शीर्षक: संगत का असर
प्रस्तावना:
संगत का हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। जैसी संगत हम रखते हैं, वैसे ही हमारे गुण-दोष बनते हैं। अच्छी संगत हमें अच्छे गुणों की ओर ले जाती है, जबकि बुरी संगत हमें बुरे गुणों की ओर ले जाती है। इस प्रसंग में, हम देखेंगे कि कैसे एक अध्यापक ने अपने शिष्यों को संगत का महत्व समझाया।
प्रसंग:
एक बार एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे। रास्ते में वे अपने शिष्यों को अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे। लेकिन शिष्य इसे समझ नहीं पा रहे थे। तभी अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा। उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को कहा।
जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – “इसे अब सूंघो।” शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है।” तब अध्यापक बोले – “बच्चो! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक महक कैसे आई?”
दरअसल, इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है। जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुण-दोष आ जाते हैं।
शिक्षा:
इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सदैव अच्छी संगत रखनी चाहिए। अच्छी संगत हमें अच्छे गुणों की ओर ले जाती है। इससे हमारा जीवन सफल और सुखी होता है।
निष्कर्ष:
संगत का असर हमारे जीवन पर बहुत बड़ा होता है। इसलिए हमें अपनी संगत का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। हमें सदैव अच्छी संगत में रहना चाहिए। जैसी संगत हम रखेंगे, वैसे ही हमारे विचार, व्यवहार और जीवन बनेंगे।