।
  9. अश्व संचालनासन (घोड़े की मुद्रा): दूसरे पैर के साथ पुनः अश्व संचालनासन की मुद्रा में आएं।
  10. पादहस्तासन (हाथों को पैरों के पास लाना): आगे की ओर झुकें और हाथों को फिर से पैरों के पास लगाएं।
  11. हस्त उत्तानासन (ऊपर उठाए हाथ): हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर झुकें, कमर से खिंचाव महसूस करें।
  12. प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): दोनों पैरों को एक साथ रखें, छाती के सामने हाथों को नमस्कार मुद्रा में वापस लाएं।

ये सूर्य नमस्कार के बारह चरण हैं, जो शरीर और मन को तरोताजा करते हैं, ऊर्जा को बढ़ाते हैं, और समग्र स्वास्थ्य को सुधारते हैं। इस प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक और लयबद्ध तरीके से करने पर यह अधिक प्रभावी होती है।

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