तिथि: अष्टमी
वार: रविवार
मास: फाल्गुन
पक्ष: कृष्ण
सूर्योदय: ०६:५९
सूर्यास्त: १८:४२
चन्द्रोदय: २५:४३+
चन्द्रास्त: ११:२५
सूर्य राशि: कुम्भ
चन्द्र राशि: वृश्चिक
अभिजीत मुहूर्त: १२:२७ से १३:१४ तक
राहुकाल: १७:१४ से १८:४२ तक
कलियुगाब्द: ५१२५
विक्रम संवत्: २०८०
ऋतु: बसंत
नक्षत्र: अनुराधा
योग: हर्षण
करण: बव
आंग्ल मतानुसार: ०३ मार्च २०२४
आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो।।
अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति ।
ससन्तोषस्तथा नित्यं त्रीणि शिक्षेत गर्दभात् ॥
विश्राम लिये बगैर भार वहन करना, ताप-ठंड न देखना, और सदा संतोष रखना – ये तीन गधे से सीखने चाहिए।
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अनिर्वेदः श्रियो मूलं लाभस्य च शुभस्य च।
महान् भवत्यनिर्विण्णः सुखं चानन्त्यमश्नुते।।
★महाभारतम् उद्योगपर्व ३९-५७
अर्थात्👉
उद्योग में लगे रहना — उससे विरक्त न होना धन, लाभ और कल्याण का मूल है। इसलिए उद्योग न छोड़ने वाला मनुष्य महान हो जाता है और अनन्त सुख का उपभोग करता है।
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यद्यपि इसे तैयार करने में पूरी सावधानी रखने की कोशिश की गई है, फिर भी किसी भी घटना, तिथि या अन्य त्रुटि के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।
🌻 आपका दिन मंगलमय हो। 🌻
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प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।
भावार्थ: सूर्य देव का वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, शरीर यजुर्वेद और किरणें सामवेद हैं, जो सृष्टि के आदि कारण हैं, ब्रह्मा और शिव के स्वरूप हैं और जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, उनका प्रातः काल में मैं स्मरण करता हूँ।
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आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय हो। श्री सूर्यदेव भगवान्, आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें, आपका सदा कल्याण करें।
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