पूंजीगत व्यय में वृद्धि: वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 2024-2025 के लिए पूंजीगत व्यय आवंटन में 11.1% की वृद्धि की घोषणा की, जो कुल 11,11,111 करोड़ रुपये है, यह जीडीपी का 3.4% है। यह कदम पिछले चार वर्षों में पूंजीगत व्यय में हुई महत्वपूर्ण तिगुनी वृद्धि पर निर्माण करने का लक्ष्य रखता है, जो आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
जीडीपी वृद्धि के अनुमान: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत की वास्तविक जीडीपी 7.3% बढ़ने की उम्मीद है। यह आरबीआई के संशोधित वृद्धि अनुमानों के अनुरूप है और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की आर्थिक लचीलापन को दर्शाता है।
भारत की अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास: आईएमएफ द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3% तक बढ़ाना वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक शक्ति में विश्वास को दर्शाता है। 2027 तक भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और वैश्विक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है।
राजस्व और उधार अनुमान: 2024-25 के लिए, उधार को छोड़ कर कुल प्राप्तियों का अनुमान 30.80 लाख करोड़ रुपये है, जबकि कर प्राप्तियों का अनुमान 26.02 लाख करोड़ रुपये है। राजकोषीय घाटे का अनुमान 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत है, जिसका लक्ष्य 2025-26 तक इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है।
एफडीआई प्रवाह और निवेश संधियां: 2014-23 के दौरान एफडीआई प्रवाह USD 596 बिलियन तक पहुँच गया, जो एक महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है। सरकार निरंतर विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधियों पर वार्ता कर रही है।
समावेशी विकास पर ध्यान: बजट प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पहचाने गए ‘चार प्रमुख वर्गों’ – गरीब, महिलाएं, युवा और किसानों के विकास पर जोर देता है। पहलों में सभी के लिए आवास, पानी, बिजली और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं, जिसका उद्देश्य 2047 तक ‘विकसित भारत’ को प्राप्त करना है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रामीण विकास: बजट राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण योजना को जारी रखने का प्रस्ताव करता है, जिसका कुल आवंटन 1.3 लाख करोड़ रुपये है। इसमें पीएम आवास योजना के लक्ष्यों की पूर्ति और आगे के आवास और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की योजना भी शामिल है।
सशक्तिकरण और आर्थिक परिवर्तन: बजट विकास के प्रति एक मानवीय और समावेशी दृष्टिकोण की ओर एक परिवर्तन को दर्शाता है, जिसमें पीएम मुद्रा योजना के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से व्यक्तिगत और परिवार स्तर पर लाभ लक्षित किए गए हैं, जिसमें 43 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
भविष्य के विकास के लिए घोषणाएं: बजट में पूर्वी क्षेत्र के विकास, नवीकरणीय ऊर्जा पहलों, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के माध्यम से रोजगार सृजन, और आर्थिक वृद्धि और विकास का समर्थन करने के लिए अनुसंधान, विमानन और रेलवे में महत्वपूर्ण निवेश की योजनाएं शामिल हैं।
यह अंतरिम बजट 2047 तक भारत की विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा के लिए एक आधार तैयार करता है, जिसमें समावेशी वृद्धि, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
कराधान में निरंतरता: अंतरिम बजट 2024-2025 कराधान पर स्थिति को यथावत रखता है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों सहित आयात शुल्कों की दरों में कोई परिवर्तन नहीं है। हालांकि, स्टार्ट-अप्स और सॉवरेन वेल्थ या पेंशन फंडों द्वारा किए गए निवेशों के लिए कर लाभों के साथ-साथ कुछ IFC इकाइयों की कुछ आयों पर कर छूट को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों की वापसी: करदाता सेवाओं को बढ़ाने और व्यापार करने में आसानी लाने के लिए, वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि के लिए 25,000 रुपये तक और वित्तीय वर्षों 2010-11 से 2014-15 के लिए 10,000 रुपये तक की छोटी, पुरानी या विवादित प्रत्यक्ष कर मांगों की वापसी की घोषणा की, जिससे लगभग एक करोड़ करदाताओं को लाभ होगा।
प्रत्यक्ष कर संग्रहण में तीन गुना वृद्धि: पिछले दशक में प्रत्यक्ष कर संग्रहण में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और रिटर्न फाइलर्स में 2.4 गुना वृद्धि हुई है। सरकार ने कर दरों को तर्कसंगत बनाया है, जिससे नई कर व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं पर कोई कर दायित्व नहीं है और व्यापारिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट कर दरों को कम किया है।
जीएसटी और अनुपालन बोझ: जीएसटी ने भारत की विखंडित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एकीकृत करके व्यापार और उद्योग पर अनुपालन बोझ को काफी कम कर दिया है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 94% उद्योग नेताओं ने जीएसटी में संक्रमण को मुख्य रूप से सकारात्मक माना है। जीएसटी कर आधार और औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण दोगुना हो गया है, जिससे राज्यों और उपभोक्ताओं को लॉजिस्टिक्स लागत और कीमतों में कमी के कारण लाभ हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा: सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें विभिन्न प्रवेश बिंदुओं पर आयात रिलीज समय में महत्वपूर्ण कमी आई है, जो व्यापार क्षमता को बढ़ाने के सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र: वित्त मंत्री ने 2014 से वर्तमान तक की आर्थिक स्थिति और शासन प्रणाली में सुधारों का विवरण देने वाले एक श्वेत पत्र की रिलीज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य पिछली दुर्व्यवस्था से सबक लेना और टिकाऊ विकास और सर्वांगीण विकास की ओर राष्ट्र की प्रगति को उजागर करना है।
यह अंतरिम बजट 2024-2025 न केवल कराधान में स्थिरता बनाए रखता है बल्कि करदाताओं के लिए विशेष राहत प्रदान करता है, जिससे व्यापार करने में आसानी और ईमानदार करदाताओं की चिंता को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, प्रत्यक्ष कर संग्रहण में वृद्धि और नए कर व्यवस्था के तहत करदाताओं के लिए लाभ दर्शाते हैं कि सरकार ने कर दरों को तर्कसंगत बनाने और व्यापारिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कैसे काम किया है।
जीएसटी के माध्यम से अनुपालन बोझ को कम करना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा प्रदान करना भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा में सकारात्मक कदम हैं। श्वेत पत्र की घोषणा से यह भी पता चलता है कि सरकार पिछले दशकों में हुई दुर्व्यवस्था से सबक लेने और आने वाले समय में सतत विकास और सर्वांगीण विकास की दिशा में भारत की प्रगति को दिखाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस तरह, अंतरिम बजट 2024-2025 भारत के विकास के लिए एक ठोस आधार प्रदान करता है, जिसमें कराधान में स्थिरता, करदाताओं के लिए राहत, और व्यापार तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम शामिल हैं।